देर आए, दुरुस्त आए। गुरुग्राम के रेयान स्कूल में दूसरी कक्षा के छात्र प्रद्युम्न की हत्या के बाद आखिरकार सरकार ने सुरक्षा मानकों को लेकर स्कूलों को निर्देश जारी कर दिए हैं। अब विद्यार्थियों की घर से लेकर लौटने तक की ट्रैकिंग होगी, यानी कदम दर कदम सुरक्षा। इसकी जवाबदेही होगी स्कूल प्रबंधन की। सरकार का यह प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय है। सुरक्षा मानक तय होने से स्कूल प्रबंधन किसी भी स्तर पर लापरवाही से बचेंगे। वजह है भी। सुरक्षा में खामी पाए जाने पर न केवल उनकी मान्यता रद होगी या सरकार उन्हें टेक ओवर करेगी वरन संबंधित जनों पर आपराधिक मामला भी दर्ज होगा। असल में हरियाणा में जो एजुकेशन एक्ट था, उसमें सबसे बड़ी खामी ही ये थी कि विद्यार्थियों की सुरक्षा का कोई प्रावधान नहीं था। इसी का फायदा उठा कर निजी स्कूल प्रबंधन मनमानी करते रहे हैं। वह चाहे बस में निर्धारित सीट से ज्यादा विद्यार्थी बैठाने का मामला हो, सीसीटीवी न लगे होने का, अप्रशिक्षित चालक-परिचालक का या फिर इससे इतर महिला अटेंडेंट के न होने का। सुरक्षा मानकों की सरेआम धज्जियां उड़ाते स्कूल वाहन सड़कों पर सरेआम देखे जा सकते हैं। रिक्शा चालक तक बाज नहीं आते और वे ठूंस-ठूंसकर बच्चे बैठाए रखते हैं। यही वजह है कि इसकी परिणति हादसों के रूप में समय-समय पर सामने आती रहती है।
यह अच्छी बात है कि एजूकेशन एक्ट में अब बच्चों की सुरक्षा संबंधी नियम जोड़ दिए गए हैं। त्रिस्तरीय निगरानी कमेटी इस पर नजर रखेगी। उपायुक्त जहां जिला स्तर पर मानक देखेंगे वहीं उपमंडल स्तर पर एसडीएम एवं स्कूल स्तर पर बनी विशेष कमेटी सुरक्षा नियमों को परखेगी। सबसे अच्छा निर्णय यह है कि उपायुक्त व एसडीएम खामी पाए जाने पर स्कूल की मान्यता अपने स्तर पर रद कर सकेंगे या दिए जाने वाला अनुदान रोक सकेंगे। अब आवश्यकता योजना को सही ढंग से क्रियान्वित की है। इसके लिए इच्छाशक्ति बेहद जरूरी है। प्रशासन, स्कूल प्रबंधन और अभिभावक तीनों को अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभानी होगी। तभी इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। मामला विद्यार्थियों की सुरक्षा से जुड़ा है। उनके जीवन से खिलवाड़ की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]