इस वर्ष के स्वच्छ सर्वेक्षण में शीर्ष स्थान पर अपना नाम दर्ज कराने वाले शहरों के शासकों और प्रशासकों के साथ वहां के नागरिक भी प्रशंसा के पात्र हैं। स्वच्छता अभियान को सफलता तभी मिलती है जब सभी मिलकर अपने शहर को साफ-सुथरा बनाने में योगदान देते हैं। इसका बढि़या उदाहरण है इंदौर।

इंदौर ने 2017 में देश के सबसे साफ-सुथरे शहर का दर्जा हासिल किया था। तबसे वह लगातार शीर्ष पर बना हुआ है। इसका मतलब है कि अगर सफाई की बेहतर कार्ययोजना पर अमल करने की इच्छाशक्ति का परिचय दिया जाए और लोगों को अपने साथ जोड़ा जाए तो उदाहरण पेश किए जा सकते हैं।

मुश्किल यह है कि ऐसे उदाहरण अनुकरणीय नहीं बन रहे हैं। इसी कारण यह देखने को मिल रहा है कि जो शहर स्वच्छ सर्वेक्षण की सूची में शीर्ष पर हैं उनके पड़ोसी और कुछ मामलों में तो उनसे सटे शहर कहीं अधिक पीछे दिख रहे हैं।

बतौर उदाहरण नई दिल्ली ने स्वच्छ सर्वेक्षण में बेहतर स्थान हासिल किया, लेकिन पड़ोसी शहर उसके आसपास भी नहीं दिखे। आखिर सफाई के मामले में जैसा काम नई दिल्ली ने किया वैसा दक्षिणी, पूर्वी और उत्तरी दिल्ली क्यों नहीं कर सकीं?

यही बात नवीं मुंबई से सटे इलाकों पर लागू होती है। यदि नवीं मुंबई खुद को साफ-सुथरा रखने की इच्छाशक्ति दिखा सकती है तो उससे सटे शहर क्यों नहीं? आखिर पूरी दिल्ली और पूरी मुंबई बेहतर साफ-सफाई का उदाहरण कब पेश करेंगी? क्या कारण है कि स्वच्छता के मामले में प्रतिस्पद्र्धा का भाव जोर नहीं पकड़ा रहा है?

हालांकि स्वच्छ सर्वेक्षण में कम और अधिक आबादी वाले शहरों का वर्गीकरण किया गया है, लेकिन इसके आधार पर इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता कि ज्यादा आबादी वाले शहरों को साफ रखना कठिन काम है। आबादी से अधिक महत्वपूर्ण है स्वच्छता को लेकर दिखाई जाने वाली संकल्पशक्ति।

नि:संदेह साफ-सफाई के मामले में संसाधनों की एक बड़ी भूमिका है, लेकिन वे तभी कारगर साबित हो सकते हैं जब इस इरादे का परिचय दिया जाएगा कि हमें अपने शहर को स्वच्छ बनाना है। यह परिचय केवल इसलिए नहीं दिया जाना चाहिए कि स्वच्छता सेहत के साथ पर्यावरण की भी रक्षा करती है, बल्कि इसलिए भी कि उससे देश की छवि निखरती है।

स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि नगर निकायों को और अधिक जवाबदेह बनाया जाए तथा कचरा निस्तारण के ठोस प्रबंध किए जाएं। स्वच्छता की संस्कृति विकसित करने के लिए यह भी जरूरी है कि घर-परिवार के साथ स्कूलों में साफ-सफाई के महत्व पर और जोर दिया जाए। घर के साथ पास-पड़ोस को भी साफ रखना हमारी आदत बनना चाहिए।