धोखेबाजी का पर्याय बन चुके चीन की सेना ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक बार फिर जिस तरह यथास्थिति बदलने की कोशिश की, उससे यह और अच्छे से स्पष्ट हुआ कि वह बातचीत के जरिये समस्या सुलझाने और शांति बनाए रखने का ढोंग ही कर रहा था। इस ढोंग का पता उन वार्ताओं की नाकामी से भी चलता है जो सीमा पर तनाव दूर करने के लिए होती रही हैं। चूंकि चीन ने इन वार्ताओं में बनी सहमति के हिसाब से कदम उठाने से इन्कार किया, इसलिए इसमें रत्ती भर भी संदेह नहीं कि वह भारत की आंखों में धूल झोंकने की फिराक में है। वह बातचीत के बहाने समय जाया करने के साथ ही अपने अतिक्रमणकारी रवैये को बरकरार रखना चाह रहा है। चीन के इस शातिर इरादे की नए सिरे से पोल खुल जाने के बाद भारत को अपनी रणनीति के साथ ही उसके प्रति अपने रवैये में भी व्यापक बदलाव लाना होगा। यह इसलिए और आवश्यक है, क्योंकि वह कहीं अधिक निर्लज्जता के साथ शत्रुतापूर्ण हरकतें कर रहा है। लद्दाख में चीनी सेना की ताजा हरकत इस पर मुहर लगाती है कि उसे उकसावे वाली कार्रवाई करने के लिए अपने शीर्ष नेतृत्व से निर्देश मिल रहे हैं।

कम्युनिस्ट चीन के तानाशाह शी चिनफिंग ठीक उसी तरह व्यवहार कर रहे हैं जैसे नाजी जर्मनी के समय हिटलर कर रहा था। कम से कम चिनफिंग के सत्ता में रहते हुए तो भारत को यह उम्मीद बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए कि चीन अपने अतिक्रमणकारी रवैये से बाज आएगा। यह संभव नहीं कि चीनी नेतृत्व भारत से संबंध सुधारने की पहल करने का दावा करे और उसकी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर छेड़छाड़ करे। भारत को जल्द ही इस नतीजे पर भी पहुंचना होगा कि अभी तक चीन के खिलाफ आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर जो कदम उठाए गए हैं, उनसे उसकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा है। भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह कहने में अपने संकोच का परित्याग करना होगा कि चीन शत्रु देश की तरह व्यवहार कर रहा है और इस क्रम में अंतरराष्ट्रीय मान्यताओं को धता बता रहा है।

यह सही समय है कि भारत तिब्बत, ताइवान, हांगकांग समेत दक्षिण चीन सागर के मसलों पर मुखर हो। यह ठीक है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात भारतीय सेना अति सतर्क हैं और इसी कारण उसने बदमाश चीनी सेना को एक बार फिर सबक सिखाया, लेकिन अब शरारती और घोर अविश्वसनीय शत्रु के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने की नीति पर चला जाना चाहिए। वैसे भी इसका अंदेशा बढ़ गया है कि चीनी सेना फिर वैसी ही हरकत कर सकती है जैसी विगत दिवस की।