नक्सल विरोधी अभियान में नक्सलियों और नक्सली के नाम पर सक्रिय आपराधिक गिरोह की पहचान करनी होगी। उनके खिलाफ समय रहते ठोस कार्रवाई करनी होगी।
---------
नक्सलियों के खिलाफ राज्य सरकार के प्रभावी अभियान के बीच बूढ़ा पहाड़ राज्य सरकार और सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बनकर खड़ा है। झारखंड के लातेहार और गढ़वा के साथ छत्तीसगढ़ की सीमा से लगने वाला बूढ़ा पहाड़ भौगोलिक स्थिति के कारण पूरी तरह नक्सलियों के लिए माकूल है। यही कारण है कि शीर्ष माओवादी अरविंद और सुधाकरण इसी इलाके को सुरक्षित ठिकाना मान आश्रय लिए हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुख्य सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार हाल में ही झारखंड के दौरे पर थे। लातेहार का दौरा कर वे गिरिडीह निकले ही थे कि लातेहार के बारेसाढ़ थाना क्षेत्र के लाटू जंगल में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग का विस्फोट कर उन्हें सलामी दी। यहां नक्सल विरोधी अभियान चल रहा है। जवान सर्च में निकले हुए थे। सवाल यह है कि इस दुरुह इलाके में सर्च अभियान में लगे जवानों को बारूदी सुरंग का एहसास नहीं हुआ। शुक्रवार को हुए विस्फोट में सीआरपीएफ कमांडेंट सहित सुरक्षा बल के पांच जवान घायल हो गए। इस साल अब तक बारूदी सुरंग विस्फोट की दो घटनाएं हुई हैं जबकि झारखंड बनने के बाद डेढ़ सौ से अधिक। के विजय कुमार नक्सल मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं। 9 अक्टूबर को के विजय कुमार झारखंड के पुलिस महानिदेशक डीके पांडेय के साथ बूढ़ा पहाड़ का मुआयना करने गए थे। हेलीकाप्टर से गढ़वा के करमडीह पुलिस पिकेट पहुंचे और वहां से बाइक से बूढ़ा पहाड़ पहुंचे। करीब दो घंटे रहे। नक्सलियों से मुकाबले के लिए तैनात जवानों की हौसला अफजाई की।
गृह मंत्रालय के सुरक्षा सलाहकार जब बूढ़ा पहाड़ की चढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान सोशल साइट पर बूढ़ा पहाड़ व जलडोरा गांव से 13 लोगों को माओवादियों द्वारा उठा लेने की खबर वायरल हई। एसपी खंडन कर रहे हैं। तथ्यों पर पर्दा डालने के बदले वहां अपनी पहुंच बनाते हुए जमीनी हकीकत को समझना होगा। उन गांवों में पुलिस या आम लोगों की पहुंच आसान नहीं है। नक्सल विरोधी अभियान में नक्सलियों और नक्सली के नाम पर सक्रिय आपराधिक गिरोह की पहचान करनी होगी। उनके खिलाफ समय रहते ठोस कार्रवाई करनी होगी। जंगली, पहाड़ी इलाकों में पतझड़ का मौसम नक्सल अभियान के माकूल होता है। पत्तों के झड़ जाने के कारण एरियल सर्वे से नक्सलियों के ठौर की पहचान आसान हो जाती है। इसका फायदा पुलिस के साथ सुरक्षा बलों को उठाना होगा तभी राज्य से नक्सलियों के खात्मे की घोषणा पूरी हो सकेगी।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]