जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा प्रबंध बढ़ाए जाने और घाटी गए पर्यटकों और अमरनाथ श्रद्धालुओं को तुरंत लौटने का निर्देश देने के बाद से तरह-तरह की अटकलों का दौर जारी है। कश्मीर में चौकसी बढ़ाए जाने का एक कारण यह माना जा रहा है कि पाकिस्तान वहां नए सिरे से कोई बड़ी खुराफात करने की तैयारी में है। पता नहीं सच क्या है, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि सीमा पर गतिविधियां तेज होने के साथ ही आतंकियों की घुसपैठ का खतरा बढ़ गया है। पाकिस्तान कुछ भी कह रहा हो उस पर तनिक भी भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। इसी के साथ कश्मीर में उसकी हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हर संभव कड़े कदम भी उठाए जाने चाहिए। इस मामले में मोदी सरकार के इरादों को लेकर किसी को कोई संशय भी नहीं होना चाहिए।

समझना कठिन है कि राज्य में सुरक्षा मोर्चे को मजबूत किए जाने से कश्मीरी नेता परेशान क्यों हैं? उनकी ओर से ऐसा माहौल बनाया जाना ठीक नहीं कि कश्मीर पर केंद्र सरकार के संभावित कदम घाटी की जनता के लिए अहितकारी हो सकते हैं। इससे खराब बात यह है कि वे यह भी प्रतीति कराने में लगे हुए हैं कि कश्मीर का हित राष्ट्रहित से अलग है। यह ठीक मानसिकता नहीं और इसका उपचार किया ही जाना चाहिए।

कश्मीर के एक वर्ग में खुद को देश से अलग और विशिष्ट मानने की जो मानसिकता पनपी है उसकी एक बड़ी वजह अनुच्छेद 370 है। यह अलगाववाद को पोषित करने के साथ ही कश्मीर के विकास में बाधक भी है। इसी कारण अनुच्छेद 370 का शुरू से ही विरोध होता चला आ रहा है। कश्मीर संबंधी अनुच्छेद 35-ए भी निरा विभेदकारी है। इन दोनों अनुच्छेदों पर कोई ठोस फैसला लिया ही जाना चाहिए। या तो इन्हें हटाया जाए या फिर संशोधन के जरिये उनकी विसंगतियों को दूर किया जाए। इसका कोई औचित्य नहीं कि ये दोनों अनुच्छेद कश्मीर को देश की मुख्यधारा से जोड़ने और साथ ही वहां समुचित विकास करने में बाधक बने रहें।

नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नेता चाहे जितना शोर मचाएं, कश्मीरी जनता को यह पता होना चाहिए कि ये दोनों अनुच्छेद उनके लिए हितकारी साबित नहीं हुए हैं। यदि इन अनुच्छेदों से किसी का भला हुआ है तो चंद नेताओं का और यही कारण है कि वे इस आशंका से दुबले हुए जा रहे हैं कि कहीं मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को परिवर्तित न कर दे। पता नहीं मोदी सरकार के एजेंडे में क्या है, लेकिन उसे यह समझना ही होगा कि कश्मीर पर कोई बड़ा फैसला करने का समय आ चुका है।

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