नए साल का आगमन कुछ नया और बेहतर होने की उम्मीदें लेकर आता है। यदि इन उम्मीदों को पूरा करने के प्रयास मन से होते हैैं तो वे सफल भी होते हैैं और हालात भी बदलते हैैं। यह बात जितनी व्यक्तियों पर लागू होती है उतनी ही समाज और राष्ट्र पर भी। नि:संदेह समाज और राष्ट्र को आगे ले जाने के लिए सरकारें बहुत कुछ कर सकती हैं, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि वे सब कुछ नहीं कर सकतीं। जो कुछ वे नहीं कर सकतीं या फिर तय समय में अच्छे से पूरा करके नहीं दिखा सकतीं उसकी यदि पहचान हो सके और समाज अपने स्तर पर योगदान देने के लिए आगे आ सके तो वह सब कुछ हो सकता है जो अभीष्ट है।

कोई गुजरे हुए कल को चाहे जिस रूप में देखे और बीते बरस का लेखा-जोखा चाहे जैसे करे, इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि उसने तमाम ऐसे उदाहरण भी उपलब्ध कराए हैैं जो यह दिखाते हैैं कि कैसे किसी एक व्यक्ति या फिर संस्था अथवा सामूहिक प्रयासों ने किसी मोहल्ले, गांव, इलाके अथवा शहर की तस्वीर बदल दी। मिसाल के तौर पर स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों से लेकर महानगरों तक में कहीं किसी एक शख्स ने तो कहीं कई लोगों ने मिलकर यह साबित किया कि वह सब हो सकता है जिसे असंभव सा माना जा रहा था। यदि मुंबई के समुद्र तट, काशी के घाट, कई शहरों के सार्वजनिक स्थल और मध्य प्रदेश का इंदौर शहर स्वच्छता की मिसाल कायम कर सका तो इसका अर्थ यही है कि ऐसे काम अन्यत्र भी हो सकते हैैं और केवल सफाई के मामले में ही नहीं। आखिर यह तथ्य है कि आम लोगों की जागरूकता और सरकार एजेंसियों की सक्रियता ने उन इलाकों में लैैंगिक अनुपात में सुधार करके दिखाया जो लड़कों के मुकाबले कहीं कम लड़कियों के लिए कुख्यात थे।

आम तौर पर सरकारी योजनाओं के प्रति रुख-रवैया शिकायत भरा रहता है, लेकिन आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने इस धारणा को पुष्ट करने का काम किया है कि उनके जरिये भी बेहतरी और बदलाव की ओर बढ़ा जा सकता है। नि:संदेह गंगा नदी अभी साफ नहीं हुई है, लेकिन उसे प्रदूषण मुक्त करने के क्रम में कुछ ऐसे काम हुए हैैं जो इस भरोसे को बल देते हैैं कि इस महान नदी को साफ-सुथरा करने में हम कामयाब हो सकते हैैं। जरूरी केवल यह नहीं कि बेहतर कल के प्रति भरोसा कायम रखा जाए, बल्कि यह भी है कि बतौर एक नागरिक अपने-अपने हिस्से के दायित्व निर्वहन की संभावनाएं भी टटोली जाएं। यह न केवल राष्ट्रीय जीवन में आवश्यक सकारात्मकता का संचार करेगा, बल्कि वह प्रेरणा भी प्रदान करेगा जो स्वयं के साथ ही दूसरों के जीवन में बदलाव लाने में सहायक बनती है।

नए वर्ष का आगमन वह क्षण है जो कुछ नया करने और सोचने का अवसर उपलब्ध कराता है। इससे अच्छा और कुछ नहीं कि इस अवसर का उपयोग खुद को प्रेरित करने के लिए किया जाए। नि:संदेह यह भाव ही बहुत कुछ बदल देगा कि हम सबको अपने और अपनों के लिए कुछ बेहतर करना है।