देश की एकता-अखंडता को मजबूत करने वाले ऐतिहासिक कदम के रूप में अनुच्छेद-370 की समाप्ति के बाद आजादी के जश्न का आकर्षण और उत्साह बढ़ जाना स्वाभाविक है। ऐसे फैसले देशवासियों को एकजुट करने के साथ उनमें अपने राष्ट्र के प्रति गौरव, समर्पण और प्रेम को बढ़ाने वाले होते हैैं। इस परिदृश्य में लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के प्रति लोगों की रुचि और उत्सुकता बढ़ गई है। कई बड़े निर्णयों के साथ अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत कर मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह नए भारत के निर्माण के अपने संकल्प के प्रति समर्पित है और उसकी दिशा सही है। मोदी सरकार के साथ एक सकारात्मक बात यह है कि उसने अपने पहले कार्यकाल में सुधार और परिवर्तन की जमीन तैयार कर ली थी। सुधारों का सिलसिला तेज कर अब इसे एक नया आयाम देने का वक्त है। एक बड़े बहुमत से शासन में आई सरकार अपने मजबूत इरादों के साथ ऐसा कर सकती है।

स्वतंत्रता दिवस एक राष्ट्र को अपने भावी पथ पर दृष्टि डालने का अवसर देता है। यह अवसर हम सबको यह स्मरण भी कराता है कि भारत सरीखे देश का वांछित कायाकल्प लोगों के सहयोग से ही हो सकता है। यह आवश्यक है कि आज जब भारत अपने संकल्प को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है तब देश के सभी लोग अपने हिस्से की जिम्मेदारी का न केवल अहसास करें, बल्कि निर्वाह भी करें। यह सही समय है जब लोग अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के प्रति भी सचेत और सक्रिय हों। उनमें छोटे-बड़े नियमों के पालन का अनुशासन और परस्पर सद्भावना बढ़े। वे राष्ट्र को कुछ देने के भाव से लैस हों। इस तथ्य को समझें कि सरकार सब कुछ नहीं कर सकती है।

स्वच्छता जैसे अभियान लोगों की सक्रियता से ही सफल होंगे। ये कोई बड़े काम नहीं हैैं। इस मामले में सबसे ज्यादा अपेक्षा यदि किसी से है तो वह देश के युवाओं से है। वे न केवल खुद को और लोगों को दिशा देने का काम कर सकते हैैं, बल्कि राष्ट्रीय भावना को बल देने में भी सहायक बन सकते हैैं। नि:संदेह उन्हें अपने बेहतर भविष्य की चिंता करनी होगी, लेकिन उनकी चिंताओं का सही तरह से समाधान तभी होगा जब राष्ट्र का भविष्य भी निखरता हुआ दिखाई देगा।

आज आवश्यकता इसकी है कि हम यह समझें कि एक नागरिक के तौर पर राष्ट्र उत्थान में हर किसी का योगदान होता है। दुनिया के जिन भी देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में मिसाल कायम की है वे ऐसा तभी कर सके हैैं जब वहां के लोगों ने राष्ट्रीय संकल्प को स्वयं के संकल्प के रूप में अंगीकार किया है।