इससे खराब बात और कोई नहीं हो सकती कि कई राज्य गरीबों को मुफ्त दिए जाने वाले अनाज के वितरण में हीलाहवाली दिखा रहे हैं। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान तो यहां तक कह रहे हैं कि आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना आदि राज्य प्रवासी मजदूरों को वितरित किए जाने वाले अनाज का भंडार उठाने से ही इन्कार कर रहे हैं। इसका सीधा मतलब है कि ये राज्य इसकी चिंता करना जरूरी नहीं समझ रहे कि रोजगार के अभाव में बड़े शहरों से अपने गांव-घर लौटे मजदूर भूखे पेट न रहें। यह घोर संवेदनहीनता ही नहीं, गरीब विरोधी रवैया भी है।

राज्यों के ऐसे रवैये के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि प्रधानमंत्री ने गत दिवस पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को नवंबर माह तक विस्तार देने की जो घोषणा की वह सही तरह जमीन पर उतर पाएगी या नहीं? चूंकि यह योजना मार्च से ही लागू है इसलिए यह सवाल उठना भी स्वाभाविक है कि क्या उस पर ढंग से अमल किया जा रहा है? यह सवाल इसलिए, क्योंकि इस योजना पर अमल के बाद यह सामने आया था कि कुछ राज्यों में प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज देने में सुस्ती का परिचय दिया जा रहा है।

इससे बड़ी विडंबना और कोई नहीं कि गरीब हितैषी बनने-दिखने के लिए कई राजनीतिक दल यह आरोप तो लगाते हैं कि मोदी सरकार गरीबों की पर्याप्त चिंता नहीं कर रही है, लेकिन वे उनके हित की योजना को आगे बढ़ाने में आनाकानी भी करते हैं। आखिर यह हाथी के दांत खाने के और-दिखाने के और वाली कहावत चरितार्थ करना नहीं तो और क्या है? रामविलास पासवान को जिस तरह यह कहना पड़ा कि राज्य सरकारें गरीबों को दिए जाने वाले अनाज का अगले पांच महीने का भंडार भारतीय खाद्य निगम के गोदामों से उठाने में कोताही न करें उससे राज्यों के ढुलमुल रवैये की ही पुष्टि होती है।

तथ्य यह भी है कि कई राज्यों ने अनाज उठा तो लिया है, लेकिन उसे वितरित करने में ढिलाई बरत रहे हैं। राज्यों के ऐसे रवैये के बाद इसे और आसानी से समझा जा सकता है कि एक देश-एक राशन कार्ड की महत्वाकांक्षी योजना को देश भर में लागू करने में देरी क्यों हो रही है? अगर यह योजना समय रहते पूरे देश में लागू हो गई होती तो शायद इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों को पलायन नहीं करना पड़ता। बेहतर हो केंद्र सरकार 80 करोड़ लोगों को अपने दायरे में लेने वाली पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को सही ढंग से लागू कराने के लिए राज्यों पर न केवल दबाव बनाए, बल्कि उनकी निगरानी भी करे।