दिल्ली के एक मदरसे में 70 साल के मौलाना द्वारा आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म किए जाने की घटना अत्यंत निंदनीय है। आए दिन होने वाली दुष्कर्म की घटनाएं सोचने पर विवश करती हैं कि आखिर ये कैसा समाज है, जहां महिलाओं-किशोरियों से लेकर बच्चियों तक को लोग हवस का शिकार बनाने से बाज नहीं आते। नरेला के मदरसे में हुई इस घिनौनी वारदात के आरोपित मौलाना ने न सिर्फ बच्ची से दुष्कर्म किया, बल्कि उसे डराया और उसकी बुरी तरह पिटाई भी की। बच्ची का रोहिणी के एक अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। मौलाना को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन सवाल यह है कि राजधानी में ऐसी घटनाएं कब तक होती रहेंगी? दिल्ली पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि गत वर्ष राजधानी में औसतन प्रतिदिन दुष्कर्म के पांच मामले दर्ज किए गए और कुल 2049 मामले सामने आए। यौन उत्पीड़न के 3273 और छेड़छाड़ के 894 मामले सामने आए।

वर्ष 2012 में हुई वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कई स्तर पर प्रयास करने के वादे किए गए थे। लेकिन, पांच साल पहले की सूरत में तनिक भी बदलाव नजर नहीं आता है। बच्चियां अब भी स्कूलों-मदरसों और स्कूल बसों में महफूज नहीं हैं, वहीं महिलाएं भी घर से बाहर अपनी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। जरूरत है कि दुष्कर्मी को सख्त से सख्त सजा कम से कम समय में सुनाई जाए। साथ ही अभिभावकों, शिक्षकों और धर्मगुरुओं की मदद से लोगों को महिलाओं के प्रति सम्मान दर्शाने की सीख दी जानी चाहिए। स्थिति में सुधार तभी होगा, जब हर वर्ग अपनी जिम्मेदारी समझते हुए महिलाओं के प्रति लोगों की सोच बदलने की ईमानदार कोशिश करेगा।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]