[मुख्तार अब्बास नकवी]। COVID-19: वर्ष 2001 में 26 जनवरी को गुजरात के उत्तर पश्चिमी क्षेत्र कच्छ, भुज, अंजार और गांधीधाम आदि इलाकों में भयंकर भूकंप आया था जिसमें व्यापक संख्या में जान-माल का नुकसान हुआ था, लेकिन अपनी मजबूत इच्छाशक्ति और संकल्प से उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने भूकंप के संकट पर जीत हासिल की थी।

दुनिया अचंभित थी कि इतनी बड़ी त्रसदी जिसमें 80 प्रतिशत से ज्यादा खाने-पीने के स्नेत नष्ट हो गए हों, लाखों लोग बेघर हो गए हों, हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ी हो, परंतु कुछ ही दिनों पहले मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने वाले नरेंद्र मोदी ने किस तरह से हालात को बेहतर बनाने का काम किया। दुनिया के तमाम देश उस कच्छ-भुज इलाके को देख कर आश्चर्यचकित थे कि इतने कम वक्त में इन इलाकों में बर्बादी के निशान इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं।

जनवरी 2020 में जिस समय दुनिया में कोरोना संक्रमण की चर्चा शुरू ही हुई थी, उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संभावित संकट से निपटने के प्रभावी उपायों की रूपरेखा तैयार कर चुके थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 11 मार्च, 2020 को कोरोना को वैश्विक महामारी घोषित किया था। उससे दो सप्ताह पूर्व ही भारत के सभी हवाई अड्डों पर विदेश से आने वाली सभी उड़ानों से आए यात्रियों की आरंभिक जांच शुरू हो गई थी। एक मार्च 2020 या उसके बाद विदेश से आए सभी लोगों को कम से कम दो सप्ताह का आइसोलेशन या क्वारंटाइन आवश्यक कर दिया गया था।

जिस समय दुनिया कोरोना संक्रमण की गंभीरता पर बहस कर रही थी, उस समय प्रधानमंत्री मोदी वे सभी उपाय-तैयारियां कर रहे थे जो आने वाले दिनों में जरूरी होंगी। चाहे चिकित्सा उपकरणों के आयात की बात हो या जांच केंद्र हों, जनवरी 31 को ही सेना द्वारा क्वारंटाइन-आइसोलेशन सेंटर बनाना हो या सुरक्षा और स्वास्थ्य के पुख्ता इंतजाम हों, रक्षा मंत्रलय ने सूरतगढ़, जैसलमेर, झांसी, जोधपुर, चेन्नई, कोलकाता, देवलाली आदि स्थानों पर क्वारंटाइन सेंटर तैयार किए जहां विदेश से आ रहे भारतीयों को रखा गया। नौसेना ने मुंबई, कोच्ची, विशाखापत्तनम एवं अन्य नौसेना अस्पतालों में ऐसी ही व्यवस्था की। इतना ही नहीं, कोरोना संक्रमण के लक्षण पाए जाने वालों या फिर कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने वालों के लिए केंद्र सरकार की ओर से सौ से अधिक सरकारी-प्राइवेट अस्पतालों में व्यवस्था की गई। इसी प्रकार राज्य सरकारों को भी इसके पुख्ता इंतजाम करने के लिए कहा गया। दुनिया भर में कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित देशों की तुलना में बहुत पहले ही संपूर्ण भारत में लॉकडाउन कर दिया गया। लगभग 130 करोड़ की आबादी वाले देश में लॉकडाउन का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच का ही परिणाम है।

देश-दुनिया के विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन को कार्यान्वित किए जाने के कारण भारत में कोरोना संक्रमण के करीब 150 गुना कम केस हुए हैं। कोरोना के खिलाफ जंग में प्रधानमंत्री की अग्रणी भूमिका ने लोगों में गजब का विश्वास पैदा किया। जनता कफ्यरू से लेकर लॉकडाउन तक का यदि जनसमर्थन देखें तो यह अद्भुत रहा। प्रधानमंत्री मोदी की अपील को अपार जनसमर्थन मिल रहा है। घरों में बंद करोड़ों लोगों का मनोबल बढ़ाने के उनके प्रयासों को जनता ने तहे दिल से स्वीकार किया। ताली-थाली बजाकर स्वास्थ्य, सुरक्षा, सफाई कर्मियों का उत्साह बढ़ाने की अपील हो या टॉर्च, मोबाइल की लाइट जलाना हो, यह सब प्रधानमंत्री द्वारा देश के करोड़ों लोगों के साथ इस संकट की घड़ी में जुड़ने का माध्यम था। देश के सभी नागरिकों द्वारा कोरोना के कहर का मिल कर मुकाबला करने का संकल्प था। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में लोगों का अपने नेता पर अटूट विश्वास करना, इस सदी की ऐतिहासिक घटना होगी। लोगों के विश्वास और लोगों की सेहत, सलामती के संकल्प से भरपूर मोदी के कड़े और बड़े फैसलों ने कोरोना के बेकाबू कहर से काफी हद तक भारत को महफूज रखा।

प्रधानमंत्री मोदी लगातार पड़ोस के देशों एवं विश्व के नेताओं से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जुड़े रहे। अपने देश के सभी मुख्यमंत्रियों, सामाजिक- औद्योगिक संगठनों के लोगों, विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख लोगों से संपर्क-संवाद के जरिये फीडबैक लेते रहे और उसके आधार पर आगे बढ़ते रहे। अपनी सरकार के सभी मंत्रियों को अलग-अलग राज्यों की जिम्मेदारी दे कर स्थानीय प्रशासन से ग्राउंड रिपोर्ट हासिल कर कमियों-सुधारों को पुख्ता करते रहे। लॉकडाउन के बीच गरीबों-जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने कई कदम उठाए। इस दौरान बड़ी संख्या में लाभार्थियों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से राशि वितरित की गई है।

प्रधानमंत्री हमेशा लोगों को विश्वास दिलाते रहे कि यदि हमने संयम और अनुशासन से यह लड़ाई लड़ी तो जरूर जीतेंगे। जिस समय दुनिया के कई देश इस संकट पर दिशाहीन नीति से बौखलाहट और हताशा का परिचय दे रहे हैं, भारत के लोग स्वयं को भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं कि उनके साथ एक दूरदर्शी संकटमोचन योद्धा के रूप में नरेंद्र मोदी जैसे नेता खड़े हैं। विश्व के नेता और लोग इस संकट के समय मोदी की दूरदर्शी सोच और सक्रियता की सराहना कर रहे हैं और उनसे सबक ले रहे हैं।

[केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री]