[ तरुण विजय ]: देश के साथ दुनिया का ध्यान खींचने वाली भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ह्यूस्टन सभा के अवसर पर हम भारतीयों को 126 साल पहले स्वामी विवेकानंद के उस संबोधन का स्मरण भी करना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा था, सिस्टर्स एंड ब्रदर्स अॉफ अमेरिका...। इसके बाद सभा भवन कई मिनटों तक तालियों से गूंजता रहा था और भारत के प्रति दुनिया की दृष्टि बदल गई थी। स्वामी विवेकानंद 1893 में शिकागो गए थे और उन्होंने वहां दिए गए अपने संबोधन के माध्यम से विश्व में भारत के धर्म और अध्यात्म का जो डंका बजाया उसकी अनुगूंज अभी तक सुनाई देती है। माना जा रहा है कि भारतीय प्रधानमंत्री की ह्यूस्टन सभा भी दुनिया को भारत की ओर न केवल आकर्षित करने वाली, बल्कि उनके नजरिये को भी बदलने वाली साबित होगी। नरेंद्र मोदी ह्यूस्टन में हिंदुस्तान की शक्ति और सामर्थ्य के साथ देश के सवा अरब लोगों के नए सपनों और नए भारत की गूंज से विश्व को अचंभित कर सकते हैैं।

भारत-अमेरिका दोस्ती का ह्यूस्टन अध्याय

भारत-अमेरिका दोस्ती का ह्यूस्टन अध्याय उस समय रचा जा रहा है जब कुछ ही दिन बाद भारत में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भारत की यात्रा पर आने वाले हैैं। इसके पहले भारतीय प्रधानमंत्री रूस में थे और उसके पहले अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ। चीनी राष्ट्रपति की प्रस्तावित भारत यात्रा से पहले भारत और अमेरिका के मध्य अभूतपूर्व मित्रता का यह अध्याय सामरिक महत्व से भी बढ़कर है। चीन ने न केवल कश्मीर के मामले में अनावश्यक रूप से प्रकटतया पाकिस्तान का साथ दिया, बल्कि इस मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भी ले गया। चीन के साथ न केवल हमारे सीमा संबंधी विवाद हैं, बल्कि आयात-निर्यात में भी अनेक महत्वपूर्ण मुद्दे हैैं, जिनसे भारत को गहरी आर्थिक क्षति होती है। जब चीन सामरिक चुनौती के रूप में सामने हो तो ह्यूस्टन सभा का महत्व और बढ़ जाता है।

मोदी की ह्यूस्टन सभा में ट्रंप

मोदी की ह्यूस्टन सभा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सहभागिता न तो अचानक है और न ही केवल औपचारिकतावश। इसके बहुत गहरे कूटनीतिक और सामरिक अर्थ हैैं। ट्रंप को भी ह्यूस्टन सभा में शामिल लाभ होने का लाभ होगा ही। अगले वर्ष होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में ट्रंप भारतीय समुदाय के समर्थन का भरपूर उपयोग करना चाहेंगे। भारत-अमेरिका की प्रगाढ़ता को प्रकट करने वाले इस आयोजन की महत्ता इससे भी समझी जा सकती है कि इसका प्रसारण हिंदी, अंग्रेजी के साथ स्पेनिश भाषा में भी किया जाएगा। वास्तव में ह्यूस्टन में वह होने जा रहा है जो दुनिया में पहले कभी नहीं हुआ। यह विराट और विश्वव्यापी प्रसिद्धि वाला अभूतपूर्व कार्यक्रम उस समय हो रहा है जब भारत ने मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को नया रूप, नया स्वर और नया वैधानिक दर्जा दिया है। इस पर पाकिस्तान केवल खिसियानी बिल्ली की तरह होकर रह गया है।

ट्रंप और मोदी की जोड़ी से दुश्मन परेशान और मित्र बाग-बाग

ट्रंप और मोदी की जोड़ी जब ह्यूस्टन में 50 हजार से ज्यादा भारतीयों के सामने और विश्व में करोड़ों दर्शकों द्वारा देखे जाते हुए दोस्ती की अभिव्यक्ति करेगी तो इसका असर क्या होगा, यह सोच कर दुश्मन परेशान और मित्र बाग-बाग होंगे। पूरी दुनिया में इस सभा का बहुत गहरा असर होने वाला है। पाकिस्तान पहले से ज्यादा मुस्लिम देशों और साथ ही पश्चिमी देशों के मध्य अलग-थलग हो जाएगा। उसे इसका अहसास जितनी जल्दी हो जाए तो अच्छा कि आखिर वह केवल चीन के भरोसे कब तक चलेगा? दुनिया उस पर भरोसा नहीं कर रही है। इसी कारण उसे हर वैश्विक मंच पर मात खानी पड़ रही है।

हर भारतीय ह्यूस्टन की सभा से प्रभावित होगा

इस आयोजन की एक बड़ी बात यह होगी कि विश्वयापी भारतीय समाज का सम्मान और अभिमान ही नहीं, उसका मनोबल भी असीम आकाश तक पहुंचेगा। हर भारतीय चाहे वह अमेरिका में हो या अफ्रीकी अथवा अरब देशों में अथवा यूरोप में, ह्यूस्टन की सभा से प्रभावित और रोमांचित होगा। संयुक्त राष्ट्र के हाल के आंकड़े के अनुसार दुनिया के विभिन्न देशों में डेढ़ करोड़ से अधिक भारतीय प्रवासी रह रहे हैैं। प्रवासियों की संख्या की दृष्टि से भारतीय सबसे आगे हैैं। ह्यूस्टन की सभा उनके लिए एक विशेष अवसर होगी। यह सभा दुनिया के विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीयों की पहचान को बल तो देगी ही, उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाएगी। विदेश स्थित भारतीयों का कद अपने-अपने देश में बढ़ने का सीधा असर उनकी अपनी आर्थिक स्थिति में नए अवसरों की उपस्थिति के रूप में हो सकता है।

[ लेखक भाजपा के नेता और भूतपूर्व राज्य सभा सदस्य हैं ]