[वाईएस बिष्ट]। पाकिस्तान का नाम आते ही उसकी पहचान एक ऐसे देश के रूप में होती है जो कई दशकों से आतंकवाद को बढ़ावा देने में लगा हुआ है। विश्व के कई देशों में आतंक को बढ़ावा देने में उसकी सेना और खुफिया एजेंसी आइएसआइ का अहम किरदार रहा है। लेकिन अब पूरी दुनिया की समझ में आ गया है कि पाकिस्तान की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। हाल ही में अमेरिका के एक अधिकारी ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि हम पाकिस्तान को अपने क्षेत्र में सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करते देखना चाहते हैं। पाकिस्तान को इनके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी, ताकि फिर से तनाव की स्थिति पैदा न हो।

आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई से बचता पाक

पाकिस्तान इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है और भारत में यदि आतंकी हमला हुआ तो इसके लिए पाक को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इस अधिकारी ने कहा कि हाल के दिनों में पाकिस्तान ने कुछ शुरुआती कदम उठाए हैं, लेकिन इसका अभी आकलन करना जल्दबाजी होगी। बालाकोट में भारतीय वायु सेना की एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने कुछ आतंकी संगठनों की संपत्तियां जब्त की हैं और कुछ आतंकियों को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा जैश के कुछ ठिकानों को प्रशासन ने अपने कब्जे में लिया है। पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। पाकिस्तान को यह तय करने की आवश्यकता है कि क्या वह अपने आपको वैश्विक पटल पर एक जिम्मेदार राष्ट्र दिखना चाहता है? या इन आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई न करके अलग-थलग दिखना चाहता है?

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दिखावे की गिरफ्तारी

अमेरिकी अधिकारी ने कहा, ‘हमने पहले भी ऐसा कई बार देखा है कि कुछ लोगों को कुछ वक्त के लिए गिरफ्तार किया जाता है और फिर इन्हें छोड़ दिया जाता है। हाफिज सईद जैसे कई आतंकी सरगना खुलेआम घूम रहे हैं। अमेरिका इनके खिलाफ पाकिस्तान से ठोस कार्रवाई की उम्मीद कर रहा है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद बने अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि जिहादी संगठनों और जिहादी संस्कृति के लिए पाकिस्तान में कोई जगह नहीं है। पाकिस्तान की आतंकियों को संरक्षण देने की नीति से दुनिया भर में उसकी निंदा हो रही है। पुलवामा हमले की प्रतिक्रिया के रूप में भारत ने जैश के बालाकोट स्थित ठिकाने पर हवाई हमला कर उसे नष्ट कर दिया था। पुलवामा हमले की पूरी दुनिया ने निंदा की थी और पाकिस्तान को आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा था।

इमरान का बयान

इसके बाद इमरान ने कहा, ‘पाकिस्तान में जिहादी संगठनों के लिए कोई स्थान नहीं है। हमें यह साबित करना है कि पाकिस्तान शांतिप्रिय देश है और वह जिहादी संस्कृति को खत्म कर रहा है। भारत पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ब्लैक लिस्ट में डलवाने की कोशिश कर रहा है। अगर ऐसा हो गया तो पाकिस्तान के समक्ष आर्थिक समस्याएं पैदा हो जाएंगी।’ दरअसल आतंकियों को मदद देने वाले देशों पर नजर रखने वाले एफएटीएफ ने फरवरी में ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का फैसला किया है और ब्लैक लिस्ट में डालने की चेतावनी दी है। पिछले कुछ समय से भारत सरकार जैश के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए जुटा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 में से 14 सदस्य राष्ट्र वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए तैयार हैं। वीटो पावर वाले तीन देश अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने तो खुद यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पेश किया था।

भारत की यूएन में जानकारी 

भारत ने भी एक बार फिर मसूद अजहर से जुड़ी सूचना और खुफिया जानकारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को उपलब्ध कराई है। सरकार अभी मसूद अजहर के खिलाफ और अधिक जानकारी जुटा रही है ताकि उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सके। रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल जीडी बख्शी के अनुसार, ‘भारत-पाकिस्तान संबंधों में इतने गहरे संकट का कारण क्या है? क्या पुलवामा में 40 जवानों का शहीद होना इसका कारण है? क्या यह सब बहादुर हवाई योद्धा विंग कमांडर अभिनंदन को वापस लाने के लिए था? हमें सुनिश्चित करना था कि हमारे जवानों को उत्पीड़न न सहना पड़े और इसलिए हमने उन्हें लौटाने की मांग की। लेकिन क्या उनकी वापसी से यह लड़ाई खत्म हो गई है और भारत तथा पाकिस्तान के बीच विवाद की जड़ मिट गई है? मुङो नहीं लगता।’ उन्होंने कहा कि भारतीय लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

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भारत के खिलाफ युद्ध

इस गुस्से की जड़ें 30 साल पुरानी हैं। पिछले तीन दशकों से पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ लगातार युद्ध छेड़ा हुआ है। इसकी शुरुआत 1980 के दशक में पंजाब से हुई। उस लड़ाई में भारत ने अपने 21,000 नागरिक (मिलिटरी और सिविलियन) गंवाए। जब इस पर काबू किया गया, तब पाकिस्तान ने अपनी छद्म युद्ध का रुख जम्मू-कश्मीर की ओर कर दिया, जहां पर 45,000 से अधिक जवान और लोग हताहत हुए हैं। वर्ष 1993 में पाकिस्तान ने इस युद्ध का दायरा बढ़ाया और भारत के अनेक शहरों में आतंकी बम हमलों की शुरुआत कर दी। भारतीय लोगों को यह सब ङोलना पड़ा है। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान आतंकियों को समर्थन करना बंद करे। अगर उसने ऐसा नहीं किया तो वह आर्थिक रूप से कंगाल हो जाएगा, क्योंकि विश्व के देशों से मिल रही सहायता उसे बंद हो जाएगी।

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