नरेंद्र शर्मा। Third Wave Of COVID-19 भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन ने हाल ही में यह आशंका जताई है कि कोविड महामारी की तीसरी लहर का आना स्वाभाविक है। हालांकि उन्होंने अपने अनुमान का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करते हुए बाद में यह भी कहा कि कठोर उपायों से तीसरी लहर से बचा जा सकता है। अगर हम कठोर कदम उठाते हैं तो यह संभव है कि तीसरी लहर सभी जगह न आए या वास्तव में कहीं भी न आए। चूंकि प्रोफेसर राघवन के इस बयान पर विवाद व चिंताएं बढ़ गईं थीं, इसलिए उन्होंने अपने दूसरे बयान में सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया। पूरे विश्व में हर जगह कोविड संक्रमण की लहर उठी व गिरी है, इसलिए इसे लहर कहा जाता है। लहरें आती व जाती रहती हैं, जब तक कि उनके उठने के कारणों पर विराम न लग जाए। अत: तीसरी लहर के आने की आशंका को पूर्णत: नकार देना बेवकूफी होगी।

अक्लमंदी यह है कि इस तथ्य को समझा जाए कि संक्रमण बढ़ता कैसे है, कम कैसे होता है और उसके बाद क्या हो सकता है। संक्रमण उस समय बढ़ता है, जब वायरस के पास मानवों को संक्रमित करने के अवसर होते हैं। विधानसभा व पंचायत चुनावों की रैलियों, विवाह व अन्य सामाजिक आयोजनों आदि में भीड़ को बिना कोविड प्रोटोकॉल पालन के एकत्र होने देना, दूसरी लहर को आमंत्रित करने की प्रमुख वजहों में से एक है। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश में पंचायत चुनावों के बाद तो गांवों तक संक्रमण पसर गया। असम, बंगाल, तमिलनाडु, केरल व पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों के बाद हालात अधिक खराब हुए। इसलिए तीसरी लहर से बचने के लिए सबसे पहले यह किया जाए कि सभी भीड़ वाले आयोजनों (राजनीतिक, र्धािमक व सामाजिक) पर महामारी समाप्त होने तक प्रतिबंध लगा देना चाहिए। इस बीच अगर चुनाव कराना अति आवश्यक हो तो प्रचार व मतदान की प्रक्रिया सख्ती के साथ केवल ऑनलाइन तक सीमित रखी जाए।

दूसरी लहर के घातक होने का कारण प्रशासनिक विफलता भी रही। दूसरी लहर आने के संदर्भ में विशेषज्ञों के प्रबल अनुमानों को एक किनारे करते हुए समय पूर्व ही कोविड पर विजय पाने की घोषणा कर दी गई, जिससे ऊपर से नीचे तक लापरवाही पसर गई और आगे आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य तैयारियां नहीं की गईं। साथ ही कोविड केयर सेंटर बंद किए जाने लगे, आक्सीजन का औद्योगिक उपयोग बढ़ा दिया गया और 90 देशों को वैक्सीन बेची या मुफ्त दी गई। परिणाम यह निकला कि जब दूसरी लहर आई तो अस्पतालों में बेड, आक्सीजन, दवा आदि की जबरदस्त कमी निकली। कुछ राज्यों (दिल्ली, कर्नाटक आदि) ने जहां पर्याप्त आक्सीजन सप्लाई के लिए अदालतों में दस्तक दी तो कुछ ने अपनी कमी छुपाने के लिए आक्सीजन की मांग कर रहे अस्पतालों के विरुद्ध एफआइआर की।

बहरहाल, संक्रमण उस समय कम होता है, जब उन लोगों की संख्या बहुत कम हो जाए जो संक्रमित हो सकते हैं। इसके लिए दो काम जरूरी हैं, पहला, युद्धस्तर पर सभी का टीकाकरण कराया जाए और दूसरा यह कि संक्रमित व्यक्ति के उपचार के लिए उचित व्यवस्था हो। दूसरी लहर को काबू में करने व तीसरी से बचने के लिए इस सिलसिले में केरल व महाराष्ट्र का अनुसरण किया जा सकता है। केरल को वैक्सीन की जितनी खुराक दी गई थीं, उससे ज्यादा टीकाकरण किया गया, क्योंकि वहां की नर्सों ने इसका सर्वाधिक बेहतर इस्तेमाल किया है। महाराष्ट्र में लगभग हर अस्पताल में आक्सीजन का बफर स्टॉक है और मेडिकल आक्सीजन बनाने की व्यवस्था भी। ऐसी ही तैयारियों से कोरोना महामारी की लहरों को काबू में किया जा सकता है। (ईआरसी)

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