डॉ रमेश ठाकुर। तराई क्षेत्र अमूनन शांत रहता है। समूचा इलाका वन क्षेत्र और फसली जमीन से घिरा हुआ है। प्राकृतिक धरोहर एवं दुर्लभ किस्म के जंगली जानवरों की चहलकदमी यहां हमेशा बनी रहती है। लेकिन नेपाल ने इस क्षेत्र में अशांति फैलाने की हिमाकत की है। नेपाल ने भारत के साथ लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नियमों का घोर उल्लंघन करते हुए उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में -नो मैन्स लैंड- में जबरन सड़क का निर्माण का काम शुरू किया। हालांकि सयम रहते जानकारी मिलने से भारतीय स्थानीय प्रशासन ने इसे रोक दिया। फिलहाल नेपालियों की इस हरकत ने दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्र को लेकर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया।

दरअसल नो मैन्स लैंड एक ऐसी जगह होती है जिसे दोनों देशों की सीमा निर्धारण के समय कुछ भूमि को छोड दिया जाता है, यह मानकर कि इस पर दोनों ही ओर से कोई अतिक्रमण नहीं किया जाएगा। नो मैन्स लैंड एरिया की कुछ शर्तें और नियम होते हैं, जिनका पालन दोनों देशों को करना होता है। यह इलाका आधिकारिक रूप से किसी देश के अधिकार क्षेत्र में नहीं होता है और यहां सीमा निर्धारण के लिए पिलर या बाड आदि लगा दी जाती है। तराई क्षेत्र में भी दोनों देशों की सीमा से सटा ऐसा क्षेत्र मौजूद है, जो दशकों पहले निर्धारित हुआ था।

अभी कुछ दिन पहले भी नेपाली सैनिकों ने बिहार के सीतामढी जिले में सीमा क्षेत्र में गोलियां चलाकर एक भारतीय नागरिक की हत्या कर दी थी, जबकि मामला महज आपसी मेल-जोल के लिए सीमा के निकट आने से संबंधित था। दरअसल इस इलाके में दोनों तरफ शादियां होती रही हैं, लिहाजा रिश्तेदारी निभाने के लिए लोग इन्हीं सीमाओं से आते-जाते हैं। लेकिन जबसे चीन से भारत के संबंधों में तल्खी आई है, तभी से नेपाल भारतीय सीमाओं पर लगातार कोई न कोई खुराफात कर रहा है। बीते सप्ताह सीतामढी जिले में ही सीमावर्ती क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण को भी कुछ मीटर का दायरा विवादित बताते हुए नेपाली प्रशासन ने रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में दोनों ओर से उच्चाधिकारियों ने आपसी बातचीत के जरिये मामले को सुलझा लिया। लेकिन तराई क्षेत्र के नो मेंस लैंड में जिस तरह से नेपाल निरंतर हरकतों को अंजाम दे रहा है, उससे कई तरह के सवाल खड़े हुए हैं।

केंद्र सरकार भी सकते में है कि आखिर नेपाल ऐसा कर क्यों रहा है? संदेह ऐसा भी जताया जा रहा है कि कहीं किसी के उकसाने से तो ये हरकत नहीं कर रहा। फिलहाल सरकार ने पूरे मामले पर नेपाल सरकार से जवाब मांगा है और काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास को भी इस बारे में जानकारी साझा की है। भारत सरकार को इन सबका जवाब भी मांगना चाहिए ताकि यह पता चल सके कि इसके पीछे कारण क्या है। उल्लेखनीय है कि नेपाल की सीमा के साथ भारत का उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल राज्य जुडा है। इन चारों राज्यों के तमाम सीमावर्ती जिलों में नेपाली लोग बिना वीजा के भारतीय क्षेत्रों में मजदूरी या नौकरी करने आते हैं। ज्यादातर खेतों में काम करने आते हैं। इस वक्त खेतों में धान की रोपाई हो रही है, तो ज्यादातर मजदूर नेपाल से आ रहे हैं। कभी कोई रोक-टोक नहीं हुई। लेकिन उनके मौजूदा कृत्य ने सतर्कता बढ़ा दी है। वहां से भारतीय क्षेत्रों में मजदूरी करने आने वाले मजदूरों को रोक दिया गया है। नेपाल सीमा पर भारतीय सैनिकों की जबरदस्त पहरेदारी शुरू हो गई है।

हालांकि भारतीय सीमा पर भी एसएसबी यानी सशस्त्र सीमा बलों की तैनाती की गई है, लेकिन इस बल ने अभी तक संयम का परिचय देते हुए नेपाल के लोगों के साथ ना तो किसी तरह का दुर्व्यवहार किया है, ना ही उसने नेपाल की किसी भूमि क्षेत्र पर अपना शिविर निर्माण किया है और ना ही उसकी भूमि पर कहीं अतिक्रमण किया है। लेकिन बीते एकाध माह से नेपाल प्रहरी की ओर से जिस तरह की हरकतों को अंजाम दिया गया है, उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

वरिष्ठ पत्रकार