[जयश्री ओजा/आशीष धवन]। शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुनियादी शिक्षा की प्राथमिकता पर जोर देते हुए कहा था कि जब बच्चे पढ़ना सीखेंगे, तभी वे आगे सीख सकेंगे। यदि आसान शब्दों में बुनियादी शिक्षा को समझा जाए तो इसका मतलब कक्षा तीन तक के बच्चों में समझ कर पढ़ने की योग्यता है। यह योग्यता ही आगे की कक्षाओं में बच्चों के सीखने-समझने का प्रवेश द्वार भी है। पढ़कर सीखना बच्चे को तर्कपूर्ण ढंग से सोचने और समस्याओं का समाधान कर पाने के कौशल का धनी बनाता है। इससे उनमें चुनौतियों से जीत की तैयारी सुनिश्चित होती है।

बुनियादी शिक्षा के महत्व पर प्रधानमंत्री ने समझाया था कि कक्षा तीन के पूरा होने पर हर एक बच्चे को एक मिनट में कम से कम 30-35 शब्द समझ के साथ पढ़ना आना चाहिए। समझ के साथ धारा प्रवाह पढ़ने की इसी क्षमता को ओरल रीडिंग फ्लुएंसी (ओआरएफ) कहा जाता है। पूरी दुनिया मे ओआरएफ को समझ के साथ में पढ़ने के लिए सबसे भरोसेमंद संकेतक के तौर पर देखा जाता है। जब बात पढ़ने की हो रही हो तो इसमें कुछ और बातें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

पढ़कर सीख पाना एक क्रमबद्ध प्रक्रिया है

धारा प्रवाह पढ़ने की प्रक्रिया में बच्चे को कई काम सही तरह से करने होंगे, तभी वह पढ़कर सीखने का अपना कौशल विकसित कर पाएगा। पढ़ पाना और पढ़कर सीख पाना एक क्रमबद्ध प्रक्रिया है। इसमें अक्षरों को पहचानना, फिर उन्हें आवाज में बदलना, शब्दों को बनाना और शब्दों को अर्थ से जोड़ना, फिर इन शब्दों से बने वाक्य का सही मतलब समझना शामिल है।

ओआरएफ बहुत अच्छा तरीका है

बगीचे में पेड़ है। इस वाक्य को धाराप्रवाह न पढ़ पाने वाला कक्षा दो का एक बच्चा इस तरह से पढ़ेगा, ब ग इ चे में ए क पे ड़ है। मतलब वह इसे एक वाक्य के रूप में देख पाने की बजाय शब्दों की एक सूची की तरह देखेगा। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बच्चे को पूरा वाक्य शब्दों को पकड़ने में चला जाता है और इस बीच वाक्य का मतलब छूट जाता है। अध्ययन बताते हैं कि बच्चा पढ़कर समझ पा रहा है या नही, यह बताने के लिए ओआरएफ एक अच्छा तरीका है, क्योंकि वाक्यों का अर्थ समझने के लिए शब्दों को सही से जोड़कर धारा प्रवाह पढ़ना जरूरी है।

निपुण भारत अभियान को मिलेगी ऊर्जा

प्रधानमंत्री द्वारा भाषा के कौशल को मापने के लिए ओआरएफ को एक मापक इकाई की तरह इस्तेमाल करने की घोषणा बड़ा कदम है। इससे शिक्षा विभाग, स्कूल प्रबंधन, शिक्षक और माता-पिता को एक साझा समझ विकसित करने में मदद मिलेगी। वे समझ पाएंगे कि प्रवाह के साथ पढ़ने की क्षमता के क्या मायने हैं और इसे कैसे सही तरह मापा जा सकता है? इससे केंद्र सरकार द्वारा 2025 तक यूनिवर्सल फाउंडेशनल लर्निंग हासिल करने के लिए चलाए जा रहे निपुण भारत अभियान को भी ऊर्जा मिलेगी। 

सामाजिक और भावनात्मक विकास में मिलेगी मदद 

अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने बच्चों को यह एक मंत्र भी दिया था-जुट जाओ, खोजो, प्रयोग करो, अभिव्यक्त करो और श्रेष्ठता की ओर बढ़ो। यह मंत्र सीखने के नए और बेहतर दृष्टिकोण की ओर इशारा करता है। यह ज्यादा अनुभव आधारित है। इससे बच्चों के सामाजिक और भावनात्मक विकास में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री की परिकल्पना में पीढ़ियों तक संपूर्ण शिक्षा पहुंचाने में ओआरएफ एक नींव की भूमिका निभाएगा। बच्चों की ओआरएफ संबंधी प्रगति को मापने के लिए यह देखना होगा कि बच्चा धारा प्रवाह पढ़ते हुए एक मिनट में 30-35 शब्द पढ़ पा रहा है या नहीं?

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में चलाए जा रहे कार्यक्रम ‘मिशन प्रेरणा’ में राज्य सरकार ने यह तय किया है कि कक्षा तीन में बच्चों को प्रति मिनट 30-35 शब्दों को समझ के साथ पढ़ना आना चाहिए। भाषा की जटिलता और अन्य जरूरतों के आधार पर सभी राज्य सरकारों को यह लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए कि उनके राज्य में कक्षा तीन के बच्चे अपनी भाषा में एक मिनट में कितने शब्द धारा प्रवाह और सही समझ के साथ पढ़ सकते हैं?

कई हैं ऐसे कारगर तरीके

एनसीईआरटी द्वारा 2017 में किए गए एक सर्वेक्षण ने यह बताया था कि कक्षा तीन के अंत तक केवल 35 प्रतिशत बच्चे समझ के साथ पढ़ने में सक्षम थे। इस तरह के आंकड़े हमें आगे बढ़ने के तरीकों को अपनाने और उनमें आवश्यक सुधार लाने में मदद करते हैं। ऐसे कई कारगर तरीके हैं, जिनके जरिये बच्चों को समझ के साथ पढ़ना सिखाया जा सकता है। जैसे 5 से 8 साल तक के बच्चों को उनकी उम्र के लायक और ऊंची गुणवत्ता वाली पुस्तकें और अन्य रोचक सामग्री उपलब्ध कराना और खासकर मातापिता को बच्चों की सीखने की यात्रा से अच्छी तरह जोड़ना महत्वपूर्ण है। बच्चों में पढ़ने और समझने के कौशल को विकसित करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।

आशा है कि निपुण भारत के अंतर्गत बच्चों और शिक्षकों को सीखने के लिए संसाधन उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त बजट मिलेगा। बुनियादी शिक्षा और ओआरएफ के लिए सभी भागीदारों का एकजुट होना क्यों जरूरी है, यह समझने के लिए स्वच्छ भारत अभियान एक बेहतरीन उदाहरण है। इस अभियान में सभी को मालूम था कि उनके समुदाय, गांव या जिले को खुले में शौच से मुक्त बनाना है। इसी तरह निपुण भारत के अंतर्गत बच्चों को समझ के साथ धारा प्रवाह पढ़ना सिखाने का एक साझा लक्ष्य हमारे बच्चों को बुनियादी शिक्षा सुनिश्चित करने में सबकी मदद करेगा। निपुण भारत की सफलता सभी के सामूहिक रूप से एक लक्ष्य के लिए काम करने से जुड़ी हुई है।

    

(जयश्री ओजा सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन की वरिष्ठ सलाहकार और आशीष धवन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष हैं)

[लेखक के निजी विचार हैं]