प्रो. रमेश चंद्र कुहाड़। भारत अध्ययन-अध्यापन को अधिक समकालीन एवं सुलभ बनाने के लिए डिजिटल शैक्षणिक प्लेटफॉर्म का उपयोग कर ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षण संसाधनों के परीक्षण का वास्तविक समय आया है। शैक्षणिक संस्थानों में कक्षा और प्रयोगशाला पर आधारित अध्यापन अभी बंद हैं। ऐसी स्थिति में छात्रों को निर्बाध रूप से शिक्षा प्रदान करना शैक्षणिक संस्थानों के समक्ष चुनौती बन गया है। ऐसे में जहां इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है, वहां तो शिक्षण कार्य हो पा रहा है, लेकिन जिन क्षेत्रों में इंटरनेट तथा तकनीकी सुविधा का अभाव है, वहां यह चुनौतीपूर्ण कार्य है।

सरकार का उद्देश्य शिक्षा नीति के तीन मुख्य सिद्धांतों-पहुंच, समानता और स्वायत्तता को प्राप्त करना है। इसीलिए स्वयं, नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी, वर्चुअल लैब्स, आइआरआइएनएस, ई-यंत्र, ई-पाठशाला आदि की शुरुआत की गई। सुदूर स्थानों पर रह रहे छात्रों तक विद्या-धन निर्बाध रूप से पहुंचाने के लिए सरकार की एक पहल ‘स्वयं प्रभा’ है। कहा जाता है कि भारत की आत्मा इसके सुदूर क्षेत्रों में बसती है और स्वयं प्रभा के माध्यम से भारत की इसी आत्मा तक शिक्षा पहुंच पा रही है।

स्वयं प्रभा द्वारा चुनौतीपूर्ण समय में सभी छात्रों और यहां तक कि वंचित शिक्षाíथयों को भी जोड़ने में मदद मिली और ऑनलाइन शिक्षण सामग्री की सुविधा के द्वारा उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिली। देश के किसी भी कोने में शैक्षणिक सेवाओं को पहुंचाने के लिए शैक्षिक उपग्रह एक सशक्त माध्यम है। सरकार ने भी महामारी से पहले और महामारी के दौरान शिक्षा की इस प्रणाली के उपयोग पर भरसक बल दिया है। लॉकडाउन की अवधि के दौरान सरकार ने उपग्रह आधारित शिक्षण सेवाओं के वितरण में सफलता प्राप्त की है। स्वयं प्रभा एक स्वतंत्र रूप से सुलभ 32 डीटीएच चैनलों का एक समूह है जो जीसैट-15 सेटेलाइट का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक कार्यक्रमों को 24 घंटे प्रसारित करता है। यह डीडी फ्री डिश और डिश टीवी पर स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है। भारत सरकार ने छात्रों के शिक्षण और प्रशिक्षण में सहायता प्रदान करने के विशिष्ट उद्देश्य के साथ इसकी शुरुआत की थी। यह पाठ्यक्रमों के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी सामग्री भी प्रदान करता है। स्वयं प्रभा चैनलों पर सभी पाठ्यक्रम सामग्री एनसीईआरटी, एनपीटीईएल, आइआइटी, यूजीसी, सीईसी, इग्नू और एनआइओएस द्वारा प्रदान की जाती है। यह वास्तव में मानव संसाधन विकास मंत्रलय द्वारा शुरू किया गया एक बेहतरीन कार्यक्रम है।

सरकार ने निजी डीटीएच ऑपरेटरों के साथ शैक्षिक वीडियो सामग्री को प्रसारित करने के लिए इन चैनलों के अभिगम को अधिक से अधिक छात्रों तक पहुंचाने के लिए करार भी किया है। चूंकि चैनलों में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के सभी विषयों के लिए पाठ्यक्रम सामग्री शामिल हैं, इसलिए छात्रों को इसका भरपूर लाभ भी मिल रहा है। इन संसाधनों का नियमित रूप से छात्रों द्वारा उपयोग किया जाता है। हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि आज भारत के कोने-कोने तक शिक्षा पहुंचाने में स्वयं प्रभा महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में उपलब्ध है। शहरी, उपनगरीय और ग्रामीण शिक्षाíथयों के लिए ऑनलाइन शिक्षा को समान रूप से सुलभ बनाने के लिए इंटरनेट प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण और जरूरी आवश्यकताओं में से एक है। दूरदराज के शिक्षार्थी को अबाधित इंटरनेट कनेक्शन तक पहुंचने में अभी कुछ साल लग सकते हैं, लेकिन भारत पहले से ही सेटेलाइट के माध्यम से दूरस्थ शिक्षार्थी तक पहुंचने के मामले में बेहतर कर रहा है। एक पंक्ति में कहूं तो स्वयं प्रभा भारत की आत्मा तक शिक्षा पहुंचाने का काम बखूबी कर रही है।

कुलपति, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़