[ आशीष कुमार चौहान ]: कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट में समाज के हर एक तबके को दिल खोल कर राहत दी है। इसके लिए उन्होंने लोगों पर किसी तरह के अतिरिक्त कर का बोझ भी नहीं डाला है। वर्ष 2019-20 के लिए पेश अंतरिम बजट में उन्होंने छोटे किसानों के लिए आय सहायता योजना की घोषणा, मध्यम वर्ग को आयकर में छूट, सेना की पेंशन में बढ़ोतरी, असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए पेंशन योजना और एमएसएमई इकाइयों को ब्याज में छूट आदि अनेक कदमों की घोषणा की गई। लगता है कि इस तरह वित्त मंत्री ने लोकसभा चुनावों के लिहाज से जनता का दिल जीतने की पुरजोर कोशिश की है।

उल्लेखनीय है कि ऐसी तमाम राहतें देने के बावजूद लोगों पर करों का कोई नया बोझ नहीं डाला है, बल्कि उन्होंने बजट घाटा घटाने के उद्देश्य से कुछ समाधान भी पेश किया है। इन बजट प्रस्तावों के अलावा वित्त मंत्री ने प्रत्येक मोर्चे पर मोदी सरकार की उपलब्धियों की विस्तृत सूची भी सामने रखी। एकबारगी तो ऐसा लगा कि वह कोई चुनावी घोषणापत्र पढ़ रहे हैैं। शेयर बाजार ने बजट का स्वागत जोरदार तेजी के साथ किया है। विपक्ष को भी इस सर्वसमावेशी बजट की आलोचना करने में कठिनाई महसूस हो रही है।

वित्त मंत्री ने प्रस्ताव रखा है कि पांच लाख रुपये सालाना तक की आमदनी वाले लोगों को आयकर नहीं देना पड़ेगा। यदि वे मान्य कर बचत साधनों में निवेश करें तो उन्हें 6.5 लाख रुपये तक की आय पर आयकर नहीं देना होगा। हालांकि इससे सरकार को अपनी आय में 18,500 करोड़ रुपये का घाटा झेलना होगा। इसके अलावा बजट में स्टैैंडर्ड डिडक्शन वर्तमान 40,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपये किया गया है, किंतु आयकर की दरें यथावत रखी गई हैैं। ब्याज की आय संबंधी स्नोत पर कर कटौती (टीडीएस) की सीमा 10000 रुपये से बढ़ाकर 40000 रुपये की गई है।

किसानों के लिए बहु अपेक्षित आय सहायता योजना की घोषणा की गई है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत दो हेक्टेयर तक की कृषि भूमि के स्वामी किसानों को वार्षिक 6,000 रुपये तीन समान किस्तों में दिए जाएंगे। इसका वार्षिक खर्च 75,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है और उससे 12 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा। यह योजना एक दिसंबर, 2018 से ही लागू मानी जाएगी। इसके अलावा किसानों के लिए पशुपालन और प्राकृतिक आपदा के साथ जुड़ी अन्य कुछ राहतें भी घोषित हुई हैं।

असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए लाई गई पेंशन योजना भी एक अन्य महत्वपूर्ण कल्याणकारी कदम है। प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना के तहत फेरी वाले, रिक्शा वाले, खेत मजदूर और घरेलू कामगारों सहित करोड़ों श्रमजीवियों के मामूली योगदान जितनी रकम सरकार भी उनके खाते में जमा कराएगी। असंगठित क्षेत्र के 42 करोड़ कामगारों में से 10 करोड़ श्रमजीवियों को इस योजना का लाभ मिलेगा। अन्न सुरक्षा योजना के लिए गत वर्ष के 92,000 करोड़ रुपये की तुलना में इस वर्ष 1,70,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जबकि ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए 2019-20 में 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैैं।

वित्त मंत्री ने आयकर कानून की धारा 54 में संशोधन भी प्रस्तावित किया है। मौजूदा कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति यदि अपना घर बेचता है और उसे दीर्घकालीन मुनाफा होता है तथा वह उसका एक घर खरीदने में निवेश करता है तो उसे कोई कर नहीं देना होता है। वहीं वह यदि एक घर बेचकर एक से अधिक घर खरीदता है तो उसे पूंजीगत लाभ कर देना पड़ता है। प्रस्तावित संशोधन के अनुसार अब यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक घर खरीदेगा और अपने पूंजीगत लाभ को निवेश करेगा तो उसे कोई भी टैक्स नहीं देना होगा, लेकिन इसका लाभ लेने के लिए उसे दो शर्तों का पालन करना होगा।

मसलन यह लाभ पूरी जिंदगी में एक बार ही लिया जा सकता है और पूंजीगत लाभ दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। यह संशोधन आकलन वर्ष 2020-21 से लागू होगा। अगर किसी अमीर व्यक्ति का विचार अपने पूंजीगत लाभ को पुन: निवेश करने का हो तो उसे अपने घर को अप्रैल के बाद बेचना चाहिए और नए संशोधनों का लाभ उठाना चाहिए। मौजूदा आयकर कानून की धारा 80/बी केतहत कोई भी व्यक्ति किफायती आवासीय योजना शुरू करता है तो प्रोजेक्ट के कुल मुनाफे को कर योग्य आय की गणना के समय शामिल किया जाएगा। बशर्ते इस प्रोजेक्ट की मंजूरी 31 मार्च, 2019 से पहले होनी चाहिए। अब नए संशोधन के अनुसार इस प्रोजेक्ट की मंजूरी 31 मार्च, 2020 से पहले प्राप्त करनी होगी। रियल एस्टेट डेवलपरों को इससे फायदा होगा। ऐसे में संबंधित व्यक्ति को धारा 80/बी की शर्तों का पालन करना होगा। उसे कंपनी, भागीदारी फर्म, एलएलपी, संयुक्र्त हिंदू परिवार होने पर आयकर कानून की धारा आइआइएसजेजेबी अथवा आइआइएसजेई के तहत बुक लाभ का 18.5 प्रतिशत कर भरना होगा।

सरकार का कहना है कि किफायती आवासीय परियोजना का मुनाफा कर मुक्त है, वह उचित नहीं है। ऐसे अमीर लोगों को 25 प्रतिशत के स्थान पर 18.5 प्रतिशत कर भरना पड़ेगा। आयकर कानून 1961 की धारा 16 के वर्तमान प्रावधानों के अनुसार करदाता को वेतन की आय में 40,000 रुपये का स्टैैंडर्ड डिडक्शन प्राप्त है। बजट 2019-20 में प्रस्तावित प्रावधान के मुताबिक असेसमेंट ईयर (आकलन वर्ष) 2020/21 से अर्थात एक अप्रैल, 2019 से शुरू हो रहे वित्त वर्ष से यह स्टैैंडर्ड डिडक्शन 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया है। फलत: करदाता को वेतन की आय में वार्षिक 2000 से 3000 रुपये तक आयकर में बचत हो सकती है।

आयकर कानून की धारा 194 ए के तहत बैंक डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट आदि पर उत्पन्न ब्याज की रकम 10,000 रुपये से अधिक होने की स्थिति में 10 प्रतिशत की दर से कर कटौती की जाती है। करदाता यदि वरिष्ठ नागरिक हो तो यह सीमा 50,000 रुपये की है। बजट 2019 में प्रस्तावित प्रावधान के अनुसार यह सीमा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 40,000 रुपये की गई है। वरिष्ठ नागरिक के मामले में इस प्रावधान में कोई फेरबदल नहीं किया गया है। प्रस्तावित प्रावधान आकलन वर्ष 2020-21 में लागू होगा।

आयकर कानून की धारा 194-आई में किराया भुगतान की आय 1,80,000 रुपये से अधिक हो तो स्नोत पर कर कटौती की जाती है। बजट 2019-2020 के प्रस्तावित प्रावधान के मुताबिक आकलन वर्ष 2020-21 से यह राशि बढ़ाकर 2,40,000 रुपये की गई है। कुल मिलाकर वित्त मंत्री ने इस बजट में समाज के प्रत्येक वर्ग को कुछ न कुछ फायदा पहुंचाने की सफल कोशिश की है।

( लेखक बीएसई के प्रबंध निदेशक हैैं )