हिसार, राकेश क्रांति। Haryana Liquor Scam लॉकडाउन के दौरान हरियाणा में शराब ठेके बंद थे, फिर भी शराब की किल्लत नहीं थी। होम डिलीवरी चालू थी। यह कैसे हुआ, इसकी परतें खुलने लगी हैं। पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगत से शराब माफिया सरकारी और निजी गोदामों से निकाल कर सप्लाई करने में जुटा था। इनका नेटवर्क पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और दिल्ली तक फैला हुआ है। कोरोना महामारी के वक्त करोड़ों रुपये का घोटाला बाहर नहीं आता, अगर प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज मोर्चा न खोलते। विज के दबाव के कारण शराब माफिया भूपेंद्र सिंह दहिया को आत्मसमर्पण करना पड़ा।

चंडीगढ़ में रहने वाले भूपेंद्र के बड़े नेताओं और अफसरों के साथ नजदीकी रिश्ते हैं। इसका सहज अंदाजा इस बात से लगता है कि पुलिस और आबकारी विभाग ने जब्त शराब रखने के लिए सोनीपत के खरखौदा में तस्कर भूपेंद्र के गोदाम को ही सरकारी गोदाम बना रखा था। इतना ही नहीं, पुलिस ने पिछले साल भूपेंद्र की सात ट्रक शराब पकड़ी थी, वह खेप भी उसके गोदाम में रखी हुई थी। उसके गोदाम में सरकार की करोड़ों रुपये की जब्त शराब रखी थी और वह उसी शराब को निकाल कर लॉकडाउन के दौरान बेच रहा था। प्रारंभिक जांच के दौरान साढ़े पांच हजार पेटी शराब गोदाम से गायब मिली है, जबकि गोदाम के गेट पर पुलिस का पहरा होता था। भूपेंद्र की शासन-प्रशासन के लोगों तक इतनी पहुंच है कि गृहमंत्री विज को भी माफिया से टक्कर लेने में पूरी ताकत लगानी पड़ी। शराब घोटाले की जांच के लिए विज को एसआइटी गठित कराने के लिए एक सप्ताह तक मशक्कत करनी पड़ी।

सीएम के भरोसेमंद अफसर गुप्ता करेंगे जांच : मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने सोमवार को एसआइटी का गठन करके सीनियर आइएएस अधिकारी टीसी गुप्ता को जांच की कमान सौंपी है। गुप्ता मुख्यमंत्री के भरोसेमंद अफसर हैं। वह मुख्यमंत्री की घोषणाओं के क्रियान्वयन की निगरानी करते हैं। टीम में एडीजीपी सुभाष यादव और आबकारी एवं कराधान विभाग के सहायक आयुक्त विजय सिंह को शामिल किया गया है। विज ने एसआइटी के लिए तीन सीनियर आइएएस अफसरों के नाम भेजे थे। उनमें पहला नाम चर्चित आइएएस अधिकारी डॉ. अशोक खेमका का था। दूसरे नंबर पर संजीव कौशल और तीसरे नंबर पर टीसी गुप्ता का नाम था।

गुप्ता को एसआइटी की कमान देने का मतलब है कि मुख्यमंत्री खुद पूरे मामले की निगरानी करना चाहते हैं। इस स्पेशल टीम के दूसरी तरफ जिला स्तर पर पुलिस की कई टीमें अपनीअपनी जांच में जुटी हुई हैं, क्योंकि यह मामला केवल खरखौदा तक सीमित नहीं है। पानीपत के समालखा में भी एक सील गोदाम से 86 लाख की शराब चोरी हुई है। इस गोदाम के मालिक पर चार साल पहले दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगा था। तब से गोदाम सील था। फतेहाबाद में भी एक गोदाम से लाखों रुपये की शराब चोरी हुई है।

जांच में नेता-अफसर होंगे बेनकाब : इस घटनाक्रम के संज्ञान में आने के बाद राज्य के गृहमंत्री अनिल विज की पहली प्रतिक्रिया थी कि राजनीतिक संरक्षण और पुलिस विभाग की साठगांठ के बिना शराब का अवैध कारोबार नहीं चल सकता। तस्कर भूपेंद्र दहिया की गिरफ्तारी के बाद सोनीपत के पुलिस अधीक्षक ने यह कहते हुए मंत्री की बात पर मुहर लगा दी कि भूपेंद्र से पूछताछ के बाद कुछ राजनीतिक और अफसर हमारी जांच के दायरे में हैं। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री की तरफ से गठित एसआइटी की जांच में कौन-कौन नेता और अफसर बेनकाब होते हैं। यह शर्मनाक बात है कि जब हरियाणा के लोग कोरोना महामारी से लड़ने के लिए अपने घरों में बंद थे, तब प्रदेश के कुछ नेता और अफसर अपने मुनाफे के लिए शराब की तस्करी करा रहे थे।

सियासी बवाल की आशंका : प्रदेश में आबकारी एवं कराधान विभाग की कमान उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पास है। हरियाणा सरकार में भाजपा के सहयोगी जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत पर अभय सिंह ने पिछले दिनों ही शराब को लेकर निशाना साधा था। अब इस रहस्योद्घाटन के बाद उनके आक्रामक होने की संभावना है। दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गहराई से जांच की बात उठाई है। उनका कहना है कि अगर एसआइटी को किसी वजह से जांच में दिक्कत आती है तो हाईकोर्ट के न्यायाधीशों से जांच करानी चाहिए। इस बीच दुष्यंत ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ने का प्रयास किया है कि सरकारी गोदाम से चोरी गई शराब जब्त की हुई थी। यह आपराधिक केस है और पुलिस मामले की जांच कर रही है।

[हिसार, समाचार संपादक]