केशव प्रसाद मौर्य। आज जब नरेन्द्र मोदी की बतौर प्रधानमंत्री आठ साल की उपलब्धियों की चर्चा हो रही है, तब यह समझना आवश्यक है कि ये उपलब्धियां उनके लंबे संघर्षपूर्ण जीवन का परिणाम हैं। प्रधानमंत्री ने अपने कुशल नेतृत्व से देश में सबको आत्मविश्वास से सराबोर कर दिया है। इनमें अंतिम पायदान पर खड़े देश के आम लोग भी हैं। प्रधानमंत्री के जीवन को बाह्य तत्व प्रभावित नहीं करते। उनमें आत्मग्लानि का भाव नहीं हैं। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद वह जब अपने पारंपरिक पहनावे में काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा-अर्चन करने के बाद आशीर्वाद में मिली भेंट लेकर बाहर निकले तो करोड़ों भारतीयों के लिए वह एक आध्यात्मिकता से ओतप्रोत क्षण था। अयोध्या में राम मंदिर के भूमि-पूजन के बाद जब उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम का पुनर्निर्माण कराया तो लोगों को उन अहिल्याबाई होलकर की याद आई, जिन्होंने 1780 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। भगवान बुद्ध परिपथ का विकास भी प्रधानमंत्री की प्राथमिकता में रहा। उन्होंने पिछले साल उनकी निर्वाण स्थली कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन करके इस तीर्थस्थल को एक नई सौगात दी।

इसी तरह पीएम मोदी ने हाल में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फार बौद्ध कल्चरल एंड हेरिटेज सेंटर का शिलान्यास किया। आम लोगों के बीच अपने को उन्हीं जैसा ढालने में वह रत्ती भर भी संकोच नहीं करते। वह चाहे वाल्मीकि जयंती पर लोगों के बीच खंजरी बजाना हो या झाड़ू लगाकर स्वच्छता-सफाई का संदेश देना हो। प्रयागराज कुंभ में सफाई कर्मियों के चरण अपने हाथों से धोकर उन्होंने यही संदेश दिया था कि वह सबके हैं। नवरात्र के एक मौके पर अमेरिका में उन्होंने अपना उपवास नींबूपानी पर गुजार दिया, जो वहां के लोगों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था।

नरेन्द्र मोदी ने सही मायने में उन महर्षि अरविंद के दर्शन को जमीन पर उतारा है, जिनका यह मानना था कि कांग्रेस को भारत की अपनी पारंपरिक राज्य व्यवस्था साकार करनी चाहिए, क्योंकि पश्चिमी तौर-तरीकों से देश का कभी भला नहीं होने वाला। जैसा महर्षि अरविंद चाहते थे, वैसा मोदी ने किया। उन्होंने इसकी शुरुआत योग को विश्व पटल पर लोकप्रिय बनाने की पहल करके की। अपने आत्मविश्वास के चलते मोदी ने विश्व पटल पर एक अलग छाप छोड़ी है। इसका प्रमाण यह है कि पश्चिमी देशों के तमाम दबाव के बाद भी रूस-यूक्रेन युद्ध के मामले में भारत ने जो रुख अपनाया, उस पर दृढ़ता से कायम रहा। कोरोना महामारी में विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ-साथ कंधे से कंधा मिलाकर भारत ने दुनिया के कई देशों को वैक्सीन और दवाओं की मदद देकर भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की परंपरा को चरितार्थ किया।

कोरोना महामारी से जब देश-दुनिया त्रस्त थी, तब मोदी देशवासियों को आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा रहे थे। प्रतिक्रियावादी मजाक उड़ा रहे थे, लेकिन मोदी ने उनकी परवाह नहीं की। इस दौरान वह पारंपरिक चिकित्सा को एक नई पहचान दिलाने में सफल रहे, जिसका व्यापार करीब छह गुना बढ़ गया है। उद्योग के क्षेत्र में नैनो यूरिया खाद एक अभूतपूर्व पहल है। कुछ दिन पहले उन्होंने गुजरात के गांधीनगर में नैनो यूरिया प्लांट का उद्घाटन किया। यह खाद तरल होगी और एक बोतल से एक बोरी यूरिया की ताकत मिलेगी। यूपी समेत देश के कई राज्यों में इस तरल खाद के प्लांट लगाए जाएंगे, जो कृषि क्षेत्र में सचमुच एक ऐतिहासिक क्रांति होगी। अभी तक यूरिया खाद आयात करनी पड़ती थी। सरकार को करीब दो लाख करोड़ रुपये सब्सिडी के रूप में खर्च करने पड़ते थे। अब यह खर्चा बचेगा। अगले कुछ वर्षों में देश खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा। डिफेंस कारिडोर भी इस कड़ी में एक अहम कड़ी है। रक्षा उपकरणों के उत्पादन के मामले में पिछले आठ वर्षो से देश आत्मनिर्भर बनने की कोशिश के साथ ही 72 देशों को हथियार भी बेच रहा है। 2015 में रक्षा निर्यात 1941 करोड़ रुपये था। वर्ष 2021-22 में यह बढ़कर 11607 करोड़ रुपये हो गया है। सरकार ने 2025 तक रक्षा निर्यात का यह लक्ष्य पांच अरब डालर का रखा है।

आत्मविश्वास से निकली आत्मनिर्भरता की बात पर लोगों का भरोसा है। मोदी है तो मुमकिन है, यह महज नारा नहीं, बल्कि एक हकीकत है जिसे आम आदमी कहीं अच्छे से समझता है। जरूरतमंदों को पूरा भरोसा है कि कांग्रेस के जमाने की तरह अब एक रुपये में पंद्रह पैसे नहीं, बल्कि पूरा रुपया उनके खातों में पहुंचेगा। इसीलिए गरीबों के लिए उनकी कल्याणकारी योजनाओं ने उन्हें दुनिया के मानचित्र पर एक लोकप्रिय नेता के तौर पर स्थापित कर दिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना और आयुष्मान जैसी योजनाओं ने अंतिम पायदान पर रहने वाले व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी है। किसान सम्मान निधि ने किसानों का सम्मान बढ़ा दिया है। हर घर नल से जल योजना के तहत 2024 तक हर घर जल पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। इन कल्याणकारी योजनाओं के खरा होने के कारण मोदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। जैसे गांधीजी ने लोगों को संबल प्रदान किया था और उन्हें आजादी का सपना दिखाया था, कुछ वैसे ही प्रधानमंत्री मोदी ने जनता में यह आत्मविश्वास पैदा कर दिया है कि भारत एक नया भारत बनने की राह पर है। 1947 की राजनीतिक आजादी को जो विचारक आधी-अधूरी मानते थे, क्योंकि उस वक्त आर्थिक एवं सांस्कृतिक आजादी दूर की कौड़ी थी, उनका वह सपना आजादी के 75 वर्ष बाद अमृत महोत्सव पर साकार हो रहा है। इसका कारण है मोदी का आत्मविश्वास, जिसकी बुनियाद पर नया भारत गढ़ा जा रहा है।

(लेखक उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री हैं)