पीएम मोदी आज खोलेंगे करतारपुर गलियारे का दरवाजा, पाकिस्तान की धार्मिक भावना मात्र दिखावा
करतारपुर गलियारे के रास्ते खालिस्तानी आतंकवादियोंं को प्रवेश कराने की कोशिश भी हो सकती है। भारत को सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाए रखना होगा।
[ अवधेश कुमार ]: गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर करतारपुर गलियारे को आधिकारिक तौर पर खोले जाने के पहले पाकिस्तान के लगातार रुख बदलने से उसकी कुटिल मंशा जाहिर होने लगी है। पाकिस्तान करतारपुर गुरुद्वारे के दर्शन के लिए आने वाले पहले जत्थे से भी 20 डॉलर की फीस वसूलने की बात तो कर ही रहा है, पासपोर्ट जरूरी न होने की बात से भी पलटी खा चुका है। इस पावन अवसर के लिए पाकिस्तान ने एक वीडियो जारी किया जिसमें जरनैल सिंह भिंडरावाले समेत तीन अलगाववादी नेता नजर आ रहे हैं। ये सब खालिस्तानी आतंकवाद के प्रमुख चेहरे थे जो जून 1984 के ऑपरेशन ब्लूस्टार में मारे गए थे। आखिर ऐसा वीडियो जारी करने का उद्देश्य क्या हो सकता है? यह समझना आसान है। इस वीडियो में प्रतिबंधित खालिस्तानी समर्थक समूह सिख फॉर जस्टिस का पोस्टर भी है। यह संगठन पंजाब को भारत से अलग कराने के नाम पर जनमत संग्रह-2020 के लिए अभियान चला रहा है।
करतारपुर गलियारा खुल जाने से दूरी घटेगी
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बिल्कुल साफ कहा कि पाकिस्तानी वीडियो करतारपुर गलियारे को खोलने के पीछे के गुप्त एजेंडे को दिखाता है, जिससे हमें सतर्क रहना है। इस महान अवसर का ऐतिहासिक उपयोग हो सकता था, लेकिन जब सोच ही कुटिल हो तो इसकी अपेक्षा करना बेमानी है। करतारपुर गलियारा भारतीय पंजाब के गुरुदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक साहिब को पाकिस्तानी पंजाब के नारोवाल जिले के करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को जोड़ेगा। यहां गुरु नानक देव जी ने जीवन के अंतिम 18 वर्ष रहकर अपना शरीर त्यागा था। अभी तक यहां पहुंचने के लिए लाहौर और उसके बाद 140-45 किमी की यात्रा करनी पड़ती थी। गुरदासपुर सीमा पर स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से सीधा रास्ता बन जाने के बाद श्रद्धालु पैदल भी जा सकते हैं। सीमा से यह करीब चार किमी पर है।
गलियारे के निर्माण पर इमरान खान ने दिखाई रुचि
सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ से इस गलियारे के निर्माण पर बातचीत की थी। फिर मनमोहन सिंह ने भी नवाज शरीफ से बात की। बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवाज शरीफ से आग्रह किया, परंतु कोई फैसला नहीं हो सका, लेकिन इमरान खान ने जिस तरह सत्ता ग्रहण करने के बाद स्वयं एवं पाकिस्तानी सेना ने इसे खोलने में रुचि दिखाई वह आश्चर्यजनक थी। अचानक इस फैसले के पीछे निश्चय ही पाकिस्तान की शातिर रणनीति है।
इमरान का कहीं पर निशाना और कहीं पर ठिकाना
इमरान खान ने बीते साल 28 नवंबर को अपने यहां शिलान्यास कार्यक्रम को बड़ा स्वरूप दिया। इस दौरान खालिस्तानी आतंकी गोपाल सिंह चावला सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ दिखा था। उसी समय स्पष्ट हो गया था कि पाकिस्तान ऊपर से तो धार्मिक भावनाओं का सम्मान दिखा रहा है, लेकिन अंदर से उसकी मंशा पंजाब में अलगाववाद को बढ़ावा देना है। पाकिस्तान ने ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका आदि से आने वाले सिख फॉर जस्टिस के लोगों को भारी संख्या में वीजा दिया है।
करतारपुर गलियारे से भारत ने नहीं खींचे कदम
हालांकि यह किसी दृष्टि से उचित नहीं होता कि भारत करतारपुर गलियारे संबंधी समझौते से अपने कदम पीछे खींचता। जब पाकिस्तान का इरादा साफ हो गया है तो हमारी ओर से उसे कोई अवसर नहीं दिया जा सकता। करतारपुर गलियारा खुलने के पूर्व ही खुफिया एजेंसियों को नारोवाल जिले में आतंकी गतिविधियों के बारे में पुष्ट सूचनाएं मिली हैं। पाकिस्तान की ओर से पंजाब में आतंकवाद भड़काने के प्रमाण पिछले दो वर्षों से मिल रहे हैैं। हाल में सीमा पार से ड्रोन के जरिये हथियारों की खेप भेजी गई है। अमृतसर के निकट निरंकारी आश्रम पर जो हमला हुआ था उसके तार भी पाकिस्तान से जुड़े थे।
भारत को सतर्क रहना होगा
करतारपुर गलियारे द्वारा पाकिस्तान आतंकवाद के अलावा कूटनीतिक लक्ष्य भी साधना चाहता था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इसे इमरान खान की ऐसी गुगली बताया था जिसमें भारत फंसने को मजबूर हो गया। पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने इसे शतरंज की चाल बताया था। साफ है कि पाकिस्तान का इरादा छिपा नहीं है। भारत के लिए यह हर्ष का विषय है कि भारतीय श्रद्धालु आसानी से करतारपुर जा सकेंगे, किंतु वहां भारत विरोधी भाषण हो सकते हैं। खालिस्तान संबंधी पर्चे बांटे जा सकते हैैं। गलियारे के रास्ते खालिस्तानी आतंकवादियोंं को प्रवेश कराने की कोशिश भी हो सकती है। इससे सतर्क रहना होगा और श्रद्धालुओं को परेशानी में न डालते हुए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाए रखना होगा।
( लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैैं )