नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली-एनसीआर के बीच की दूरी का पहले अहसास ही नहीं होता था। लेकिन अब ऐसे हालात हैं कि 20 मिनट की दूरी दो घंटे में तय होती है। अदालत में इस जाम से मुक्ति को याचिका दाखिल करनी पड़ती है। कमोबेश दिल्ली-एनसीआर के शहरों के बीच आवागमन करने वाले असंख्य लोगों की यही परेशानी है। वजह?

दिल्ली की सीमाएं बीते वर्ष नवंबर माह से प्रदर्शनकारियों से घिरी हुई हैं। इससे पूर्व भी शाहीनबाग में भी ऐसे हालात बने थे। इन सीमाओं के घिरे होने के लिए, ऐसे हालात के लिए कौन जिम्मेदार है? जो जिम्मेदार हैं, वे मौन क्यों हैं? चुनी हुई सरकार और उपराज्यपाल में शक्तिशाली होने का विवाद छिड़ा है।

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दिल्ली सरकार कानून व्यवस्था, भूमि और लोक व्यवस्था...उसके अधिकार क्षेत्र नहीं का हवाला देती है। वाजिब भी है। वहीं नगर निगमों के नाम से एक ऐसी व्यवस्था भी है, जो व्यावहारिक रूप से दिल्ली सरकार से अलग कार्य करती है। ऐसे में असंख्य लोगों का एक ही सवाल है कि दिल्ली में अव्यवस्था के लिए किससे सवाल पूछें?

आखिर जिन्हें हमने वोट दिया यदि उनके जिम्मे कुछ नहीं तो फिर हम किससे कहें? दिल्ली-एनसीआर के लोगों की क्या गलती है कि चार माह से ऐसे हालात का सामना कर रहे हैं? इससे पूर्व नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में शाहीन बाग में भी कई माह तक आंदोलनकारी मार्ग अवरुद्ध कर बैठे हुए थे, उस समय भी कानून व्यवस्था का मुद्दा होने के कारण चुनी हुई दिल्ली सरकार को उसके लिए कठघरे में खड़ा नहीं किया जा सका था।

आखिर दिल्ली और दिल्ली के लोग कब तक यह स्थिति झेलते रहेंगे, कब सीधे तौर पर किसी एक की जवाबदेही तय हो सकेगी? इसी की पड़ताल करना हमारा आज का मुद्दा है

प्रदर्शन से थम जाती है दिल्ली-एनसीआर की रफ्तार

बीते साल नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में शाहीनबाग में महीनों चले प्रदर्शन से दिल्ली-एनसीआर के लोग उबर भी नहीं पाए थे कि चार माह से किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर कब्जा कर रखा है। मुख्य सड़कों के बाधित होने से नौकरीपेशा लोगों और राहगीरों का समय तो बर्बाद हो ही रहा है, उन क्षेत्रों में चल रहे उद्योग-धंधे भी पूरी तरह ठप हो गए हैं। आर्थिक नुकसान हो रहा है।

कानून ताख पर रख कर रहे अवैध निर्माण

टीकरी बार्डर : 30 घर ईंट के बना दिए गए हैं सड़क किनारे

हरियाणा की तरफ राष्ट्रीय राजमार्ग एक : सड़क और पेट्रोल पंप पर कब्जा कर लगा लिए हैं टेंट

यूपी गेट : स्थाई शौचालय और टीन शेड से टेंटों का निर्माण

विरोध में सड़क पर उतरे लोग

26 जनवरी, 2021

प्रदर्शनकारियों द्वारा उत्पात मचाने के बाद झाड़ौदा बार्डर को पुलिस ने पूरी तरह बंद कर दिया। परेशान ग्रामीणों ने सड़क जाम

कर प्रदर्शन किया। तिरंगा यात्रा भी निकाली।

29 जनवरी, 2021

टीकरी बार्डर पर अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी परिवार कल्याण परिषद की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया।

29 जनवरी, 2021

दिल्ली के बवाना, दरियापुर, सिंघु, सिंघोला आदि गांवों के लोग सिंघु बार्डर खाली करवाने पहुंचे, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन पर पथराव कर दिया।

28 जनवरी, 2021

यूपी गेट पर धरना के विरोध में वैशाली के निवासियों ने आंदोलन स्थल पर प्रदर्शन किया।

13 फरवरी, 2021

यूपी गेट पर कौशांबी के निवासियों ने सीमांत विहार कट पर चार घंटे प्रदर्शन किया।