डॉ. जयंतीलाल भंडारी। यदि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाए तो गलत नहीं होगा। देश के कुल निर्यात में एमएसएमई की हिस्सेदारी करीब 45 फीसद है और जीडीपी में भी इसका योगदान करीब 25 फीसद है। ऐसे में अब कोविड-19 की चुनौतियों के बीच एमएसएमई की मुट्ठियों में सरकार द्वारा घोषित की नई राहतें और सुविधाएं शीघ्र पहुंचाकर देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाया जा सकता है।

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय उद्योग परिसंघ के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर ब्रेक लगा है, लेकिन देश विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। सरकार ने संकट में फंसे दो लाख एमएसएमई को उबारने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये की सहायता तथा रेहड़ी-पटरी वालों को भी लॉकडाउन के बाद कारोबार शुरू करने के लिए 10 हजार रुपये तक के कर्ज के लिए मंजूरी दे दी है। साथ ही अच्छा प्रदर्शन कर रही एमएसएमई को और मजबूत बनाने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश को भी स्वीकृति दी गई है।

यह भी महत्वपूर्ण है कि एमएसएमई को लाभ देने के लिए सरकार ने इसकी परिभाषा में बड़ा बदलाव किया है। औद्योगिक इकाई की परिभाषा के तहत निवेश की सीमा बढ़ाकर सूक्ष्म उद्योग के लिए एक करोड़ का निवेश और पांच करोड़ का कारोबार कर दिया है। वहीं लघु उद्योग के लिए निवेश की सीमा बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये और 50 करोड़ रुपये का कारोबार कर दिया गया है। मध्यम उद्योग के लिए 20 करोड़ रुपये निवेश और 250 करोड़ रुपये का कारोबार कर दिया है। नए आíथक पैकेज में एमएसएमई क्षेत्र के लिए कुल तीन लाख 70 हजार करोड़ रुपये के अभूतपूर्व राहतकारी प्रावधान घोषित किए गए हैं, जिनमें से इस क्षेत्र की इकाइयों को कुल तीन लाख करोड़ रुपये का गारंटी मुक्त कर्ज की सुविधा देना सबसे अहम प्रावधान है।

नए आíथक पैकेज के तहत छोटे उद्योग-कारोबार हेतु लोकल के लिए वोकल होने की जो संकल्पना की गई है, उससे स्थानीय एवं स्वदेशी उद्योगों को भारी प्रोत्साहन मिलेगा। वोकल फॉर लोकल अभियान से मोदी सरकार के मेक इन इंडिया अभियान को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है। कोरोना काल में जब दुनिया की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं ढह गई हैं, तब भी स्थानीय आपूíत व्यवस्था, स्थानीय विनिर्माण, स्थानीय बाजार देश के बहुत काम आए हैं। यदि हम वर्तमान समय में दुनिया में चमकते ग्लोबल ब्रांड की ओर देखें तो पाएंगे कि वे भी कभी बिल्कुल लोकल थे। लिहाजा बदले हालात में हमें स्थानीय ब्रांडों और उत्पादों को अपनी अर्थव्यवस्था का आधार बनाने और उन्हें दुनिया भर में मशहूर करने की रणनीति पर आगे बढ़ना होगा। हम मेक इन इंडिया अभियान को आगे बढ़ाकर स्थानीय उत्पाद को वैश्विक बना सकते हैं।

आज दुनिया भर में विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन करने वाली भारत की कई कंपनियां अपनी चमकदार पहचान बनाए हुए हैं। यात्री वाहन बेचने के मामले महिंद्रा, टाटा मोटर्स, एफएमसीजी के मद्देनजर आइटीसी, मोबाइल हैंडसेट में लावा, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में वोल्टास और फुटवियर में रिलेक्सो जैसे भारतीय उत्पादों की दुनिया में धाक है। चूंकि इस समय दुनिया में दवाओं सहित कृषि, प्रोसेस्ड फूड, गारमेंट, रत्न-आभूषण, लेदर एवं लेदर प्रोडक्ट, कारपेट और इंजीनियरिंग प्रोडक्ट जैसी कई वस्तुओं की भारी मांग है, अतएव इन क्षेत्रों में हमारे लोकल प्रोडक्ट के ग्लोबल बनने की अच्छी संभावनाएं नजर आती हैं।

बहरहाल सरकार ने नए आत्मनिर्भर भारत पैकेज से एमएसएमई को बड़ी राहत दी है। लेकिन लॉकडाउन और श्रमिकों के पलायन ने छोटे उद्योग-कारोबार को गंभीर चुनौतियों के दौर में पहुंचा दिया है। स्थिति यह है कि एमएसएमई की करीब 6.3 करोड़ इकाइयों में से आधे से अधिक इकाइयां उत्पादन शुरू नहीं कर पाई हैं। जिनमें काम शुरू हुआ है, वे भी काफी कम क्षमता के साथ परिचालन कर रही हैं। कच्चे माल की दिक्कतें उनके सामने खड़ी हैं और आपूíत सिस्टम बिखर गया है। मजदूरों की कम उपलब्धता के कारण भी उनकी उत्पादकता पर असर पड़ा है।

नि:संदेह महामारी के आने के पहले से ही सुस्त गति से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था को संभालना और इसे पहले जैसी स्थिति में लाना आसान काम नहीं है। लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि सरकार द्वारा दिए गए नए आíथक पैकेज से छोटे उद्योग अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाते हुए दिखाई दे सकेंगे। ऐसे में यह अत्यधिक जरूरी है कि सबसे पहले सरकार एमएसएमई के लिए हाल ही में घोषित की गई राहतों के क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़े। खासतौर से बैंकों को स्पष्ट निर्देश दिए जाने चाहिए कि वे बिना डरे, बिना जमानत के सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों को आसान ऋण देने की डगर पर आगे बढ़ें, क्योंकि एमएसएमई को दिए जाने वाले कर्ज की जमानतदार स्वयं सरकार है।

उम्मीद है कि केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एमएसएमई में नई जान फूंकने के लिए जो अभूतपूर्व घोषणाएं की हैं, उनका कारगर क्रियान्वयन इनके लिए संजीवनी का काम करेगा। इससे इस समय देश की ठप पड़ी अर्थव्यवस्था गतिशील होगी और देश विकास की डगर पर आगे बढ़ेगा।

[अर्थशास्त्री]