[ केशव प्रसाद मौर्य ]: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के साथ ही उस घड़ी का भी अंत होगा जिसका सदियों से इंतजार था। इस आयोजन के लिए समस्त तीर्थों का जल और मिट्टी श्री अयोध्या धाम पहुंचाई जा रही है ताकि अयोध्याजी के दर्शन मात्र से सभी तीर्थ स्थलों के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त हो सके। अयोध्या का मतलब है जिसे जीता न जा सके। रामजन्मभूमि आंदोलन और अब राम मंदिर निर्माण की शुरुआत से यह सिद्ध भी हो रहा है। यह भूमि पूजन प्रतीक भर नहीं है। यह राष्ट्रीय चेतना को उस अधिष्ठान पर बैठाने का क्षण है जिसके लिए देश व्याकुल था। राम, कृष्ण और शिव भारत की पहचान हैं। राम भारत के कर्म, कृष्ण हृदय और शिव इसके मस्तिष्क हैं। राम की अयोध्या के साथ-साथ श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा और शिव नगरी काशी भी इस दिन कम आनंदित नहीं होगी। इस पुनीत अवसर पर दिवंगत अशोक र्जी ंसहल का स्मरण करना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी जिन्हें रामजन्मभूमि आंदोलन का मुख्य रणनीतिकार कहा जाता है।

भगवान राम के आशीर्वाद से राम मंदिर के भूमि पूजन का अवसर पीएम मोदी को मिला

भगवान राम के आशीर्वाद से राम मंदिर के भूमि पूजन का अवसर यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिला है, जो शिव की नगरी काशी के प्रतिनिधि हैं। वह लालकृष्ण आडवाणी की 1990 में रथयात्रा के सारथी भी थे। जब मोदी जी का अयोध्या जाने का फैसला हो गया तो कथित धर्मनिरपेक्ष मीनमेख निकालते हुए कह रहे हैं कि उन्हें इस कार्यक्रम से दूर रहना चाहिए। ये वे लोग हैं जो भारत की अंतर्धारा से अनजान हैं। रामसेतु को काल्पनिक मानने वाली कांग्रेस का कहना है कि मोदी को अयोध्या इसलिए नहीं जाना चाहिए, क्योंकि नेहरू भी सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं गए थे। वह यह नहीं बताती कि नेहरू तो सोमनाथ मंदिर के निर्माण के ही खिलाफ थे। वह यह नहीं बताती कि नेहरू के एतराज के बावजूद देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की पूजा की।

सोमनाथ मंदिर के साथ अयोध्या, मथुरा, काशी में मंदिर बन जाते तो देश की तस्वीर कुछ और होती

सरदार पटेल की पहल पर प्रखर विद्वान डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी के नेतृत्व में सोमनाथ मंदिर के निर्माण का फैसला हुआ था, लेकिन गांधी और पटेल के गुजरने के बाद नेहरू ने मंदिर निर्माण को लटकाने की कोशिश की। संविधान विशेषज्ञ और साथ ही संस्कृति एवं सभ्यता के महान पोषक मुंशी के संकल्प के कारण सोमनाथ मंदिर का निर्माण संभव हुआ। सोमनाथ मंदिर के साथ अयोध्या, मथुरा और काशी में मंदिर निर्माण का फैसला हो जाता तो आज देश की तस्वीर कुछ और होती। अयोध्या के कारण पिछली सदी के अंतिम दशक से अब तक देश तमाम अद्भुत योग का गवाह रहा है, लेकिन 2014 से उसने ऐसी करवट ली कि राजनीति की मुख्यधारा ही बदल गई।

प्रधानमंत्री मोदी ने कानून के जरिये कश्मीर, तीन तलाक और नागरिकता कानून को दुरुस्त किया

यह भी एक योग है कि मोदी जी की जन्मभूमि वह गुजरात है जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने हजारोें साल पहले मथुरा से जाकर अपनी कर्मभूमि बनाया था। उसी गुजरात से नरेंद्र मोदी भगवान शंकर की नगरी काशी आए और 2014 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और सीधे प्रधानमंत्री बने। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद भवन की चौखट पर माथा टेककर उन्होंने संकेत दिया कि वह व्यवस्था बदलने आए हैं। 2019 में दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीतकर उन्होंने संविधान की प्रति माथा टेका और कानून के जरिये कश्मीर, तीन तलाक और नागरिकता कानून को दुरुस्त किया।

राम ने स्थापित किए सामाजिक सरोकारों के मानदंडों को मोदी सरकार आगे बढ़ा रही

राम का चरित्र सदा प्रासंगिक है। कालातीत है। सामाजिक सरोकारों के जिन मानदंडों को भगवान राम ने स्थापित किया, उन्हें ही मोदी सरकार आगे बढ़ा रही है। प्रयागराज कुंभ के दौरान प्रधानमंत्री ने सफाई कर्मचारियों के पैर धोकर उनका जैसा सम्मान किया वह समकालीन राजनीति में दिखाई नहीं पड़ता। वह भावपूर्ण दृश्य भगवान राम और निषादराज की भेंट की याद दिलाता था। उनका स्वच्छता मिशन जिसकी खिल्ली उड़ती थी, उसे लेकर आज बच्चे-बूढ़े सब गंभीर हैं।

अंतिम कतार में खड़े व्यक्ति की चिंता करना और उसके चेहरे पर मुस्कान लाना मोदी सरकार का धर्म है

राम मंदिर भाजपा का अगर संकल्प रहा तो गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं उसका मिशन। अंत्योदय यानी समाज की अंतिम कतार में खड़े व्यक्ति की चिंता करना और उसके चेहरे पर मुस्कान लाना मोदी सरकार का धर्म है। गरीबों का कल्याण उसका बीज मंत्र है। इसी कड़ी में वन नेशन-वन राशन कार्ड का एलान किया गया ताकि कोई भूखा न रहे। गरीबों को ध्यान में रखते हुए ही पीएम गरीब कल्याण योजना का विस्तार कर छठ तक किया गया।

राम और राष्ट्र एक-दूसरे के पूरक हैं, आत्मनिर्भरता सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण कवच

राम और राष्ट्र एक-दूसरे के पूरक हैं। मोदी सरकार ने कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और गुजरात से गुवाहाटी तक देश को भरोसा दिलाया कि आतंकवाद के दिन लद गए। आत्मनिर्भरता भी सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण कवच है। इस मामले में ‘वोकल फॉर लोकल’ का नारा देकर सरकार ने एक अभूतपूर्व पहल की। कोरोना संकट के बीच आत्मनिर्भर भारत अभियान का प्रयोग चौतरफा है। इसके तहत मई माह में 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का एलान किया गया और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए 16 योजनाएं लागू की गईं। गरीब कल्याण योजना के तहत 1.70 लाख करोड़ रुपये का बंदोबस्त किया गया।

मनरेगा के तहत रोजगार बढ़ाने के लिए 40 हजार करोड़ की अतिरिक्त राशि देने की व्यवस्था

मनरेगा के तहत रोजगार बढ़ाने के लिए 40 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि देने की व्यवस्था की गई। जनधन योजना में महिलाओं के खातों में पांच सौ-पांच सौ रुपये की तीन किस्तें जमा की जा चुकी हैं। खाद्य प्रसंस्करण के तहत 35 हजार करोड़ रुपये के निवेश से 9 लाख कुशल एवं अद्र्ध कुशल रोजगार सृजन का मोटा अनुमान है। स्पष्ट है राम और रोटी के बीच मोदी सरकार एक सेतु की तरह है। मोदी जी के नेतृत्व पर एक सौ तीस करोड़ जनता को पूरा भरोसा है। विश्वास है कि राम मंदिर का निर्माण होने तक सबके पास अपना मकान होगा और हरेक चूल्हा दोनों वक्त जलेगा, क्योंकि लोगों को राम भी चाहिए और रोटी भी।

( लेखक उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री हैं )