सुधीर कुमार। भारत के लिए एक राहत भरी खबर है कि देश में मलेरिया की पकड़ ढीली पड़ती जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय के अनुसार गत वर्ष देश के 116 जिलों में मलेरिया का एक भी मामला नहीं आया। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत ‘शून्य मलेरिया लक्ष्य’ को हासिल करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने वर्ष 2030 तक मलेरिया को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा है।

भारत में मलेरिया का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता के काल से जुड़ा है। मोहनजोदड़ो (वर्तमान पाकिस्तान) में खोदाई के दौरान मलेरिया के प्रारंभिक अवशेष मिले थे। आजादी के समय देश की एक चौथाई आबादी मलेरिया से प्रभावित थी। वर्ष 1950 में मलेरिया के रिकॉर्ड साढ़े सात करोड़ मामले सामने आए थे और आठ लाख लोगों को उसने अपना ग्रास बना लिया था। इससे सबक लेते हुए पहली बार 1953 में राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की गई। बाद में कई और कार्यक्रम बने और मलेरिया के मामलों में कमी तो आई, लेकिन मलेरिया उन्मूलन के क्षेत्र में पिछले पांच वर्षो में हुई प्रगति अप्रत्याशित और उल्लेखनीय रही है।

देश में मलेरिया उन्मूलन के ठोस प्रयास 2015 के बाद तब शुरू हुए, जब उसी वर्ष मलेशिया में आयोजित पूर्वी एशियाई देशों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक भारत को ‘जीरो मलेरिया’ की स्थिति तक लाने का आह्वान किया था। इसके मद्देनजर 2016 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय ने ‘नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन’ कार्यक्रम शुरू किया। यह पहल इतनी सफल रही कि 2015 में देश में जहां मलेरिया के 11,69,261 मामले और 385 मौतों के आंकड़े सामने आए थे, वहीं 2019 में 3,38,494 मामले दर्ज किए गए और 77 मरीजों की मलेरिया से मौत हुई। विश्व मलेरिया रिपोर्ट-2020 बताती है कि 2018 की तुलना में 2019 में भारत में मलेरिया के मामलों में 17.6 तथा 2019 की तुलना में 2020 (अक्टूबर तक) में 45 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।

मलेरिया उन्मूलन में भारत की इस प्रगति की दुनियाभर में प्रशंसा हो रही है। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास एजेंडे के तहत 2030 तक मलेरिया के नए रोगियों में मामलों और इससे होने वाली मौतों में 90 फीसद की कमी लाने के साथ-साथ 35 राष्ट्रों को ‘मलेरिया मुक्त’ बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत सहित पूरा विश्व प्रयासरत है। गत पांच सालों में मलेरिया उन्मूलन के क्षेत्र में देश की उपलब्धि निश्चय ही मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को व्यक्त करती है ।

मलेरिया फैलाने वाले मच् छर गंदे पानी में पनपते हैं और ज्यादातर रात में ही काटते हैं। बरसात में यहां-वहां पानी जमा होने से मच्छरों को पनपने का मौका मिल सकता है। ऐसे में स्वच्छता भी अपरिहार्य है।

(लेखक बीएचयू में अध्येता हैं)