[पुष्परंजन]। मलेशिया वैसे तो कभी भी भारत का गहरा दोस्त नहीं रहा, लेकिन उसके कूटनीतिक व्यवहार में कभी भारत से टकराने के तेवर भी नहीं रहे हैं। लेकिन कश्मीर के मसले पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कोई कार्ड चलता ना देखकर जिस तरह से इस्लाम का कार्ड चला है, उससे मलेशिया और भारत के रिश्तों में पहली बार ऐसा महसूस हो रहा है कि खुलकर तनाव आ गया है। मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने इसे बाकायदा संयुक्त राष्ट्र में तूल देकर भारत को मजबूर कर दिया है कि वह अपने हितों की रक्षा करे और अब मलेशिया हक्का बक्का है।

महाथिर में किसी बात को ठान लेने की जिद जबरदस्त

मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद के नाना केरल से वहां गए थे और एक मलय महिला से विवाह किया था। नौ मई 2018 को हुए चुनाव में 94 साल के महाथिर मोहम्मद मलेशिया के सातवें प्रधानमंत्री चुने गए थे। उनकी उम्र और महत्वाकांक्षा को लेकर पूरी दुनिया को आश्चर्य हुआ था। उससे पहले महाथिर मोहम्मद 16 जुलाई 1981 को प्रधानमंत्री बने थे और 31 अक्टूबर 2003 को राजनीति से अवकाश ले लिया था। लगभग साढ़े 22 साल तक वे मलेशिया के शासन प्रमुख बने रहे। उम्र के इस पड़ाव पर भी महाथिर मोहम्मद में किसी बात को ठान लेने की जिद जबरदस्त है। महाथिर मोहम्मद ने 24 सितंबर 2019 को कहा था, ‘भारत ने कश्मीर पर कब्जा कर रखा है।’ महाथिर ने एक बार फिर कहा कि मैं अपने बयान पर कायम हूं।

मलेशियाई पाम ऑयल का तीसरा बड़ा आयातक देश 

उनके इस बयान का साइड इफेक्ट कुछ हफ्तों में ही सामने आ गया था, जब भारत ने पाम ऑयल का आयात घटा दिया। पिछले वर्ष तक भारत, मलेशियाई पाम ऑयल का तीसरा बड़ा आयातक देश था। ताड़ का तेल, खाद्य तेलों व जैव डीजल के निर्माण में काम आता है। इंडोनेशिया पाम ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। उसके बाद मलेशिया, नाइजीरिया, थाईलैंड, श्रीलंका, कोलंबिया, बेनिन, कैमरून, केन्या, घाना आदि पाम ऑयल के सप्लायर देश हैं। मलेशियन पाम ऑयल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2019 तक 3.9 मिलियन टन पाम ऑयल भारत निर्यात किया गया था। महाथिर मोहम्मद ने जो कुछ कहा, उसकी प्रतिक्रिया में भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने कुछ कहा नहीं है, मगर सोलवेंट एक्सटेक्टर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईएआइ) ने 21 अक्टूबर 2019 को अपने सदस्यों को निर्देश दिया कि वे मलेशिया से पाम ऑयल आयात करना बंद कर दें।

इमरान ने महाथिर का बढ़ाया ब्लड प्रेशर

एसईएआइ के इस बयान के बाद से मलेशिया में खलबली मची हुई है। महाथिर मोहम्मद ने कहा कि ऐसा कुछ होता है तो हम उसकी समीक्षा करेंगे। इधर भारत से मलेशिया को निर्यात बढ़ा है। जुलाई 2019 में यह 38.53 अरब डॉलर रुपये का था, जो अगस्त 2019 में 40.32 अरब रुपये का हो गया था, तो क्या इस ट्रेड वॉर में दोनों तरफ का नुकसान होना है? इसकी वजह से भारत और मलेशिया आमने-सामने हैं, उस इमरान खान का कुछ नहीं बिगड़ना है। कश्मीर में जो कुछ हुआ, उससे मलेशिया की घरेलू नीति कहीं से प्रभावित नहीं होती। इमरान खान ने केवल ‘इस्लाम खतरे में है’ का हौवा खड़ाकर महाथिर मोहम्मद का ब्लड प्रेशर बढ़ाया है।

 

कश्मीर के कारण जाकिर नायक को मलेशिया का मिला साथ 

एक दूसरा बड़ा कारण जाकिर नायक भी है। क्वालालंपुर में सरउ अल साफिया मस्जिद है। यहां पर पांचों वक्त नमाज पढ़ने जानेवालों को जाकिर नाइक का तकरीर सुनने का सौभाग्य प्राप्त हो जाता है। जाकिर नाइक की पीस टीवी, भारत और बांग्लादेश में प्रतिबंधित है, मगर मलेशिया से लेकर दक्षिण- पूर्व एशिया के देशों में यह चैनल दिखता है। पहले यह लगा था कि महाथिर मोहम्मद जाकिर नायक पर पाबंदी आयद करेंगे और उसे भारत प्रत्यर्पित करेंगे। मगर, यह आकलन गलत निकला। कश्मीर के कारण जाकिर नायक को मलेशिया में अपनी दुकान जमाने का बड़ा अवसर मिल गया।

मलेशिया से प्रत्यर्पण संधि मनमोहन सिंह के जमाने में 12 मार्च 2012 को पुत्रजाया में हुई थी। नाजिब अब्दुल रजाक 2009 में मलेशिया के प्रधानमंत्री बने, उसी वर्ष सितंबर में विजय केशव गोखले ने उच्चायुक्त का पदभार क्वालालंपुर में संभाला था। विजय केशव गोखले ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नाजिब अब्दुल रजाक से अच्छी पहचान बना ली थी। नाजिब तीन बार भारत यात्रा कर चुके थे। आखिरी बार 30 अप्रैल 2017 को नाजिब अब्दुल रजाक भारत आए और तब जाकिर नायक को भारत को सौंप देना लगभग तय सा था। अब बात पलट गई। महाथिर मोहम्मद के कार्यालय से जाकिर को सौंपने वाली कार्रवाई रोकी गई है, इस तरह के संकेत क्वालालंपुर में बैठे कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने दिया है।

विजय केशव गोखले इस समय भारत के विदेश सचिव है, उनके इस पद पर रहते मिशन जाकिर नायक कभी आगे बढ़ेगा? इस सवाल का उत्तर भविष्य पर छोड़ देते हैं। प्रवासी भारतीयों का एक बड़ा हिस्सा मलेशिया में बसता है। 20 लाख 35 हजार के आसपास। उनमें अधिकतर केरल से गए लोग हैं। 1980 के दशक में दक्षिण भारत और खासकर केरल से जो आबादी मलेशिया गई, उसके पीछे महाथिर मोहम्मद भी एक वजह रहे हैं। तमिल, मलयाली, पंजाबी, सिंधी, गुजराती और मारवाड़ी भी मलेशिया में खासी संख्या में हैं। वहां सबकुछ ठीक चल रहा था, मगर कश्मीर घुस जाने की वजह से माहौल बिगडे़गा, इसका डर भी बना हुआ है। मलेशिया में उभयपक्षीय व्यापार को आगे बढ़ाने वाला जो समूह है, उसके प्रयासों से पिछले सप्ताह मामला पटरी पर आने लगा था। मलेशिया ने कहा था कि भारत से चीनी और बीफ का आयात बढ़ाएंगे ताकि कश्मीर को लेकर जो तल्खी बढ़ी है, वह कम हो सके।

चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर 

मलेशिया दरअसल, चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर की वजह से पिस गया है। उसका विदेश व्यापार चीन की वजह से टिका हुआ था। चीन इलेक्ट्रॉनिक पाट्र्स और पाम ऑयल मलेशिया से लेता और उससे तैयार उत्पाद अमेरिका सप्लाई करता रहा था। ट्रेड वॉर के कारण चीन ने मलेशिया से आयात में भी कमी कर दी है। मलेशिया की प्राइमरी इंडस्ट्री मिनिस्टर टेरेसा कोक ने पाम ऑयल के बहिष्कार को चिंताजनक बताया है। उन्होंने उभयपक्षीय व्यापार को उद्धृत करते हुए कहा कि उसमें हम आगे बढ़ रहे थे। भारत से 2017 में हो रहे व्यापार की तुलना में 2.2 प्रतिशत आगे हम बढ़े थे। एक बात तो है, सोलवेंट एक्सटेक्टर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईएआइ) ने जो अपील की है, उससे मलेशिया के तेवर ढीले पड़े हुए हैं।

[इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर, वरिष्ठ पत्रकार]