नई दिल्ली [सीमा झा]। इस उथल-पुथल भरे समय में यदि आप अपनी समस्या का हल तलाश रहे हैं तो सबसे जरूरी है खुद के प्रति सजगता। इंसान को छोड़कर किसी अन्‍य जीव के पास यह चीज नहीं। गौर करें, बीते दशकों में हमने प्रगति खूब हासिल की और व्यक्तिगत स्वतंत्रता भी। पर क्या वास्तव में अंदरूनी बंधनों से आजाद हो सके हैं हम? 

यह आपको एक आध्यात्मिक सवाल लग सकता है लेकिन इसी में छिपा है हर मुश्किल का हल। यदि आप इस समय असुरक्षा, एक अनजाने डर, आशंका, कुछ बुरा घटने के संशय से भर गए हैं तो बस अपनी शक्ति पर भरोसा करें और आगे बढ़ते जाएं। पर यदि हमेशा की तरह बाहर की ओर समाधान तलाशेंगे तो बदलाव मुश्किल है। कुछ लोग हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर लेते हैं, साइकिल से दुनिया नाप ले सकते हैं पर जब खुद पर मुसीबत आती है तो इस दौरान तमाम संकटों का सामना करने वाले भी जीवन की मुश्किलों का हल नहीं खोज पाते। 

इसी तरह, यदि आपकी चिंता हद से अधिक बढ़ती है तो हो सकता है डॉक्टर दवा दें और आप कुछ समय के लिए ठीक हो जाएं या यह भी संभव है कि हर रोज खाने के बाद उसे एक डोज की तरह लेना पड़ जाए। पर अच्छी खबर यह है कि अपने अंदरूनी बंधनों की जकडऩ को तोडऩे की शक्ति हमारे पास हमेशा है। इस शक्ति पर भरोसा करके ही आप बड़ी से बड़ी मुसीबत से बाहर आ सकते हैं। मैं यह अपने जीवन के अनुभव के आधार पर कह रहा हूं और ऐसे अनुभवों की कोई कमी नहीं है यहां।

क्या करें :

-  भौतिक साधनों से खुशी को न जोड़ें, अपने प्रयासों पर केंद्रित रहें। 

- अपने लिए समय निकालें। 

- कुछ पल शांत बैठकर खुद की स्थिति पर विचार करें।

- कोई मेंटर या गुरु जरूर हो, जिनसे मन की उलझन शेयर कर सकें।

- प्रकृति से जुड़ें।

- वायु-स्नान, घास पर नंगे पांव चलना और यूं ही इसे महसूस

करना आदि सहजता से जीवन को स्वीकारने के लिए आपको प्रेरित करेगा।