क्या भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ है CAA, जानें हर वो सच्चाई जिसे आपसे छिपा रही कांग्रेस
क्या CAA भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ है क्या इसका NRC या NPR से कोई वास्ता है। हर सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ें भाजपा सांसद राजीव चंद्रशेखर का यह लेख...
राजीव चंद्रशेखर। सन 1947 में भारत को मौलिक अधिकारों के साथ एक धर्मनिरपेक्ष देश के तौर पर स्थापित किया गया जबकि पाकिस्तान ने इस्लामिक मुल्क बनने का रास्ता चुना। आजादी के बाद से भारत में अल्पसंख्यक फूले फले, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में हिंदू, सिख, ईसाई जैसे समुदाय के लोगों को बहुसंख्यक मुस्लिमों के उत्पीड़न का दंश झेलना पड़ा। पाकिस्तान में ज्यादतियों, बर्बरता और उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों ने भारत का रुख किया क्योंकि उनके लिए यह ऐसा मुल्क था जहां वे खुद को सुरक्षित महसूस कर सकते थे।
मोदी सरकार ने सुधारी ऐतिहासिक भूल
भारत आने के बाद दशकों से उन्हें इस देश की नागरिकता नहीं दी गई जिसकी वजह से वे अवैध शरणार्थियों की तरह गुमनामी और अनिश्चितता का जीवन जीने को मजबूर थे। अब जाकर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा केंद्र सरकार ने उस ऐतिहासिक गलती को सुधारते हुए उन अल्पसंख्यकों सुनहरे भविष्य की राह तय की है।
क्या सीएए भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ है..?
दरअसल, जिस CAA को लेकर विपक्ष इतना शोर मचा रहा है वह किसी भी भारतीय के अधिकार को प्रभावित नहीं करता है। यह कोई भी भेदभाव नहीं करता है। यह अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का कानून है। अब सवाल उठता है कि इसमें श्रीलंका, नेपाल और बर्मा जैसे मुल्कों के अल्पसंख्यकों को क्यों नहीं कवर किया गया है, तो इसका जवाब यह है कि ये देश इस्लामिक मुल्क नहीं हैं।
कांग्रेस कर रही दुष्प्रचार
विपक्षी दलों में खासकर कांग्रेस ने CAA को मुस्लिम विरोधी और भेदभाव वाला कानून बताकर इसके बारे में दुष्प्रचार किया है। असल में कांग्रेस अपने राजनीतिक स्वार्थ को पूरा करने के लिए खुद को मुस्लिमों का हितैशी बताने की कोशिश कर रही है। लेकिन यदि CAA के बारे में पढ़ें तो कांग्रेस के आरोपों का खोखलापन साफ दिखने लगता है।
मनमोहन सिंह ने नागरिकता देने की कही थी बात
क्या यह वहीं कांग्रेस है जिसके तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने साल 2003 में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को इसी तरह ही नागरिकता देने की बात कही थी। कांग्रेस अब लगातार झूठ पर झूठ बोले जा रही है। अधिकांश लोगों का कहना है कि CAA पर कांग्रेस नेतृत्व की प्रतिक्रिया पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की तरह थी।
मुस्लिम शरणार्थियों को क्यों किया बाहर
अब सवाल यह उठता है कि मुस्लिम शरणार्थियों के लिए यह मानवीय दया क्यों नहीं दिखाई गई है। इस पर एक बात बिल्कुल साफ है कि यह कानून दूसरे मुल्क के किसी शख्स को नागरिकता देने से नहीं रोकता है। बाहरी मुल्कों के जो लोग भी नागरिकता चाहते हैं उनके लिए कानून स्थिर है। वे लोग नागरिकता अधिनियम के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करके भारत की नागरिकता हासिल कर सकते हैं। जहां तक CAA का सवाल है तो यह केवल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को नागरिकता देता है। जाहिर है कि कोई भी मुसलमान इस्लामिक देश में धार्मिक उत्पीड़न का दावा नहीं कर सकता है।
क्या CAA का NRC या NPR से कोई वास्ता है..?
सवाल यह कि क्या CAA का NRC या NPR से कोई संबंध है... तो जवाब होगा कि CAA का NRC या NPR से कोई लेना-देना नहीं है। यह केवल पड़ोसी मुस्लिम मुल्कों के धार्मिक उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को तेजी से नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त करता है। सीएए उन शरणार्थियों के भविष्य को सुरक्षित करता है जो दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए हैं।
कहां जाएं वे बर्बरता के शिकार लोग
कोई भी शख्स उत्पीड़न और बर्बरता के शिकार अल्पसंख्यक शरणार्थियों के प्रति सरकार के दयालुता के कदम का विरोध क्यों करेगा। वे पीड़ित लोग भारत के अलावा कहीं और नहीं जा सकते हैं। वे वापस पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश भी नहीं जा सकते हैं। वे चीन, अमेरिका, थाइलैंड, सिंगापुर जैसे देशों द्वारा भी स्वीकार नहीं किए जाएंगे। उन लोगों के लिए केवल भारत ही सुरक्षित है। ऐसे में यह मसला मानवीय दयालुता का है जिसका विरोध नहीं किया जा सकता है।
NRC पर पीएम मोदी पहले ही दे चुके हैं बयान
जहां तक सवाल NRC का है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साफ कर चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद असम में एनआरसी लागू की गई। यह पूरी प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में ही हुई। सरकार का एनआरसी लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। यदि ऐसा कोई प्रस्ताव आता है तो इस पर चर्चा होगी, बहस की जाएगी। इसमें भारतीय नागरिकों पर कोई आंच नहीं आएगी।
चिदंबरम ने NRC का दिया था प्रस्ताव
अब अवैध घुसपैठ पर बहस की दरकार है। सात दशक से अधिक समय से हो रही अवैध घुसपैठ ने भारत में तमाम समस्याएं खड़ी की हैं। अवैध घुसपैठ के कारण सीमावर्ती राज्यों की संस्कृति खतरे में पड़ी है। दशकों से कांग्रेस नेताओं ने इस मसले पर सियासत की है और इसे अपनी संकीर्ण वोट बैंक राजनीति के लिए इस्तेमाल किया है। साल 2010 में तत्कालीन गृहमंत्री एवं कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने NRC का प्रस्ताव दिया था। इसका मकसद अवैध घुसपैठ पर लगाम लगाना था। लेकिन कांग्रेस अपनी वोट बैंक की राजनीति के चलते अब यू टर्न ले रही है।
(लेखक भाजपा के राज्यसभा सांसद हैं)