[ ब्रिगेडियर आरपी सिंह ]: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद घरेलू और अंतरराष्ट्रीय, दोनों मोर्चों को मोदी सरकार ने भलीभांति साधने का काम किया है। किसी भी अप्रिय घटना को टालने या उससे निपटने में सुरक्षा बलों ने भी सराहनीय काम किया है। इक्का-दुक्का घटनाओं को छोड़ दें तो कश्मीर घाटी में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। कूटनीतिक मोर्चे पर भी सरकार ने बहुत बेहतरीन काम किया है। चीन और तुर्की जैसे कुछ देशों को छोड़ दिया जाए तो भारत को इस मसले पर लगभग सभी देशों का समर्थन हासिल हुआ है।

अनुच्छेद 370 हटाना भारत का आंतरिक मामला

वैश्विक समुदाय ने यह स्वीकार किया है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाना भारत का आंतरिक मामला है। उसने जम्मू-कश्मीर को भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा माना। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी मानती है कि इस मामले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद या किसी तीसरे पक्ष की भूमिका के लिए कोई गुंजाइश नहीं। पाकिस्तानी अवाम हताश है। मीडिया और जनता प्रधानमंत्री इमरान खान पर निशाना साध रही है। जिस सेना की शह पर इमरान खान प्रधानमंत्री बने उसे भी आड़े हाथों लिया जा रहा है।

ट्रंप ने दिया इमरान को बड़ा झटका

पाकिस्तानी भयभीत और अचंभित हैं, क्योंकि जब इमरान खान मुस्लिम देशों से समर्थन की अपील कर रहे थे तो उसी दौरान संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन जैसे इस्लामिक देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित कर रहे थे। इसी कड़ी में 26 अगस्त को इमरान खान का भाषण उनकी हताशा और बेचैनी को ही बयान कर गया। पाकिस्तान का समर्थन न करने पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी और विशेषकर इस्लामिक देशों पर अपनी खीझ उतारी। उन्हें सबसे बड़ा झटका अमेरिका से लगा जब जी-7 बैठक से इतर मोदी के साथ बैठक में डोनाल्ड ट्रंप ने यह माना कि भारत और पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे का समाधान द्विपक्षीय स्तर पर करना चाहिए। ट्रंप के साथ उनकी सहजता और गर्मजोशी से पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान जल-भुन गया।

इमरान का आह्वान, पाकिस्तानी कश्मीर पर एकजुटता दिखाएं

अपने 26 अगस्त के भाषण में इमरान ने पाकिस्तानियों का आह्वान किया कि वे कश्मीर के मुद्दे पर एकजुटता दिखाएं। उन्होंने अपनी सरकार की कूटनीतिक क्षमता और पाकिस्तानी सेना की ताकत से जुड़े असहज सवालों को टालने की कोशिश की और कश्मीर की जनता को यह संदेश देने का प्रयास किया कि पाकिस्तान उनके साथ पूरी मुस्तैदी से खड़ा है। इस दौरान उन्होंने खुद को कश्मीर के स्वयंभू दूत के तौर पर पेश किया और दुनिया की महाशक्तियों के साथ ही मुस्लिम देशों को जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन और दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच तनाव बढ़ने के अंजाम को लेकर भी आगाह किया। उन्होंने अपने उस नए दुष्प्रचार को भी आगे बढ़ाया जिसके तहत भारत को एक हिंदू देश तौर पर पेश किया जा रहा है।

पाक ने साधा भारत पर निशाना

इमरान खान ने आरोप लगाया कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करना भारत द्वारा सेक्युलरिज्म के सिद्धांत को तिलांजलि देना है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी के लिए भारत केवल हिंदुओं का है जहां अल्पसंख्यकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी आरोप लगाए कि वह भारत को केवंल हिंदुओं का देश बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने विभाजन को लेकर मुहम्मद अली जिन्ना की मंशा को अपनी सुविधा के हिसाब से मोड़ते हुए हुए पाकिस्तानियों को चेताया कि संघ की विचारधारा नाजी फासीवाद से प्रेरित है जिसने गांधी जी की हत्या की थी। कुल मिलाकर अपने भाषण में इमरान ने नई दिल्ली के खिलाफ पाकिस्तान के विषवमन के नए एजेंडे का खाका ही पेश किया। उनके अनुसार भारत ने अपनी विचारधारा बदल ली है और लगातार आक्रामक होता भारत क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा बनता जा रहा है।

भारत को पाक के खिलाफ तलाशनी होगी कूटनीतिक काट

इमरान खान के प्रलाप को देखते हुए भारत को घाटी में जल्द से जल्द हालात सामान्य बनाने के अतिरिक्त पाकिस्तान के दुष्प्रचार को भी प्रभावहीन करने के लिए कूटनीतिक काट तलाशनी होगी। यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि इस्लामाबाद मुस्लिम देशों और पश्चिमी मीडिया को अपनी मुहिम में शामिल करने की योजना बना रहा है। इन दिनों पाकिस्तान लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को प्रतिबंधित करने का नाटक कर आतंकवाद की पनाहगाह देश की अपनी छवि को तोड़ने की भी असफल कोशिश कर रहा है। वह भारत को अपने यहां गड़बड़ी फैलाने वाले देश के रूप में पेश करने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में थोड़ी-सी भी अशांति और देश के किसी भी हिस्से में सांप्रदायिक हिंसा की खबर पाक के दुष्प्रचार को और बल प्रदान करेगी और वह इसका उपयोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को खतरनाक विचारधारा का पोषक एवं फासीवादी देश साबित करने में करेगा। इस्लामाबाद को उम्मीद है कि इससे उसकी आतंकी गतिविधियों से दुनिया का ध्यान बंट जाएगा।

मोदी के मास्टर स्ट्रोक ने पाक को महत्वहीन कर दिया

जम्मू-कश्मीर के संबंध में मोदी के मास्टर स्ट्रोक ने इस्लामाबाद के साथ-साथ रावलपिंडी (यहां पाकिस्तान का सैन्य मुख्यालय है) को महत्वहीन कर दिया है। वे भारत के खिलाफ अंधराष्ट्रीयता का परिचय देकर, परमाणु हमले की धमकी देकर और हताश भरे कूटनीतिक कदमों के जरिये फिर से अपनी अहमियत साबित करने की कोशिश कर रहे हैैं। आने वाले दिनों में पाकिस्तान कश्मीर में हिंसा भड़काने की कोशिश करेगा और उसके आधार पर भारत को अपराधी साबित कर अपना उल्लू सीधा करने का प्रयास करेगा। इसके लिए वह घाटी से कर्फ्यू हटाए जाने का इंतजार कर रहा है। कश्मीर का दूत बनने की इमरान खान की घोषणा कश्मीर को अशांति की आग में झोंकने की ही एक नापाक कोशिश है।

भारत हमारा शाश्वत दुश्मन है

इमरान खान के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना के सामने भी अपना वजूद साबित करने की चुनौती है। वह पाकिस्तानी जनता को दिखाना चाहती है कि वह सक्रिय है और भारत को जवाब देने के लिए कुछ कर रही है। प्रत्येक शुक्रवार को कश्मीरियों के साथ खड़े होने का तमाशा इसी कवायद का हिस्सा है। इस्लामाबाद और रावलपिंडी के ये सारे कदम पाकिस्तानी जनता के दिमाग में एक ही बात भरेंगे कि भारत हमारा शाश्वत दुश्मन है। ऐसी स्थिति में भारत को पाकिस्तान के खिलाफ अति सक्रिय कूटनीति का परिचय देना चाहिए।

पाकिस्तान की बदहाल आर्थिक व्यवस्था

नई दिल्ली को पाकिस्तानी जनता तक यह बात पहुंचानी चाहिए कि कैसे अंध भारत विरोधी रुख के कारण इस्लामाबाद और रावलपिंडी ने पाकिस्तान को आर्थिक बदहाली में ढकेल दिया है। पाकिस्तान आज भारत के साथ युद्ध करने की स्थिति में नहीं हैै। यदि 1965 और 1971 की तरह इस्लामाबाद और रावलपिंडी भारत से युद्ध की हिमाकत करेंगे तो इससे अपनी मुसीबत ही बढ़ाएंगे।

( लेखक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी हैैं )