आर्थिक लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम पर्यटन, कई देशों की रोजी-रोटी इससे चलती है
पर्यटन और अर्थव्यवस्था का चोली दामन का साथ है। कई देशों की तो रोजीरोटी ही इससे चल रही है। भारत में भी पर्यटन को पूरे समर्पण भाव से पोषित करने की जरूरत है।
[ऋषि राज]। पिछले वर्ष 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को आह्वान किया था कि वे देश के पर्यटन स्थलों पर घूम कर आएं। उसके बाद ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से भी उन्होंने पुन: देशवासियों से कम से कम 15 पर्यटन स्थलों पर जाने के लिए प्रेरित किया है। उनका मकसद एकदम स्पष्ट है।
प्रधानमंत्री ना केवल पर्यटन स्थलों का विकास चाहते हैं, बल्कि पर्यटन के माध्यम से होने वाली आमदनी को भी कई गुना बढ़ाना चाहते हैं। इसमें कोई संशय नहीं है कि मौजूदा अर्थव्यवस्था को ‘फाइव ट्रिलियन डॉलर’ यानी पांच लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचाने में पर्यटन का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। हां, यह अवश्य है कि इसके लिए हमें इस क्षेत्र में नई संभावनाओं को तलाशना होगा, अपनी रणनीति में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करने होंगे और सबसे अधिक जरूरी है, मौजूदा आधारिक ढांचे का रखरखाव सही तरीके से हो, ताकि पर्यटक वहां आसानी से और बड़ी संख्या में आ सकें।
अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों पर देना होगा ध्यान : ‘फाइव ट्रिलियन इकोनॉमी’ के स्वप्न को साकार करने के लिए पर्यटन को केंद्र में रख कर नीतियों में बुनियादी और क्रांतिकारी बदलाव करने होंगे, लीक से हटकर काम करना होगा, ‘आउट ऑफ बॉक्स’ सोच को अपना कर ही हम अपने देश को पर्यटन प्रधान बना सकते हैं। भारत में इसकी क्षमता भी है। हमारे देश की गिनती भी फ्रांस, स्पेन, अमेरिका और चीन सरीखे देशों में हो सकती है, जहां हर वर्ष बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आते हैं। यह बात काफी सकारात्मक है कि वर्ष 2014 के बाद हमारे देश की पर्यटन में वैश्विक स्तर की रैंकिंग 52 से 34 पर आ गई है। आज पर्यटन सेक्टर की देश की जीडीपी में 3.6 प्रतिशत की भागीदारी है, परंतु यदि हम संभावनाओं की बात करें, तो यही एक ऐसा क्षेत्र है जहां मात्र छोटे-छोटे बदलाव करके ही हम करोड़ों-अरबों रुपये कमा सकते हैं। ऐसा करने से ना केवल कमाई बढ़ेगी, बल्कि रोजगार में भी असीम वृद्धि होगी जो आज हमारे देश के लिए एक बड़ी चुनौती या फिर कहें कि समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रहा है।
आसान बने लक्षद्वीप की यात्रा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के पिछले 27 अक्टूबर के कार्यक्रम में लक्षद्वीप का भी जिक्र किया था। अब जब उन्होंने देशवासियों से वहां जाने का आह्वान किया है, तो जाहिर तौर पर अभी तक लाखों लोगों ने वहां जाने का मन भी बना लिया होगा। इसमें कोई संशय नहीं कि वहां पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि लक्षद्वीप का भी अंडमान निकोबार की तरह विकास किया जा सकता है। पर्यटन विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है यहां की हवाई पट्टी, जो इतनी छोटी है कि यहां केवल छोटा हवाई जहाज ही उतारा जा सकता है। इसको बड़ा करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय के पास मामला वर्षों से विचाराधीन है। अगर यहां हवाई पट्टी वाली समस्या का समाधान कर दिया जाए तो यह भी अंडमान निकोबार की तरह एक पूर्ण विकसित पर्यटन स्थल बन जाएगा। आशा है, सरकार जल्द इस पर कार्रवाई करेगी।
मुंबई से शिरडी यात्रा : मुंबई से शिरडी के लिए रोजाना बड़ी संख्या में बसें चलती हैं। अगर मुंबई से शिरडी के लिए दिन में प्रत्येक चार घंटे में एक इंटरसिटी एक्सप्रेस की तरह ट्रेन चला दी जाए जिसमें दर्शनों के ‘पेड पास’ की व्यवस्था भी साथ ही हो तो अनेक कामगार श्रद्धालु इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। मुंबई से पंढरपुर के लिए भी कोई अच्छी ओवर नाइट ट्रेन उपलब्ध करवाई जा सकती है। महाराष्ट्र में पंढरपुर महाराज को मानने वाले भक्तों की संख्या करोड़ों में है। इस संपूर्ण विषय पर रेल विभाग एक अध्यन करे और पर्यटन स्थलों के समग्र विकास के लिए रूप-रेखा तैयार कर गाड़ियों का संचालन करे।
दिल्ली से वैष्णो देवी यात्रा : दिल्ली से श्रीमाता वैष्णो देवी कटड़ा के लिए हाल ही में रेलवे ने ‘वंदे भारत’ ट्रेन सेवा शुरू की है जो एक अच्छा कदम है। लेकिन रेलवे को यह समझना होगा कि सर्विस क्लास और बिजनेस क्लास हमेशा अपने दिन का समय बचाना चाहता है। इसके लिए प्रीमियम ओवर नाइट ‘हमसफर एक्सप्रेस’ जैसी ट्रेन शुरू की जा सकती है। यदि इस रूट पर हमसफर एक्सप्रेस शुरू की जाए तो मौजूदा संचालित ओवर नाइट ट्रेन श्रीशक्ति एक्सप्रेस से बढ़िया सुविधा दे सकती है और इस प्रकार लोग प्रीमियम ट्रेन का अधिक किराया देने में भी नहीं हिचकिचाएंगे। इस गाड़ी के माध्यम से ‘एक दिन में वैष्णो माता की यात्रा’ कार्यक्रम की शुरुआत की जा सकती है।
ऐसी सुविधा शुरू करने से ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को आकर्षित किया जा सकता है जो पर्यटन में मील का पत्थर साबित होगा। कम से कम नई दिल्ली से जम्मूतवी तक जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस को ही यदि तत्काल प्रभाव से जम्मूतवी से श्रीमाता वैष्णो देवी कटड़ा तक बढ़ा दिया जाए तो श्रीमाता वैष्णो देवी की यात्रा करने वाले पर्यटकों को ज्यादा सुविधा मिलेगी। रेलवे के लिए ऐसा करना ज्यादा मुश्किल भी नहीं है, क्योंकि कटड़ा तक इसे विस्तार देने के बावजूद इस ट्रेन के रखरखाव के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। कहने का तात्पर्य कि इसे बिना किसी समस्या के कटड़ा तक बढ़ाया जा सकता है। ऐसी कई अन्य गाड़ियां हैं जिन्हें मौजूदा गंतव्य से आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
शहीद स्मारकों का भ्रमण हो आसान : इसी प्रकार से आज की युवा पीढ़ी में राष्ट्रवाद के बीजारोपण के लिए अत्यंत आवश्यक है कि उन्हें शहीदों से जुड़े स्थलों पर ले जाया जाए और रेल मंत्रालय ऐसे स्थानों के लिए विशेष तौर पर रेलगाड़ियों का परिचालन करे। दिल्ली से फिरोजपुर (हुसैनीवाला) के लिए ओवर नाइट ट्रेन हो जिसका नाम ‘शहीद ए आजम एक्सप्रेस’ रखा जाए। फिरोजपुर रेलवे स्टेशन पर बस उपलब्ध हो जो बच्चों को हुसैनीवाला ले जाए और शाम को वापस फिरोजपुर ले आए और अगली सुबह वे लोग दिल्ली पहुंच जाएं।
[स्वतंत्र टिप्पणीकार]
यह भी पढ़ें:-
अमेरिका के बयान के बाद पाक संभला तो ठीक नहीं तो...! चीन भी सवालों के कटघरे में खड़ा
जब जेल गया 2 माह का था बेटा, 22 साल बाद पिता के सीने से लिपटा तो जेलर के भी छलक गए आंसू