[निरंकार सिंह]। विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की चुनौती देने वाले विपक्षी नेता अंतत: गाली-गलौज पर उतर आए। ममता बनर्जी हों या राबड़ी देवी, इनमें इस बात की होड़ लगी है कि कौन सबसे ज्यादा गाली मोदी को देगा। कई विपक्षी नेताओं की सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि मोदी बेईमान-चोर क्यों नहीं हैं। यदि वह भी उनकी तरह ही बेईमान और चोर होते तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होती, क्योंकि राजनीति में चोर-चोर मौसेरे भाई माने जाते हैं।

घोटालों का लंबा इतिहास समेटे कांग्रेस पार्टी की समस्या यही है कि उनकी तमाम कोशिशों के बाद भी मोदी की छवि खराब नहीं हो पा रही है। क्षेत्रीय दलों ने, जिन्होंने राजनीतिक सत्ता को अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति का जरिया मान रखा है और जातिवाद के माध्यम से अपनी राजनीति चमकाते हैं, वे भी मोदी को चुनौती नहीं दे पा रहे हैं। इसलिए वे उनकी जाति पर सवाल उठाकर भ्रम पैदा करके राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं। लेकिन जनता अब जाति और धर्म से ऊपर उठ रही है। मोदी का काम जमीन पर दिखाई दे रहा है। जिन गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना में घर, शौचालय, बिजली, गैस चूल्हा और आयुष्मान योजना का लाभ मिला है वे जातिवाद की राजनीति करने वालों के लिए चुनौती बन गए हैं।

कांग्रेस के कुछ नेता कहते हैं कि जीएसटी और नोटबंदी पर मोदी चुनाव लड़ें, पर नोटबंदी और जीएसटी के लागू होने के बाद कई राज्यों में चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में भाजपा ने अपनी जीत दर्ज की है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस जीती जरूर है, पर किसानों का कर्ज माफी का वादा पूरा नहीं करने के कारण जनता कांग्रेस से नाराज है। वहां भाजपा की ताकत बढ़ गई है। विपक्ष को यह अंदाजा हो गया है कि मोदी सरकार के पांच साल के कामों पर उन्हें चुनाव में नहीं हराया जा सकता है, इसलिए एक दूसरे को जेल भेजने वाले परस्पर विरोधी दल अपने पापों पर पर्दा डालने के लिए एकजुट हो गए। लेकिन बिना नीतियों और कार्यक्रमों के अभाव में यह एकता सिर्फ मोदी को हटाने पर आकर टिक गई। विपक्षी दलों के भ्रष्ट नेता इस बात को समझते हैं कि यदि मोदी दोबारा सत्ता में आ गए तो हम लोगों को जेल जाना पड़ सकता है। उनके सामने अस्तित्व बचाने की मजबूरी है।

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी बिना किसी आधार के चौकीदार के चोर होने का नारा लगाते रहे हैं, जबकि वे स्वयं नेशनल हेराल्ड मामले में जमानत पर हैं। प्रियंका वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा पर भी जमीनों की हेराफेरी के मामले की जांच चल रही है। राहुल सिर्फ प्रधानमंत्री को चोर ही नहीं कह रहे, बल्कि यह झूठा दावा भी कर रहे हैं कि उन्होंने अनिल अंबानी के खाते में 30 हजार करोड़ रुपये डाले।

आज देश कश्मीर मामले में नेहरू की गलतियों का नतीजा भुगत रहा है। आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तान ने एक तिहाई कश्मीर पर कब्जा कर लिया और नेहरू देखते रह गए। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में जाकर पूरे मामले को उलझा दिया। नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में ही भारत के लद्दाख के एक बड़े हिस्से पर चीन ने कब्जा कर लिया। इंदिरा गांधी के भी काले कारनामे कम नहीं हैं। इमरजेंसी लगाकर उन्होंने लाखों लोगों को बिना किसी कसूर के जेल में डाल दिया था।

जयप्रकाश नारायण जैसे देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी को जेल की तनहाई में बंद करके यातनाएं दी गईं। नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन किया गया और समाचार-पत्रों पर सेंसरशिप लगाकर उनकी आवाज को बंद कर दिया गया था। राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में ही भोपाल गैस त्रासदी के समय हजारों लोग बेमौत मारे गए थे। उन्होंने उसके गुनहगार एंडरसन को जेल भेजने के बजाय सरकारी प्लेन से विदेश भगा दिया गया था। सिखों के सामूहिक कत्लेआम पर आंखे मूंदे रखना क्या राजीव गांधी का पाप नहीं है। राजनीति में जब आप वर्तमान प्रधानमंत्री पर बेबुनियाद आरोप लगाते और गाली-गलौज करते हैं तो कम से कम सच्चाई सुनने के लिए भी तैयार रहिए। यह देश नेहरू, इंदिरा और राजीव की जागीर नहीं है। देश में लोकतंत्र है और नरेंद्र मोदी भी देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत चुने गए प्रधानमंत्री हैं। वह देश की जनता की आशाओं और आकांक्षाओं के प्रतीक हैं, उनकी आलोचना तथ्यों के साथ की जा सकती है, पर गाली-गलौज से उनका अपमान करने का किसी को हक नहीं है।

कांग्रेस के नेता प्रधानमंत्री की तर्कसंगत आलोचना के बजाय जिस घटिया स्तर पर गाली-गलौज कर रहे हैं उसकी किसी लोकतांत्रिक देश में मिसाल नहीं मिलती है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रेम की भाषा बोलने का दावा करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री को वे और उनकी पार्टी के नेता जिस तरह के संबोधनों से संबांधित कर चुके हैं, उसे लिखना यहां ठीक नहीं होगा। यह प्रधानमंत्री का अपमान नहीं तो और क्या है? पर कांग्रेस और विपक्ष के नेता मोदी को जितनी अधिक गालियां देंगे उससे उनका ही नुकसान होगा। चुनावों में इसका जवाब उन्हें जनता देगी, क्योंकि जनता के लिए उन्होंने बहुत काम किया। गरीबों का आवास, शौचालय, गैस चूल्हा से लेकर मुफ्त बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराया है। हुनरमंद बेरोजगारों के लिए मुद्रा योजना के तहत बड़े पैमाने पर रोजगार दिया गया है।

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की आज दुनिया में सराहना की जा रही है और दुनिया में भारत की हैसियत बढ़ी है। इस बार का लोकसभा चुनाव उम्मीद का चुनाव है। वर्ष 2014 की तरह इसमें कहीं नकारात्मकता नहीं है। लोग देख रहे हैं कि उनका भविष्य सुरक्षित है। आर्थिक मोर्चे पर भी देश जल्द दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। आज मोदी देश की एकता और अखंडता के प्रतीक बन गए हैं। इसलिए विपक्ष चाहे जितनी गालियां उन्हें दे, पर चुनावों में उन्हें हरा पाना मुश्किल हो गया है। कांग्रेस ने देश का विरोध कर जनमानस से अपने आपको दूर दिया है। कांग्रेस नेताओं को भी इसका अहसास हो गया है और इसीलिए बालाकोट और एयरस्ट्राइक से पीछा छुड़ाने के लिए राफेल का फर्जी राग अलाप रहे हैं।

[स्वतंत्र टिप्पणीकार]

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