[अवधेश कुमार]। चुनाव पूर्व अंतरिम बजट के बारे में आम धारणा यही रहती है कि इसमें मतदाताओं के हर वर्ग को लुभाने की कोशिश होगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अनुपस्थिति में पीयूष गोयल द्वारा प्रस्तुत बजट की एक कसौटी यकीनन यही होगी। बजट में कोई सख्त कदम नहीं उठाना तथा सभी वर्गों के लिए कुछ न कुछ रियायत या प्रत्यक्ष लाभ देने की कोशिशों को अर्थशास्त्र से ज्यादा राजनीति शास्त्र माना जाएगा। इस बजट को यहीं तक सीमित करने से इसका निष्पक्ष आकलन नहीं हो पाएगा।

चुनाव को ध्यान में रखते हुए भी विकास के व्यापक विजन और कार्ययोजनाओं वाला यह बजट है। गोयल ने कहा कि यह सिर्फ अंतरिम बजट नहीं, देश की विकास यात्रा का माध्यम है जो देशवासियों के बूते भारत को दुनिया का अग्रणी देश बनायेगा।

पिछले साल के कुल खर्च 24,57,235 करोड़ से बढ़ाकर 27,84,200 करोड़ का बजट पेश किया गया है। इसमें सभी वर्ग के मतदाताओं को खुश करने के साथ देश के विकास तथा समाज के सभी तबकों को उसकी मुख्यधारा में रखने का एक व्यापक दर्शन है। वर्ष 2030 तक का भारत का लक्ष्य निर्धारित कर देना और उसको पूरा करने के लिए 10 आयामों की घोषणा इस बजट को देश निर्माण का एक रोडमैप बना देता है।

अगले 10 वर्षों में भारत को 10 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य कठिन है, लेकिन बजट की खासियत यही है कि पीयूष गोयल का भाषण इस तरह से तैयार किया गया था और हर क्षेत्र के आंकड़े इस तरह से दिए गए कि पहली नजर में लगता है कि वाकई ऐसा हो सकेगा। दस आयामों को देखें तो यदि भारत का सामाजिक और भौतिक आधारभूत संरचना सुदृढ़ हुआ तो कितना बदलाव आएगा इसकी कल्पना करिए।

गांवों की अर्थव्यवस्था को सशक्त करते हुए भारत को वैश्विक विनिर्माण का हब बनाने, सबको स्वच्छ पेयजल, सूक्ष्म सिंचाई, समुद्र का पूरा उपयोग, तटीय क्षेत्र का पूरा विकास, अंतरिक्ष में ऊंची छलांग, ऑर्गेनिक कृषि उत्पादन, कृषि का आधुनिकीकरण तथा लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं आदि ऐसे पहलू हैं जिनकी कल्पना तो हम करते रहे हैं, पर एक साथ समग्र रूप में देश के नवनिर्माण के लिए इसे बजट में प्रस्तुत किए जाने का अतीत हमारे पास उपलब्ध नहीं। बजट इस तरह प्रस्तुत किया गया है कि आसानी से इसकी आलोचना नहीं हो सकती।

पीयूष गोयल के बजट भाषण में 2014 से दिसंबर 2018 तक की ऐसी लघु आर्थिक समीक्षा है जिससे यह साबित हो कि हर क्षेत्र में अर्थव्यवस्था ने संतोषजनक प्रगति की है। इसमें कई बातें सही भी हैं। मसलन स्वच्छता अभियान और प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़े आंकड़े हैं। 2014 तक ढाई करोड़ परिवार बिना बिजली के थे। सौभाग्य योजना से लगभग हर घर को बिजली का कनेक्शन उपलब्ध करा दिया गया। डिजिटल इंडिया में काफी प्रगति हुई है। भारत विश्व में मोबाइल डाटा प्रयोग करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश है। मोबाइल एवं उसके उपकरण बनाने वाली कंपनियां दो से बढ़कर 268 हो गई हैं। सरकार ने यह विश्वास दिलाने की कोशिश की है कि हमने सही दिशा में प्रगति की है और आगे भी करेंगे।

अब आगे की कुछ योजनाओं पर ध्यान दीजिए। कृषि और किसान हाल के वर्षों में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि एक नई योजना है जिसके तहत दो हेक्टेयर तक जमीन वाले किसानों के खाते में तीन किस्तों में छह हजार रुपये प्रतिवर्ष स्थानांतरित किया जाएगा। यह छोटी राशि लगती है, लेकिन ज्यादातर छोटे किसान पांच से 10 हजार रुपये ही कर्ज लेते हैं। किसानों के लिए कर्ज की रकम को रिकॉर्ड 11 लाख 66 हजार करोड़ कर दिया गया है। गोसंरक्षण के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन विलंब से उठाया गया उचित कदम है। मछली पालन, पशुपालन करने वालों को भी किसान की श्रेणी में लाकर उनको क्रेडिट कार्ड देना तथा उस पर ब्याज में छूट भी प्रोत्साहित करने वाला है।

मध्यमवर्ग के लिए सबसे बड़ा कदम पांच लाख तक की आय सीमा को पूरी तरह करमुक्त करना माना जा रहा है। पर इसके अलावा भी अनेक कदम हैं। मसलन नई पेंशन योजना में कर्मचारियों की हिस्सेदारी तो 10 प्रतिशत ही रहेगी, लेकिन सरकार अब 14 प्रतिशत देगी। ब्याज पर टीडीएस की सीमा 10 हजार से 40 हजार करना सेवानिवृत्त एवं सामान्य मध्यमवर्ग को खुश करने वाला रास्ता है। असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा की घोषणा भी इस बजट की एक प्रमुख विशेषता है। सुरक्षा बीमा योजना के साथ प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन की योजना आरंभ हुई है। इसके तहत 60 वर्ष की उम्र के बाद तीन हजार रुपया पेंशन मिलेगा। इससे 10 करोड़ श्रमिकों को लाभ होने की संभावना है। पांच वर्षों में एक लाख डिजिटल गांव बनाने की योजना है। व्यापारी वर्ग सरकार के कई कदमों से नाराज है जिसमें जीएसटी प्रमुख है। 250 करोड़ टर्न ओवर वाली कंपनियों का कर घटा दिया गया। जीएसटी में तो पहले ही कमी कर दी गई थी। अब एक सीमा तक वाली कंपनियों को तीन महीने पर जीएसटी रिटर्न भरना होगा। इसमें 90 प्रतिशत व्यापारी आ जाएंगे।

सम्मानजनक शब्द करदाताओं के बारे में प्रयोग करते हुए कहा गया कि आपने जो कर दिया उससे हम गरीबों के कल्याण का कार्यक्रम तथा आधारभूत संरचना का विकास कर रहे हैं। ऐसे वाक्य लोगों के आकर्षित करते हैं। करदाताओं को परेशानी न हो इसलिए ज्यादा पारदर्शी बनाया गया है। सभी वर्गों के लिए इतना कुछ करते हुए भी अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे तेज विकसित बनाए रखना हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला है। सबसे चिंता राजकोषीय घाटे की थी जो पिछले वर्ष के 3.3 प्रतिशत लक्ष्य को पा चुका है तथा अगले वर्ष 3.4 प्रतिशत हो सकता है। चालू खाते का घाटा 2.5 प्रतिशत तक सीमित रखना भी उपलब्धि है। विकास दर महंगाई दर से ज्यादा है। साढ़े चार वर्षों में औसत महंगाई दर 4.6 प्रतिशत रहा है। अब देखना है कि जितनी घोषणाएं हुईं हैं उनका कितना धरातल पर उतरता है।
[वरिष्ठ पत्रकार]