के ए बद्रीनाथ। Jammu Kashmir Article 370 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 के मई में जब बांदीपुर जिले में स्थित 330 मेगावॉट की क्षमता वाली किशनगंगा पनबिजली परियोजना को राष्ट्र को समíपत किया तो बहुत से लोगों ने कल्पना भी नहीं की होगी कि इससे महज साल दो साल में ही जम्मू-कश्मीर के लोगों को बहुआयामी फायदा हो सकता है।

एनएचपीसी यानी नेशनल हाइड्रो पावर कॉरपोरेशन के स्वामित्व वाली इस पनबिजली परियोजना को कुछ आलोचकों ने केंद्रीय बिजली कंपनी के संसाधनों की बर्बादी के रूप में भी दर्शाया था। लेकिन 23 किमी लंबी सुरंग के साथ इंजीनियरिंग का यह चमत्कार यानी यह परियोजना जम्मू-कश्मीर में जिस तरह की समृद्धि लेकर आई है, उसने इन आलोचकों को गलत साबित कर दिया है।

इतना ही नहीं, पाकिस्तान द्वारा नदी परियोजना के इस भाग के निर्माण में बाधा डालने के लिए किए गए ओछे प्रयासों का सामना करने के लिए भारत ने हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय तक में पाकिस्तान की गतिविधियों का कड़ा विरोध किया ताकि इस उद्यम को साकार किया जा सके और इसके जरिये कश्मीर घाटी में समृद्धि लाई जा सके।

इस परियोजना से होने वाले फायदे को इस तरह आसानी से रेखांकित किया जा सकता है कि शुरुआती दस महीनों में इस केंद्र शासित प्रदेश को 34.3 करोड़ रुपये मूल्य की 85 मिलियन यूनिट मुफ्त बिजली मिली और पानी के उपयोग शुल्क के लिए साढ़े दस करोड़ रुपये। यह परियोजना बर्फ से लदी इस घाटी में लोगों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आई है जो अब तक बिजली के गंभीर संकट से जूझ रही थी, विशेष रूप से कठोर सíदयों वाले दिनों में जब यह संकट और गंभीर हो जाता था। ऐसे में यह परियोजना यहां के लोगों के लिए जीवनदायी साबित हो सकती है। हो सकता है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का विरोध करने वाले लोगों ने यहां होने वाले संभावित विकास और उसके फायदों को प्रथम दृष्टतया कम करके आंका हो जो यह नई व्यवस्था कश्मीर घाटी, जम्मू और लद्दाख में लेकर आने वाली है।

किशनगंगा बिजली परियोजना उन परियोजनाओं की कड़ी में से एक थी जिन्हें घाटी में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उद्देश्य से सोचा गया था। सिंचाई के प्रयोजनों के लिए बिजली प्रदान करने और पानी को वितरित करने के अलावा किशनगंगा जैसी परियोजनाओं से कई अन्य फायदे हैं, जैसे कम से कम लागत पर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, नए कौशल प्रदान करना तथा स्थानीय क्षेत्र का विकास जैसे अनेक कार्यो को अंजाम देना आदि। इनके अलावा घाटी में युवाओं को किए जाने वाले नए रोजगारों की पेशकश को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता जिसे अपने भारत विरोधी एजेंडे के साथ आतंकवादियों ने तहस नहस कर दिया था।

हाल ही में उप-राज्यपाल ने बिजली वितरण की दस परियोजनाओं का उद्घाटन किया है जिन्हें कई जिलों में बिजली की कमी को आठ घंटे तक कम करने के लिए निष्पादित किया गया था। इसके अलावा जिन सात अन्य परियोजनाओं की आधारशिला उन्होंने रखी थी, उन पर भी जल्द काम शुरू किया जाएगा। इससे यहां के निवासियों को व्यापक लाभ होगा। अब तक जिन चीजों को नजरअंदाज किया था उन सभी पर यहां का प्रशासन ध्यान दे रहा है और लोगों को तमाम सुविधाएं मुहैया कराने के प्रति कृतसंकल्पित दिख रहा है।

बड़ी बिजली परियोजनाओं के वित्त पोषण के साथ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए एक संयुक्त बिजली नियामक आयोग की स्थापना इन दोनों केंद्रशासित प्रदेश में ऊर्जा संसाधनों के क्रमिक विकास की अनुमति देते हुए बहुत जरूरी बिजली सुधारों की शुरुआत करेगा। इस क्षेत्र में उपभोक्ताओं को लाभ होने की उम्मीद है, क्योंकि बिजली शुल्क का विनियमन स्वतंत्र आयोग द्वारा किए जाने का अनुमान है।

इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में चौबीस घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आलोक कुमार के नेतृत्व वाले उच्च स्तरीय पैनल की रिपोर्ट को लागू करने की जरूरत है, ताकि यहां आर्थिक लाभ को अधिकतम किया जा सके और इस क्षेत्र की खुद की राजस्व धाराओं के साथ इसे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाया जा सके। अगर उद्योगों, कृषि और घरेलू खपत की मांग को पूरा किया जाना है तो इसके लिए एक पुख्ता योजना बनानी होगी। इसके पहले कदम के रूप में बिजली के कमजोर बुनियादी ढांचे की मरम्मत करने की आवश्यकता है।

अधिकांश केंद्रीय बिजली कंपनियां सामुदायिक बुनियादी ढांचे के विकास और गैर-व्यावसायिक सेवाएं प्रदान करने के लिए भारी धनराशि लगा रही हैं। उदाहरण के लिए एनटीपीसी, पावर ग्रिड, एनएचपीसी, पीएफसी और आरईसी जैसी कंपनियां पहले ही कौशल विकास और आश्रय गृहों जैसी कई सामुदायिक परियोजनाओं के लिए 100 करोड़ रुपये से अधिक की प्रतिबद्धता जता चुकी हैं। रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए केंद्र सरकार के मंत्रलयों द्वारा 500 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है।

अगर केंद्र सरकार की योजनाएं कोई संकेत हैं तो जम्मू-कश्मीर संपूर्ण परिवर्तन के रास्ते पर मजबूती से चलता दिख रहा है। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद ऐसे हालात निरंतर बन रहे हैं जिनमें यह क्षेत्र आतंकवाद के अभिशाप को पीछे छोड़ रहा है और अर्थहीन हत्याओं को अंजाम देने वाले भारत विरोधी समूहों को भी खत्म किया जा रहा है।

[पूर्व संपादक, फाइनेंशियल क्रॉनिकल]