[ विजयपाल सिंह तोमर ]: गत दिवस प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम गरीब कल्याण योजना को नवंबर माह तक जारी रखने की घोषणा कर यही संदेश दिया कि निर्धन तबके का कल्याण उनकी प्राथमिकता में है। इस योजना के तहत प्रत्येक गरीब परिवार को हर माह पांच किलो चावल या गेहूं के साथ एक किलो चना मुफ्त उपलब्ध कराया जाना है। इस योजना के विस्तार की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि बीते तीन महीनों में 20 करोड़ गरीब परिवारों के जनधन खातों में 31 हजार करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं। इसी अवधि में नौ करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में 18 हजार करोड़ रुपये जमा किए गए हैं।

पीएम ने उठाए ऐतिहासिक कदम, किसानों की हो सकती है आय दोगुनी

इस योजना को जारी रखने की जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने करदाताओं के साथ किसानों को भी धन्यवाद दिया, जिनकी मेहनत के चलते हमारे अन्न भंडार भरे हुए हैं। अन्न भंडार भरने वाले किसानों के हितों की रक्षा के लिए इसी कोरोना काल में मोदी सरकार ने कुछ ऐसे कदम भी उठाए हैं जिन्हेंं सचमुच ऐतिहासिक कहा जा सकता है। ये कदम किसानों की आय दोगुनी करने में सहायक बनने वाले भी हैं। हालांकि यह लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है, लेकिन असंभव नहीं है। हमारे देश का लगभग 86 प्रतिशत किसान लघु एवं सीमांत है। इनमें से कुछ के पास तो इतनी कम जमीन है कि उन्हेंं खेतिहर मजदूर ही कहा जाएगा। अच्छी बात यह है कि ऐसे किसान भी सरकार की प्राथमिकता में हैं।

कृषि उत्पाद कम से कम लागत में तैयार किए जाएं

खेती में आज की सबसे बड़ी जरूरत यह है कि कृषि उत्पाद कम से कम लागत में तैयार किए जाएं। जो किसान हल्दी पैदा करता है वह यदि उसे सुखाकर, पाउडर बनाकर और पैकिंग कर बेचने में समर्थ हो जाए उसकी आय कई गुना बढ़ जाएगी। सरकार ने कृषि उत्पादों के मूल्य वर्धन की दिशा में एक कार्य योजना आरंभ की है। वर्तमान में भारत में कृषि उत्पादों का मूल्य वर्धन करीब 7 प्रतिशत है, जबकि कुछ देशों में यह 60-70 प्रतिशत तक है।

कृषि उत्पादों को दुनिया भर में लोकप्रिय करने के लिए सरकार क्लस्टर बनाने जा रही

घरेलू कृषि उत्पादों को ब्रांड बनाने और दुनिया भर में लोकप्रिय करने के लिए सरकार क्लस्टर बनाने जा रही है। ये क्लस्टर राज्य विशेष के कृषि उत्पादों को ध्यान में रखकर बनाए जाने हैं। इसके अलावा हर क्षेत्र में एग्रो प्रोसेसिंग की व्यवस्था करने से कृषि उत्पादों का मूल्य वर्धन करना भी सरल हो सकता है। यह उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के समय जब अर्थव्यवस्था के बढ़ने की दर न्यूनतम स्तर पर है तब कृषि क्षेत्र की विकास दर 5.9 प्रतिशत है, जो हाल के समय में उच्चतम स्तर है।

देश में आज भी 50 फीसद से अधिक रोजगार कृषि से है 

देश में आज भी 50 प्रतिशत से अधिक रोजगार कृषि से है। आजादी के समय देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान 52 प्रतिशत था। उसको फिर से हासिल करने के लिए मोदी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में विभिन्न सुधारों को आगे बढ़ाया गया है। सरकार ने कृषि उपज को मंडियों से बाहर भी बेचने की छूट दी है। अब किसान जहां चाहे, जिसे चाहे अपनी फसल बेचने को आजाद होंगे। इसके साथ अनुबंध खेती की व्यवस्था की गई है। इसके तहत किसानों को फसल की बिजाई-रोपाई के समय ही मालूम हो जाएगा कि उसे उसकी फसल का क्या दाम मिलने वाला है। दस लाख स्वयं सहायता समूह बनाकर उन्हेंं नाबार्ड द्वारा आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने, विकास खंड स्तर पर अन्न भंडारण, प्रोसेसिंग मार्केटिंग की व्यवस्था करने जैसे उपाय भी किसानों की आय बढ़ाने में मददगार होंगे।

कोरोना के चलते दबाव में आई खेती

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार करीब 92000 करोड़ रुपये के कृषि उत्पाद हर वर्ष बर्बाद हो जाते हैं। अब उन्हेंं बचाया जा सकता है। कोरोना के चलते दबाव में आई खेती और अन्य गतिविधियां जैसे पशु पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, हर्बल खेती आदि के लिए जो घोषणाएं की गई हैं उनमें अधिकतर कृषि आधारित बुनियादी ढांचे को मजबूत करने से संबंधित हैं। हर्बल खेती के लिए 4000 करोड़ रुपये के फंड का एलान किया गया है।

मोदी सरकार ने मधुमक्खी पालन पर दिया जोर

औषधीय पौधों की खेती के लिए नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के अंतर्गत भी एक योजना बनाई गई है। इसमें 2.25 लाख हेक्टेयर जमीन पर औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस योजना के तहत औषधीय पौधों की क्षेत्रीय मंडियां भी बनाई जाएंगी। इसके अलावा गंगा किनारे हजारों एकड़ में पौधारोपण की मुहिम चलाई जाएगी। सरकार ने मधुमक्खी पालन पर भी जोर दिया है। इससे दो लाख से ज्यादा मधुमक्खी पालकों को फायदा मिलेगा।

एक लाख करोड़ रुपये के एग्री इंफ्रा फंड की घोषणा 

कृषि उपज के रखरखाव, ट्रांसपोर्टेशन एवं मार्केटिंग सुविधाओं के ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपये के एग्री इंफ्रा फंड की जो घोषणा की गई है उसका इस्तेमाल कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए भी किया जाना है।

फसलों के भंडारण के अभाव में किसानों को बहुत नुकसान झेलना पड़ता है

ध्यान रहे कि अभी फसलों के भंडारण के अभाव में किसानों को बहुत नुकसान झेलना पड़ता है। यह भी देखने में आया है कि सप्लाई चेन बाधित होने से किसानों की अपने उत्पाद में बेचना मुश्किल हो जाता है। महामारी के समय यह सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आई है। किसानों को इस परेशानी से बचाने के लिए सरकार ने ऑपरेशन ग्रीन का दायरा टमाटर, प्याज, आलू यानी टॉप से बढ़ाकर टोटल यानी सभी फल-सब्जियों तक कर दिया है। इसके तहत अब 50 फीसद सब्सिडी माल ढुलाई में और शेष 50 कोल्ड स्टोरेज में भंडारण पर दी जाएगी।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कृषि क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया गया

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन करके भी कृषि क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया गया है। इसका मकसद कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और निवेश बढ़ाना है। इस कानून में संशोधन के तहत सरकार ने अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दालें, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं के दायरे से बाहर निकालने का फैसला किया है। आपात परिस्थिति में सरकार इसमें बदलाव कर सकेगी। यदि उपरोक्त योजनाओं को धरातल पर उतारा जा सके तो निश्चित ही किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

( लेखक सांसद एवं भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष हैं )