लखनऊ, आशुतोष शुक्ल। अपने लिए ताली थाली बजवाने और दुनियाभर से प्रशंसा बटोर लेने के बाद डॉक्टर पुराने र्ढे पर लौट आए हैं। मरीजों और उनके तीमारदारों के शोषण की कहानियां नर्सिंग होम और प्राइवेट अस्पतालों से बाहर आने लगी हैं। दो की चीज दस में बेची जा रही है, सामान्य रोगी नर्सिंग होम की लापरवाही से कोरोना संक्रमित हो रहे हैं, मौतें हो रही हैं, प्रदर्शन हो रहे हैं, मारपीट हो रही है, थाना पुलिस मुकदमा हो रहा है लेकिन, डॉक्टर मान नहीं रहे। अपवाद छोड़ दें तो घातक चीनी वायरस डॉक्टरों के लिए सहालग लेकर आया है। कोई निमोनिया के नाम पर हजारों वसूल रहा है और कोई बिना जांच ही इलाज किए दे रहा।

प्राइवेट डॉक्टर अपने ऊपर लग रहे आरोपों से मुकर नहीं सकते। जब उन्होंने अति कर दी, तो पीड़ित मुख्यमंत्री के यहां शिकायत करने पहुंच गए। वहां उनकी सुनी गई और पिछले हफ्ते राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों के दुराचरण पर मुहर लगा दी। गुरुवार को योगी सरकार ने निर्णय किया कि कोरोना का इलाज करने वाले प्राइवेट अस्पताल अब नर्सिंग केयर, डॉक्टर विजिट और जांच के नाम पर मरीजों से मनमाने दाम नहीं ले सकेंगे। लूट इतने बड़े पैमाने पर थी कि हर चीज की दर सरकार को तय करनी पड़ी। यहां तक कि सरकार को ही प्राइवेट लैब में कोरोना टेस्ट की फीस 1,600 रुपये निर्धारित करनी पड़ी। अब तक इस जांच के लिए ढाई हजार रुपये वसूले जा रहे थे। डॉक्टर भी तू डाल-डाल मैं पात-पात खेलने वाले निकले। दरें तय होने के बाद लोग राहत की आस लगा रहे थे लेकिन, दो ही दिन में खबरें आने लगीं कि निजी लैब अब अपने यहां कोरोना जांच ही बंद करने लगी हैं। उनके मालिकों ने राज्य सरकार को बाकायदा चिट्ठी लिख दी कि 1,600 रुपये में वे जांच नहीं कर सकते। कुछ समझें आप! सरकार फीस फिक्स करे, लैब मालिक जांच बंद करने का दबाव बनाएंगे। अमानवीयता की पराकाष्ठा है यह। कोई सरकार वसूली के इस निर्मम भाव से पार नहीं पा सकती।

बिल्कुल इसी तरह कोरोना सरकारी अफसरों को भी खूब फला। कोरोना की जांच और इलाज में ऑक्सीमीटर की बड़ी भूमिका है। राज्य सरकार ने कुछ महीने पहले एक कोरोना किट तैयार करवाई। किट में ऑक्सीमीटर के साथ एक इंफ्रारेड थर्मामीटर और सैनिटाइजर होता है। सरकार ने हर पंचायत में यह किट रखवाने के निर्देश जून में दिए थे। किट खरीदी गईं लेकिन, फिर उनमें गड़बड़ी निकलने लगी। उनकी गुणवत्ता और कीमत पर सवाल उठने लगे। सुल्तानपुर और गाजीपुर में बाजार से काफी अधिक मूल्य पर खरीद की खबर फैली तो सरकार ने जांच के लिए गुरुवार को एसआइटी गठित कर दी। वहां के जिला पंचायत अधिकारी पहले ही निलंबित किए जा चुके थे। अपर मुख्य सचिव, राजस्व रेणुका कुमार की अध्यक्षता वाला यह जांच दल दस दिन में अपनी रिपोर्ट देगा। चंद अफसरों और प्राइवेट डॉक्टरों द्वारा आपदा को अवसर में बदलने का निकृष्टतम उदाहरण है कोरोना का यह दौर।

योगी सरकार को इस बात का श्रेय जाता है कि भ्रष्टाचार का पता लगते ही कार्रवाई तत्काल होती है। प्रयागराज और महोबा के पुलिस अधीक्षकों के विरुद्ध शिकायतें मिल रही थीं। आंतरिक जांच में उनकी सत्यता प्रमाणित होते ही मुख्यमंत्री ने गत सप्ताह दोनों को निलंबित कर दिया। महोबा के पूर्व एसपी पर तो रिश्वतखोरी की धाराओं में एफआइआर भी दर्ज करा दी गई। उनके साथ दो निरीक्षक भी फंसे और वे भी अब मुकदमा ङोल रहे हैं।

पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पिछली सरकार के कार्यकाल में हमेशा चर्चा में रहे। कभी खनन और कभी खुद पर लगे दुष्कर्म के आरोपों के लिए। जेल से पिछले ही हफ्ते छूटे थे और फिर लखनऊ मेडिकल कालेज में इलाज इलाज के लिए भर्ती हो गए थे। उधर राज्य सरकार ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था। गायत्री अस्पताल में ही थे कि उन पर एक और मुकदमा लिखा दिया गया और उनकी फिर गिरफ्तारी हो गई। अब इलाज चलने तक वह अस्पताल में रहेंगे और ठीक होते ही फिर जेल में। समय समय की बात..!

श्रीराम मंदिर के पिलर का निर्माण : एक खबर अब श्रीराम मंदिर की। अयोध्या में प्रस्तावित मंदिर के गर्भगृह की नींव इतनी मजबूत बनाई जाएगी कि अगले डेढ़ हजार वर्षो तक उसकी एक ईंट भी न हिल सके। इसी उद्देश्य से टेस्ट पिलर बनाए जाएंगे। ऐसे ही एक पिलर का काम शनिवार से आरंभ हो गया। मंदिर निर्माण देखने के लिए लोग अभी से बड़ी संख्या में अयोध्या पहुंचने लगे हैं। कोरोना का प्रकोप कम होते ही यह गिनती तेजी से बढ़ेगी। इस मंदिर का निर्माण पूरा होने पर देश-विदेश से बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालु श्रीराम के दर्शन को आएंगे।

[संपादक, उत्तर प्रदेश]