लखनऊ, आशुतोष शुक्ल। बीता हफ्ता घटनाओं से भरपूर रहा। ऐसी कई खबरें थीं, जिन्होंने आम और खास सबका ध्यान खींचा। फिर भी हाथरस कांड में हाईकोर्ट का निर्णय, दस लाख सरकारी कर्मचारियों को बोनस का त्योहारी उपहार, बलिया में पुलिस के सामने हुई हत्या जैसी सुर्खियां छाई रहीं। इनकी बात आगे करते हैं, क्योंकि अभी तो सुनानी है मथुरा की कहानी। वह खबर जो तय है कि देशभर में बहस और पालेबंदी का कारण बन गई है।

श्रीराम जन्मभूमि प्रकरण : संघ परिवार के एजेंडे में अयोध्या, मथुरा और काशी हमेशा से रहे। अयोध्या में मंदिर के पक्ष में निर्णय आते ही शेष दोनों नगरों की चर्चा होने लगी थी। विश्व हिंदू परिषद का नेतृत्व मथुरा का प्रश्न उठाने से बच रहा था। इस बीच मथुरा में एक याचिका दायर हुई, जो शुक्रवार को स्वीकार हो गई। इसका अर्थ हुआ कि अब अदालत में श्रीकृष्ण जन्मस्थान का केस भी चलेगा। श्रीराम जन्मभूमि प्रकरण की तरह यहां भी भगवान श्रीकृष्ण विराजमान एक वादी बनाए गए हैं। प्रतिपक्षी हैं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के सचिव आदि। इन सबको मथुरा जिला कोर्ट ने नोटिस जारी किया है और मुकदमे की अगली तारीख 18 नवंबर है। यह कहने की बात नहीं कि जैसे जैसे मुकदमा आगे बढ़ेगा, राजनीति को खुराक मिलती जाएगी।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ मीडिया ट्रायल नहीं : जैसाकि माना जा रहा था हाथरस कांड में हाईकोर्ट ने वहां के जिला प्रशासन को आड़े हाथों लिया। अदालत ने कहा कि लड़की का अंतिम संस्कार रात में कराने का कोई औचित्य नहीं था। एक दिन पहले हाथरस के डीएम प्रवीन कुमार लक्षकार कोर्ट में मान ही चुके थे कि यह निर्णय उनका था, न कि राज्य सरकार का। इसी आधार पर अगले दिन कोर्ट ने रात में किए गए अंतिम संस्कार को मानवाधिकारों का उल्लंघन माना और आश्चर्य जताया कि डीएम पर अब तक कार्रवाई नहीं की गई। अदालत की एक टिप्पणी मीडिया व राजनीतिक दलों पर थी और दोनों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। कोर्ट ने दोनों से जिम्मेदारी दिखाने को कहा। अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ मीडिया ट्रायल नहीं होता।

देवी की आराधना : शनिवार को प्रदेश में एक अनोखी योजना आरंभ हुई। मुख्यमंत्री ने बेटियों के देवी स्वरूप की आराधना करते हुए नवरात्र के पहले दिन मिशन शक्ति अभियान शुरू किया। यूं तो लड़कियों के रक्षार्थ पहले भी योजनाएं आती रही हैं, परंतु इस बार की खासियत यह है कि शारदीय नवरात्र से आरंभ यह अभियान चैत्र नवरात्र तक नित्य चलेगा। ऐसा भी पहली बार हुआ है कि मिशन शक्ति जैसे किसी अभियान की अगुवाई की जिम्मेदारी सीधे तौर पर महिला पुलिस को दी गई है। प्रदेश के 24 विभागों के समन्वय से इसे आगे बढ़ाया जाएगा, और इसमें मुख्य जोर बालिकाओं का मान-सम्मान व आत्मबल बढ़ाने पर होगा।

अब चर्चा बलिया की, जहां राजनीतिक संरक्षण में पल बढ़ रहे एक मनबढ़ ने क्षेत्रधिकारी, उप जिलाधिकारी और पुलिस की मौजूदगी में भी गोली चलाने से परहेज नहीं किया और एक व्यक्ति की हत्या कर दी। इस घटना में राजनीति का क्रूर चेहरा तब सामने आया, जब भाजपा के ही एक विधायक सुरेंद्र सिंह आरोपित की पैरोकारी में खुलकर सामने आ गए। अपने विवादास्पद बयानों के लिए कई बार पार्टी का सिरदर्द बन चुके विधायक को प्रदेश अध्यक्ष ने रविवार को तलब तो किया, लेकिन वह अपनी बात पर अड़े रहे। उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होती है, होती भी है या नहीं, यह देखने की बात होगी। इस घटना का मुख्य आरोपित धीरेंद्र सिंह भी लखनऊ में पकड़ा जा चुका है।

इन्हीं सब घटनाओं के बीच बीता हफ्ता युवाओं के लिए सुखद अनुभूतियां लेकर आया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर चयनित 31,277 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए। ये नियुक्तियां इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि परिषदीय विद्यालयों में लगभग 50 लाख छात्र बढ़े हैं और बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद रिक्त हैं। मुकदमों में फंसी शिक्षकों की भर्ती शुरू तो हुई। अंत में कुशीनगर की आकांक्षा सिंह का जिक्र भी जरूरी। पूर्वाचल की इस बेटी ने नीट में टॉप कर यूपी में नारी शक्ति की अलख जगाई है। नवरात्र के आराधना पर्व पर आकांक्षा की उपलब्धि स्तुत्य..।

[संपादक, उत्तर प्रदेश]