[ शैलेश त्रिपाठी ]: ट्रक भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि ट्रक वालों के पास दुनिया की हर समस्या का समाधान है। हालांकि यह बात अलग है कि वे कभी इसका अभिमान नहीं करते, लेकिन बाकी विशेषज्ञों की तरह अपने ज्ञान को छिपाकर भी नहीं रखते। खुलेआम ट्रक के पीछे लिखवाकर राह में सभी को बांटते चलते हैं। ऐसे ही एक ट्रक चालक जब नेता बन गए तो हमने उनसे कुछ गंभीर मुद्दों पर एक्सक्लूसिव बात करनी जरूरी समझा।

इस एक्सक्लूसिव बातचीत का ब्योरा इस प्रकार है-

-सबसे पहले अपना परिचय दीजिए?

-कड़कती है बिजली बरसता है सावन, चलती है सड़क पे जब उन्तालीस बावन

-ट्रक ड्राइवरी छोड़कर राजनीति में कैसे आए?

-बस वही..मां का आशीर्वाद।

-देश की सबसे बड़ी समस्या क्या है?

- देखिए ट्रक के आगे तो लिखा होता है बच्चे दो ही अच्छे, पर पीछे लिखा होता है रामू, श्यामू, सोनू-मोनू और पिंकी दे पप्पा दी गड्डी। बस यही है देश की सबसे बड़ी समस्या है। इतने बच्चे होंगे तो देश कैसे आगे बढ़ेगा? मैं तो सबसे बस यही कहूंगा कि ‘बीवी रखो टीपटाप, दो के बाद फुलस्टॉप।’

-आजकल देश आर्थिक समस्या से जूझ रहा है उसके लिए आपके पास कोई उपाय है?

-इस समस्या का बस एक समाधान है..जरा कम पी मेरी रानी, बड़ा महंगा है इराक का पानी। ऐसा हो जाए पेट्रोलियम आयात बिल कम होगा और देश आर्थिक मोर्चे पर मजबूत होगा।

-पाकिस्तान के लिए कोई संदेश देना हो क्या देंगे?

-सिर्फ एक..दूध मांगोगे तो खीर देंगे, कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे। इसी बीच उनका पीए, जो पूर्व में उनका खलासी हुआ करता था, कूद पड़ा और बोला..अइसा है, पाकिस्तान को ‘चीर’ देंगे, चाइना को ‘फाड़’ देंगे, जो हमारे मुल्क की ओर आंख उठाकर देखेगा उसे एकदम ‘उजाड़’ देंगे। नेताजी ने उसे शांत किया और बताने लगे कि यह बहुत ही ऊर्जावान कार्यकर्ता हैं। गाड़ी चलाते समय बाकी गाड़ी वालों को धमकी बहुत जोरदार तरीके से देता था। इसलिए सियासत में भी उसे साथ लेते आए।

-लेकिन आपके ही दल के कई नेता आपसे नाखुश बताए जा रहे हैं? उनके लिए क्या संदेश है?

-उनसे मेरा यही कहना है कि दम है तो पास कर, वर्ना बर्दाश्त कर।

-देश में जो असहिष्णुता का माहौल है, उस पर क्या कहना है ?

-देखिए प्रॉब्लम सिर्फ एक है कि मेरी भर के चली तो तेरी क्यों जली, ऐसे लोगो से मैं सिर्फ यही कहूंगा कि देख पराई अमानत हैरान न हो, खुदा तुझे भी देगा परेशान न हो।

-देश में तमाम समस्याएं हैं, उनका क्या?

-हां हैं, फिर भी नीम का पेड़ चंदन से कम नहीं, वतन हमारा भी लंदन से कम नहीं।

-आपके विरोधी कह रहे हैैं कि भला ट्रक चलाने वाले देश को क्या चलाएंगे? कई तो आपका मजाक उड़ा रहे हैैं। उनसे निपटने का कोई उपाय है।

-इसका एक ही उपाय है, इक्कीस का फूल सत्तर की माला बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला।

-बेरोजगारी बहुत है देश में, लाखों नौजवान पढ़-लिखकर बेकार बैठे हैं?

-कोई बेरोजगारी नहीं है, असलियत यह है कि जिधर देखो उधर ही इश्क के बीमार बैठे हैं, हजारों मर गए और सैंकड़ों तैयार बैठे हैं, हो गए बर्बाद सभी लड़कियों के वास्ते और कहते हैं कि सरकार ने बंद कर दिए रोजगार के रास्ते। याद रखें-काबिल बनोगो तो कामयाबी झक मारकर पीछे आएगी।

-विरोेधी दलों के नेताओं के लिए क्या संदेश है?

- उनके लिए मेरा बस एक ही संदेश है..एक बार मुस्करा दो।

-चूंकि आप ट्रक चलाते रहे हैैं इसलिए यह सवाल तो बनता ही है कि सड़कों पर दुर्घटनाएं रोकने के लिए आपके पास कोई योजना है?

-योजना की जरूरत नहीं, बस सब लोग यह बात गांठ बांध लें-‘धीरे चलोगे तो घर-बार मिलेगा, तेज चलोगे तो हरिद्वार मिलेगा।’

-देश का भविष्य कैसा है?

-फानूस बनकर जिसकी हिफाजत हवा करे, वो शमा क्या बुझेगी जिसे रोशन खुदा करे।

-चुनाव कहां से लड़ेंगे?

-वहीं से- वीरों की धरती जवानों का देश, बागी बलिया उत्तर प्रदेश।

-हार गए तो..?

-गिरते हैं शहसवार मैदाने जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले।

इसके बाद उन्होंने और सवालों के जवाब यह कहकर इन्कार कर दिया, ओके बाय-बाय, टाटा, फिर मिलेंगे।

[ लेखक हास्य-व्यंग्यकार हैं ]