[ डॉ. जयंतीलाल भंडारी ]: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हाल में अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के कारण लॉकडाउन और अन्य पाबंदियां लगाने से यद्यपि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट की आशंका है, लेकिन अर्थव्यवस्था पर इसका असर पिछले वर्ष के मुकाबले कम रहने की उम्मीद है। वहीं रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में कोरोना की दूसरी लहर अर्थव्यवस्था की रिकवरी की राह में बड़ी बाधा बन गई है। उल्लेखनीय है कि वैश्विक स्तर पर सभी अध्ययन रिपोर्टों और सर्वेक्षणों में यह माना गया है कि कोरोना की दूसरी लहर से उनके द्वारा भारत की विकास दर के पूर्व निर्धारित अनुमानों में कुछ गिरावट जरूर आएगी, लेकिन शायद कोई बड़ी गिरावट नहीं आए।

गोल्डमैन साक्स: भारत की आर्थिक वृद्धि के पूर्वानुमान को 11.7 फीसद से घटाकर 11.1 फीसद कर दिया

अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन साक्स ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि के पूर्वानुमान को 11.7 प्रतिशत से घटाकर 11.1 प्रतिशत कर दिया है। जापानी फर्म नोमुरा ने इसे 13.5 फीसद से घटाकर 12.6 फीसद कर दिया है। इसी तरह जेपी मॉर्गन ने भी अपने पूर्व निर्धारित अनुमान को 13 से कम कर 11 फीसद कर दिया है। इसके अलावा वित्तीय सेवा प्रदाता आइएचएस मार्केट द्वारा प्रकाशित देश में सेवा क्षेत्र और विनिर्माण की गतिविधियों के हालिया सूचकांक भी अप्रैल 2020 की तरह बेहद निराशाजनक नहीं हैं। अप्रैल 2021 में सेवा व्यवसाय गतिविधि सूचकांक गिरकर 54 पर पहुंच गया, जो मार्च में 54.6 रहा था। इसी तरह विनिर्माण गतिविधियों का सूचकांक अप्रैल 2021 में 55.5 पर रहा, जो मार्च 2021 के 55.4 से थोड़ा ऊपर था। ज्ञातव्य है कि ये सूचकांक अगर 50 से अधिक होते हैं तो इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी का पता चलता है, जबकि 50 से कम रहना संकुचन दर्शाता है।

अप्रैल 2021 में जीएसटी संग्रह ने 1.41 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचकर बनाया रिकॉर्ड

यह महत्वपूर्ण है कि अप्रैल 2021 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह ने 1.41 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचकर रिकॉर्ड बनाया। शेयर बाजार में भी सकारात्मक रुख बना हुआ है। चूंकि देश में पिछले वर्ष की तरह पूरी तौर पर देशव्यापी सख्त लॉकडाउन नहीं लगाया गया है, अत: विनिर्माण सेक्टर की आपूर्ति पर कोई अधिक बुरा असर नहीं पड़ा है। यही कारण है कि भारत के वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात पिछले साल के अप्रैल माह की अवधि की तुलना में अप्रैल 2021 में करीब तीन गुना बढ़कर 30.21 अरब डॉलर हो गया। निर्यात बढ़ने का कारण यह भी है कि पश्चिमी देशों सहित कुछ विकासशील देश कोविड के बुरे दौर से निकल चुके हैं। ऐसे में विदेशी मांग बढ़ रही है। भारत इस समय आपूर्ति में सक्षम है और निर्यात ऑर्डर की उपयुक्त पूर्ति कर रहा है। केंद्र सरकार और आरबीआइ महामारी की दूसरी लहर के बीच अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की मदद के लिए आगे बढ़ रहे हैं। गत 23 अप्रैल को केंद्र सरकार ने गरीब परिवारों के लिए एक बार फिर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का एलान किया है। इससे 80 करोड़ लाभार्थी लाभान्वित होंगे।

आरबीआइ की कर्ज पुनर्गठन का छोटे उद्योग-कारोबार को होगा लाभ

यह भी महत्वपूर्ण है कि पांच मई को आरबीआइ ने व्यक्तिगत कर्जदारों एवं छोटे कारोबारों के लिए कर्ज पुनर्गठन की जो सुविधा बढ़ाई और कर्ज का विस्तार किया, उससे छोटे उद्योग-कारोबार को लाभ होगा। स्वास्थ्य क्षेत्र की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए आरबीआइ ने 50,000 करोड़ रुपये नकदी की व्यवस्था भी की है। इस योजना के तहत बैंक टीकों और चिकित्सकीय उपकरणों के विनिर्माण, आयात या आपूर्ति से जुड़े कारोबारियों को ऋण दे सकेंगे। इसके अलावा बैंक अस्पतालों, डिस्पेंसरी और पैथलॉजी लैब्स को भी ऋण दे सकेंगे, लेकिन अभी कोरोना लहर के घातक रूप को देखते हुए कुछ और प्रभावी कदम उठाए जाने जरूरी हैं। जैसे-लघु एवं कुटीर उद्योग (एमएसएमई) को संभालने के लिए राहत के अधिक प्रयासों की जरूरत होगी। जीएसटी से हो रही उनकी मुश्किलें कम करनी होंगी।

एमएसएमई के लिए एक बार फिर से लोन मोरेटोरियम योजना लागू करनी चाहिए

मौजूदा हालात में एमएसएमई के लिए एक बार फिर से लोन मोरेटोरियम योजना लागू करनी चाहिए। आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना को आगे बढ़ाने या उसे नए रूप में लाने जैसे कदम भी राहतकारी होंगे। आरबीआइ द्वारा एमएसएमई के कर्ज को गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की श्रेणी में डालने के नियम आसान बनाए जाने चाहिए। एमएसएमई क्षेत्र में कर्ज को एनपीए मानने के लिए मौजूदा 90 दिन की अवधि को बढ़ाकर 180 दिन किया जाना लाभप्रद होगा।

श्रमिकों के काम और कोरोना वैक्सीन, दोनों की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने की जरूरत

उद्योग-कारोबार संगठनों द्वारा श्रमिकों का पलायन रोकने के लिए श्रमिकों के काम और कोरोना वैक्सीन, दोनों की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने की रणनीति पर आगे बढ़ना होगा। चूंकि इस समय कई औद्योगिक राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक अपने गांवों की ओर लौटे हैं, ऐसे में मनरेगा को एक बार फिर प्रवासी श्रमिकों के लिए जीवन रक्षक और प्रभावी बनाना होगा। हाल में प्रकाशित एसबीआइ की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2021 में मनेरगा के तहत गांवों में काम की मांग अप्रैल 2020 के मुकाबले लगभग दोगुनी हो गई है। जहां अप्रैल 2020 में मनेरगा के तहत करीब 1.34 करोड़ परिवारों को रोजगार दिया गया, वहीं अप्रैल 2021 में करीब 2.73 करोड़ परिवारों को रोजगार दिया गया। ऐसे में मनरेगा के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने के लिए चालू वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में मनरेगा के लिए आवंटित 73,000 करोड़ रुपये के आवंटन को बढ़ाया जाना जरूरी होगा।

सरकार अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों की बड़ी गिरावट को रोकने में होगी सक्षम

हम उम्मीद करें कि कोरोना संक्रमण की दूसरी घातक लहर से जंग में सुनियोजित लॉकडाउन तथा स्वास्थ्य एवं सुरक्षा मानकों को और कड़ा किए जाने की रणनीति से देश जहां पीड़ादायक मानवीय चुनौती को नियंत्रित कर सकेगा, वहीं अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों की बड़ी गिरावट को रोकने में भी सक्षम होगा।

( लेखक अर्थशास्त्री हैं )