लखनऊ, आशुतोष शुक्ल। UP Chief Minister Yogi Adityanath आप केवल पांच वर्ष आगे की कल्पना करें तो उत्तर प्रदेश में जो एक बदलाव बहुत प्रत्यक्ष दिखेगा, वह होगी अयोध्या। जो पहले वहां जा चुके हैं, वे तब जाने पर शायद उसे पहचान भी न सकें। तिरपाल में रखी भगवान राम की प्रतिमा के स्थान पर भव्य मंदिर तो होगा ही, और भी बहुत से परिवर्तन तब तक हो चुके होंगे। जिस मार्ग से राम चित्रकूट गए थे, वह फोर लेन हो चुका होगा, हवाई अड्डा होगा, शानदार बस अड्डा होगा और शहर के भीतर चौड़ी सड़कें व अन्य सुविधाएं होंगी। पंचकोसी, चौदह कोसी और चौरासी कोसी परिक्रमा मार्गो का सुंदरीकरण हो चुका होगा।

. . .और यह सब होगा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच और इच्छाशक्ति के बूते। पिछले सप्ताह अयोध्या को लेकर राज्य सरकार के प्रयास फिर साकार होते दिखे। यूं तो यह मुख्यमंत्री की सामान्य समीक्षा बैठक थी लेकिन, इसमें अयोध्या को लेकर उनकी योजना दिखाई दे गई। ऐसा कम होता है जब सरकारें बीस वर्ष आगे की तैयारी करें। योगी सरकार मान रही है कि 2040 तक अयोध्या में दस करोड़ पर्यटक प्रति वर्ष आने लगेंगे। अभी पौने दो करोड़ भी नहीं आते। इसी को ध्यान में रखकर हुई बैठक में अयोध्या के भविष्य का खाका खींचा गया। पिछले ही हफ्ते राम मंदिर का नक्शा अयोध्या प्राधिकरण बोर्ड से पास हो गया। राममंदिर ट्रस्ट ने दो करोड़ ग्यारह लाख रुपये का निर्धारित शुल्क प्राधिकरण बोर्ड को अदा किया। तय है कि अयोध्या का कायाकल्प और बनारस में काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का निर्माण योगी सरकार की दो बड़ी उपलब्धियों के तौर पर जाने जाएंगे।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में उत्तर प्रदेश ने लगाई तेज छलांग : शनिवार को एक और खबर ने यूपी को देशभर में सम्मान दिलाया। केंद्र सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की जो रैंकिंग जारी की, उसमें उत्तर प्रदेश को दूसरा नंबर मिला। 2017-18 में वह बारहवें स्थान पर था, लिहाजा कारोबारी सुगमता के लिहाज से दस सीढ़ी की यह छलांग यूपी की छवि के लिए बहुत सकारात्मक मानी जा सकती है। असल में योगी ने सत्ता संभालने के बाद ही औद्योगिक निवेश को अपनी प्राथमिकता बना लिया था। इन्वेस्टर्स मीट और डिफेंस एक्सपो इसी उद्देश्य से किए गए। उनके सफल आयोजन भी इस उपलब्धि के कारक रहे लेकिन, सर्वाधिक लाभ सिंगल विंडो पोर्टल निवेश मित्र ने पहुंचाया। गत दो वर्षो में इस पोर्टल पर लाइसेंस संबंधी 94 प्रतिशत समस्याओं का निदान किया गया।

बढ़ रहा कोरोना का आंकड़ा : कोरोना जी का जंजाल बना हुआ है। शनिवार को लखनऊ में एक दिन में संक्रमितों का आंकड़ा एक हजार पार कर गया। अच्छी बात यह है कि यूपी अपनी जांच क्षमता लगातार बढ़ाकर डेढ़ लाख प्रतिदिन से अधिक ले गया है लेकिन, आम लोग भी उसी अनुपात में लापरवाह हो रहे हैं। इस समस्या का एक पहलू निजी अस्पताल भी हैं। कोरोना की आफत आने के समय जो डॉक्टर अपने लिए देशभर में ताली थाली बजवा ले गए, पांच महीने बीतते बीतते उनका सेवाभाव तिरोहित हो चुका है। प्राइवेट अस्पताल इस समय मरीजों को गाय की तरह दूह रहे हैं। कहीं कोई राहत नहीं, कहीं कोई रियायत नहीं। उनके द्वारा सताए गए, बल्कि लूटे गए मरीजों की कहानियां इस समय हवा में तैर रही हैं। बड़े अस्पताल पांच सितारा होटलों से महंगे हो चुके हैं। उनके निर्मम शिकंजे से न सरकारी डॉक्टर बच पा रहे हैं, और न ही जज। शासन मूक दर्शक है और जनता बेचारी हो चुकी है।

पूर्व विधायक की हत्या विवाद : रविवार को लखीमपुर में पूर्व विधायक निरवेंद्र कुमार मिश्र की हत्या ने प्रदेश में कानून व्यवस्था की कमजोरी का मुद्दा फिर उछाल दिया। उनकी मौत भी रहस्य बन गई। पुलिस के अनुसार विधायक को दिल का दौरा पड़ा, जबकि उसने मुकदमा हत्या का लिखा और दो आरोपितों को पकड़ लिया। शाम तक पुलिस क्षेत्रधिकारी को भी हटा दिया गया। हालांकि शासन ने कार्रवाई तत्काल की लेकिन, जिस तरह के आरोप पूर्व विधायक के पुत्र ने पुलिस पर लगाए, वे कान खड़े करते हैं। विपक्ष को मौका मिला और उसने राज्य में ब्राrाणों पर अत्याचार का राग फिर छेड़ दिया।

गत सप्ताह एक राजनीतिक खबर ने भी सबका ध्यान खींचा। भारतीय जनता पार्टी अपना नया प्रदेश मुख्यालय लखनऊ में बनवाने जा रही है। छह मंजिल का यह नया भवन मुख्यमंत्री आवास से महज दो किलोमीटर दूर है। भाजपा के विधानसभा मार्ग स्थित मौजूदा कार्यालय के कायाकल्प को देखते हुए यह अनुमान लगाना सरल है कि नया भवन कितना भव्य और सुविधा संपन्न होने जा रहा है।

[संपादक, उत्तर प्रदेश]