नई दिल्ली [जागरण स्पेशल] अयोध्या में राम जन्म स्थल पर राम मंदिर के लिए आग्रह का भाव प्रबल होने और उसके आंदोलन का रूप लेने के पहले से ही दैनिक जागरण का यह मत था कि हिंदू समाज की ओर से पावन समझे जाने वाले इस स्थल पर राम के नाम का मंदिर बनना चाहिए, क्योंकि ऐसे मंदिर भारतीय जनमानस की सांस्कृतिक चेतना के केंद्र होते हैं और वे राष्ट्र को प्रेरणा प्रदान करने का भी काम करते हैं। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की आवश्यकता को बल प्रदान करने के साथ ही जागरण ने सदैव इस बात को रेखांकित किया कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम पर बनने वाला भव्य मंदिर समस्त मर्यादाओं का पालन करते हुए ही निर्मित होना चाहिए।

इसीलिए दिसंबर 1992 में जब अयोध्या स्थित विवादित ढांचे को ध्वंस हुआ तो जागरण ने इसे एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना माना और स्पष्ट तौर पर ऐसा लिखा भी। विवादित स्थल में उग्र कारसेवकों के प्रवेश कर जाने और तोड़फोड़ शुरू कर देने के घटनाक्रम की सूचना प्रधानमंत्री नरसिंह राव को शायद सबसे पहले जागरण के तत्कालीन संपादक नरेंद्र मोहन ने कानपुर स्थित अपने कार्यालय से फोन के जरिये दी थी। उस दिन दोपहर करीब 12 बजे का समय था जब नरेंद्र मोहन जी को अयोध्या में तैनात अपने संवाददताओं के जरिये विवादित स्थल पर जमा कारसेवकों के बेकाबू होकर तोड़फोड़ करने की सूचना मिली।

प्रधानमंत्री कार्यालय को किया फोन

उन्होंने सूचना की पुष्टि करने के बाद तुरंत प्रधानमंत्री कार्यालय फोन लगाया। फोन प्रधानमंत्री के सचिव रामू दामोदरन ने उठाया। चंद क्षणों बाद नरेंद्र मोहन जी ने प्रधानमंत्री को अयोध्या की नाजुक स्थिति से अवगत कराया। इस प्रसंग का उल्लेख इसलिए, क्योंकि लोगों ने यह लिखा है कि जिस समय ढांचा टूट रहा था उस समय नरसिंह राव सो रहे थे। किसी ने यह भी लिखा है कि वह पूजा कर रहे थे। ऐसा कुछ नहीं था और इसकी पुष्टि रामू दामोदरन कर सकते हैं।

गांव-गांव में राम मंदिर की गूंज सुनाई दे रही थी

1990 के दशक का प्रारंभिक कालखंड वह समय था जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का आंदोलन एक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले रहा था। अयोध्या इस आंदोलन के केंद्र में थी और उत्तर प्रदेश में उसका सबसे अधिक असर था। यह असर हर कहीं और समाज के हर वर्ग के बीच दिखता था। उत्तर प्रदेश में ब्लॉक और तहसील स्तर तक फैले जागरण के संवाददाता इस असर की न केवल थाह ले रहे थे, बल्कि उसे व्यक्त भी कर रहे थे। नि:संदेह घटनाओं के केंद्र में अयोध्या और उसके आसपास का क्षेत्र ही था, लेकिन सच यह है कि उत्तर प्रदेश के गांव-गांव में राम मंदिर की गूंज सुनाई दे रही थी।

आम जनता का साझा स्वर था अयोध्या आंदोलन

राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे का नारा केवल अयोध्या आंदोलन से सक्रिय तौर पर जुड़े लोगों का नारा नहीं था, बल्कि वह आम जनता का साझा स्वर बन गया था। इन स्वरों को व्यक्त करने में जागरण ने तत्परता भी दिखाई और सतर्कता भी। आज उस दौर की कल्पना नहीं की जा सकती, लेकिन उस दौरान राम मंदिर ने उत्तर प्रदेश को जिस तरह आंदोलित भी कर रखा था और उद्वेलित भी उसकी हाल के इतिहास में मिसाल नहीं मिलती। जागरण इस आंदोलन और उद्वेलन का साक्षी भी रहा और सहयात्री भी।