[ डॉ. भरत झुनझुनवाला ]: संयुक्त राष्ट्र की संस्था अंकटाड ने कहा है कि कोरोना संकट के चलते विश्व अर्थव्यवस्था पर भारी संकट आएगा, लेकिन चीन इससे बचा रहेगा और भारत के भी बचने की संभावना है। पहले यह समझें कि चीन इससे क्यों बचा रहेगा? कोरोना संकट चीन में प्रारंभ होने के बावजूद वहां घरेलू उड़ानों में वृद्धि हुई है, मेट्रो में यात्रा बढ़ी है, तमाम फैक्ट्रियां चालू हो गई हैं। चीन ने कोरोना संकट से उबरने के लिए पहला कदम यह उठाया कि संक्रमित लोगों की पहचान करने के लिए जो किट चाहिए उसे पर्याप्त संख्या में उपलब्ध करा दिया। इससे संक्रमितों की पहचान और उसके बाद उन्हें ट्रैक अथवा क्वारंटाइन करना संभव हुआ।

चीन ने वुहान शहर और हूबे प्रांत को जल्द लॉकडाउन किया, संक्रमण अन्य राज्यों में नहीं पहुंच सका

दूसरे, चीन ने वुहान शहर और हूबे प्रांत को जल्द लॉकडाउन किया, जिससे संक्रमण अन्य राज्यों में नहीं पहुंच सका। तीसरे, चीन ने कुछ संस्थानों को पुन: खोलने की छूट दी, लेकिन उनके प्रत्येक कर्मी को एक क्यूआर कोड दिया गया जिससे उन्हें ट्रैक किया जा सके और वे अपने स्वास्थ्य को स्वयं जांच सकें तथा केंद्रीय डाटा सेंटर को सूचना दे सकें कि वे स्वस्थ हैं। इससे फैक्ट्रियों में संक्रमित लोगों के कार्य करने एवं संक्रमण बढ़ने की संभावना शून्यप्राय हो गई।

चीन में स्वास्थ्यकर्मियों को जरूरी रक्षात्मक उपकरण पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराए गए

चौथे, चीन में स्वास्थ्यकर्मियों को जरूरी रक्षात्मक उपकरण जैसे मास्क आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराए गए। पांचवां, चीन सरकार ने जनता को सूचित किया कि कहां संक्रमण है और कहां आने-जाने की छूट है। इन कदमों से चीन ने कोरोना को मात दी। इन्हीं कदमों को भारत लागू कर सकता है। पहला कार्य यह किया जाए कि जांच किट और सुरक्षा उपकरणों के उत्पादन के लिए सरकार उद्योगों के साथ समझौता करके तत्काल उन्हें बनाने को कहे। दूसरा यह कि संक्रमण फैलने से रोकने के लिए हर राज्य के चारों तरफ कृत्रिम दीवार बना दी जाए।

यदि 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन खुलता है तो पुन: संक्रमण फैलने की आशंका 

यदि सरकार 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन को खोलती है तो पुन: संक्रमण फैलने की आशंका है। इस आशंका को रोकने के लिए सरकार को चाहिए कि हर राज्य का अलग-अलग मूल्यांकन करे। जिन राज्यों में प्रशासन चुस्त है और जहां संक्रमण फैलने की रफ्तार धीमी है उन राज्यों में कृत्रिम सरहद बनाकर बाहर के लोगों का प्रवेश रोक देना चाहिए। इसके बाद वहां आर्थिक गतिविधियों को छूट दे देनी चाहिए। जिन राज्यों में संक्रमण कम है उन्हें आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने की इजाजत देते समय यह ध्यान रखा जाए कि जरूरी सतर्कता बरती जाए। तीसरा काम संक्रमित लोगों को ट्रैक करने का है।

सरकारी कर्मियों को मोहल्ले या सड़क पर नियुक्त कर संक्रमित लोगों की जांच और पहचान करें 

सरकार को चाहिए कि पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों को छोड़कर अन्य समस्त सरकारी कर्मियों को आदेश दे कि वे अपने निकटतम प्राइमरी हेल्थ सेंटर में उपस्थित हों। इन्हें हर मोहल्ले या सड़क पर नियुक्त कर देना चाहिए कि वे उस क्षेत्र में संक्रमित लोगों की जांच और पहचान करें और उन्हें लगातार ट्रैक करें। इससे हम संक्रमित लोगों को चिन्हित करके उनसे संक्रमण बढ़ने के खतरे को थाम सकते हैं।

सरकार को प्रतिदिन कोरोना की आधिकारिक सूचना देश को देना चाहिए

चौथे, सरकार को प्रतिदिन एक आधिकारिक सूचना सरकारी टेलीविजन पर जारी करनी चाहिए जिसमें देश में कोरोना की स्थिति की जानकारी दी जाए। यही काम राज्य सरकारों को भी करना चाहिए। न्यूयॉर्क के गवर्नर प्रतिदिन टीवी पर आकर विस्तार से बताते हैं कि कितने रोगी हैं, कितने डॉक्टर संक्रमित हुए, अस्पतालों में कितनी क्षमता है? वर्तमान में कोरोना की स्थिति पर निजी चैनलों द्वारा तमाम सूचनाएं दी जा रही हैं जिनकी विश्वसनीयता का भरोसा नहीं रहता। ये कदम लागू करना कठिन नहीं है। यदि सरकार इन्हें लागू करती है तो जैसा अंकटाड ने कहा है कि चीन की तरह भारत भी कोरोना से होने वाली आर्थिक मंदी से बच जाएगा।

चीन और भारत को ही अंकटाड ने क्यों चिन्हित किया

प्रश्न है कि चीन और भारत को ही अंकटाड ने क्यों चिन्हित किया? मेरी समझ से इसके चार कारण हैं। पहला यह कि दोनों देशों में जनता की औसत आयु कम है। 65 वर्ष से ऊपर की आयु की जनसंख्या भारत में छह प्रतिशत और चीन में 11 प्रतिशत है जबकि फ्रांस, इटली, इंग्लैंड और अमेरिका में यह 15 से 23 प्रतिशत तक है। जनसंख्या के युवा होने से कोरोना का संक्रमण कम होने की संभावना बनती है। दूसरा यह कि भारत, चीन की विश्व व्यापार पर निर्भरता कम है। फ्रांस, इटली और स्पेन की अधिक है। विश्व व्यपार पर निर्भरता होने से अन्य देशों का आर्थिक संकट अपने ऊपर तत्काल आ जाता है। जैसे कि यदि कोई गांव फर्टिलाइजर के लिए शहर पर निर्भर हो तो शहर का संकट गांव में तत्काल पहुंचता है।

गोबर की खाद का उपयोग करने वाले गांव में शहर का संकट नहीं आता

इसके विपरीत यदि कोई गांव अपने यहां के गोबर की खाद का उपयोग कर रहा हो तो शहर का संकट उस तक नहीं आता। इस कारण भारत और चीन वैश्विक आर्थिक संकट से बच सकते हैं। चीन दूसरे देशों को भारी निर्यात करता है, परंतु अपनी जरूरतों के लिए उन पर कम ही निर्भर है। तीसरा कारण यह है कि भारत और चीन बड़े देश हैं। इन देशों में लगभग हर प्रकार की जलवायु और उद्योग हैं। चूंकि ये अपनी जरूरत के माल को स्वयं बना सकते हैं इसलिए वे दूसरे देशों के संकट से कम प्रभावित होंगे। चौथा कारण यह है कि चीन और भारत की बचत दर ज्यादा है।

भारत में कोरोना का संकट कम होने की संभावना है

चीन की बचत दर 47 प्रतिशत और भारत की 30 प्रतिशत है, जबकि बाकी यूरोपीय देशों की बचत दर कहीं कम है। बचत दर का अर्थ यह हुआ कि हमारे परिवारों के पास आर्थिक रक्षा का कवच उनकी तुलना में अधिक है। अमेरिका के नागरिक कर्ज लेकर खपत करने को आदी हो गए हैं, जबकि भारत में यह उतना नहीं है। इन कारणों से भारत में कोरोना का संकट कम होने की संभावना है। हालांकि अमेरिका की विश्व व्यापार पर निर्भरता कम है और वह बड़ा देश भी है पर औसत जनसंख्या की आयु अधिक होने से और बचत दर बहुत कम होने से वह कोरोना संकट में दबता जा रहा है।

भारत को विश्व व्यापार पर अपनी निर्भरता घटानी और घरेलू बचत दर बढ़ानी चाहिए

भारत को दो काम और करने चाहिए। पहला यह कि विश्व व्यापार पर अपनी निर्भरता घटानी चाहिए जैसी फिलहाल है और यदि संभव हो तो इसे और कम करना चाहिए। दूसरा यह कि अपनी घरेलू बचत दर बढ़ानी चाहिए। आर्थिक विकास को हासिल करने के लिए जनता को अधिकाधिक खपत करने के लिए प्रोत्साहित करने के स्थान पर जनता को बचत करने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए जिससे हमारा आर्थिक सुरक्षा का कवच बना रहे। हमें समझना होगा कि चीन ने कोरोना संकट का सामना किस प्रकार किया। कीचड़ में कमल खिला हो तो उसे ले लेना चाहिए।

( लेखक आर्थिक मामलों के जानकार एवं वरिष्ठ स्तंभकार हैं )