खुदी को कर बुलंद इतना...
इस कहावत को सच कर दिखाया है योग के इंटरनेशनल चैंपियन तेजस्वी शर्मा ने। बचपन में एक पैर पोलियो ग्रस्त होने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पापा ने योग सीखने की सलाह दी तो तेजस्वी ने इसे जिंदगी की सबसे बड़ी ताकत बना लिया...
इस कहावत को सच कर दिखाया है योग के इंटरनेशनल चैंपियन तेजस्वी शर्मा ने। बचपन में एक पैर पोलियो ग्रस्त होने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पापा ने योग सीखने की सलाह दी तो तेजस्वी ने इसे जिंदगी की सबसे बड़ी ताकत बना लिया...
कैसे हुई इस जर्नी की शुरुआत?
मैं बिहार से हूं। जब दिल्ली आया था तो बहुत छोटा था। पापा योग सिखाते हैं। मैं उन्हें देखकर योग करता था। धीरे-धीरे इस विधा में खुुद को आजमाने लगा। पर काफी दिक्कत होती थी, क्योंकि बचपन से मेरा एक पैर खराब है। बहुत छोटा था, डॉक्टर की लापरवाही मेरी जिंदगी पर भारी पड़ गई। एक गलत इंजेक्शन की वजह से मेरा एक पैर पोलियो ग्रस्त हो गया। पर मैं इन दिक्कतों के साथ ही आगे बढ़ रहा हूं।
मुश्किलें बहुत आई होंगी?
मेरे पैर सही न होने की वजह से मुझे जितनी शारीरिक दिक्कतें आईं, उनसे कहीं ज्यादा मैं मानसिक रूप से परेशान हो गया था। मेरे साथ पढऩे वाले बच्चे मुझे 'लंगड़ा' कहकर बुलाते तो अपमानित महसूस करता था। हालांकि यही बातें मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाने में मददगार बनीं और मैं खुद को साबित कर पा रहा हूं।
आपका सपना?
मैं योग के क्षेत्र में भारत के योगदान को दुनिया के सामने पेश करना चाहता हूं। अब तक देश-विदेश में योग परफॉर्मेंस दे चुका हूं। अपने इंटरनेशनल टूर के दौरान मैंने $खुद देखा और महसूस किया है कि लोग योग के प्रति कितने सजग हैं। अभी हाल ही में चीन गया था। वहां वल्र्ड योग चैंपियन प्रतियोगिता हुई थी, जिसमें मुझे सिल्वर मेडल मिला है। वहां मौजूद दुनिया के दूसरे हिस्से से आए प्रतिभागियों में भी योग के प्रति उत्साह देखने लायक थी। उनसे आज भी कनेक्ट हूं।
यूथ को मेसेज?
परेशानियां सबकी जिंदगी में आती हैं। किसी के हिस्से में कम, किसी पर मुश्किलों का पहाड़ टूट जाता है। पर इन सबके बीच खुद को इतना बुलंद करें कि मुश्किलें ज्यादा प्रभावित न करें। अगर आत्मविश्वास है तो दुनिया आपके क दमों में है।
(सीमा झा)