शारीरिक दूरी के साथ बरगद के पेड़ की पूजा की
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जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : लॉकडाउन चार के बीच सुहागिन स्त्रियों का त्योहार वट सावित्री व्रत अन्य वर्षो की अपेक्षा इस वर्ष कुछ अलग अंदाज में मनाया गया। न तो एक जगह महिलाएं जमा हुईं और न ही बरगद के पेड़ के आसपास भीड़ दिखाई दी। इसके अलावा महिलाएं शारीरिक दूरी का भी पालन कर रहीं थी। कुछ महिलाओं ने मास्क लगाकर तो कुछ ने अपने दुपट्टे से मुंह को ढंककर पूजा-अर्चना की। इस दौरान महिलाओं ने बरगद के पेड़ पर अपने पति के दीर्घायु जीवन के लिए धागे बांधे और उनके लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
बिहार, उत्तर प्रदेश व बंगाल में सुहागिन स्त्रियों का यह प्रमुख त्योहार चैत की अमावस्या को मनाया जाता है। पालम इलाके में बरगद के पेड़ पर धागा बांध रही रेणू ने बताया कि बरगद के पेड़ पर महिलाएं लाल धागा बांधती हैं। साथ ही नाग-नागिन की पूजा होती है। नवादा में बरगद के पेड़ पर धागा बांध रही मुकुल बताती हैं इस दिन महिलाएं इकट्ठा होकर सावित्री सत्यवान की कथा सुनती हैं। साथ ही इस उपवास के तहत महिलाएं निर्जला व्रत यानि दिन भर बिना जल ग्रहण किए हुए रहती हैं। मुकुल ने बताया कि महिलाएं बारी-बारी से यहां पूजा करने के लिए आ रहीं थी। एक साथ भीड़ जमा न हो इसका खयाल रखा जा रहा है। सपना ने बताया कि हर बार पूजा के लिए बाहर जाती थीं, लेकिन इस बार घर में ही बरगद का छोटा पेड़ मैंने गमले में लगा लिया था। मैं नहीं चाहती थी कि पेड़ की टहनियां तोड़कर पूजा करूं। ऐसे में गमले में छोटा पेड़ लाकर हमने पूजा अर्चना की। यह समय संकट भरा है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के मुताबिक हमें कोई भी कार्य करना चाहिए। सबसे पहले हमारा स्वास्थ्य है। हमें अपने स्वास्थ्य की देखभाल खुद करनी है।