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अनोखी बागवानी के लिए आठवीं बार गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड में नाम

शिप्रा सुमन, बाहरी दिल्ली : उत्तरी दिल्ली के केशवपुरम क्षेत्र के निवासी मदन गोपाल कोहली ने पया

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Nov 2017 07:58 PM (IST)Updated: Thu, 16 Nov 2017 07:58 PM (IST)
अनोखी बागवानी के लिए आठवीं बार गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड में नाम
अनोखी बागवानी के लिए आठवीं बार गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड में नाम

शिप्रा सुमन, बाहरी दिल्ली :

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उत्तरी दिल्ली के केशवपुरम क्षेत्र के निवासी मदन गोपाल कोहली ने पर्यावरण के क्षेत्र में अपने योगदान से सभी को प्रेरित किया है। छोटे से घर की छत पर उन्होंने कई किस्मों के पौधे उगाए हैं, जिसमें फल, फूल, औषधी और पत्तियों वाले विभिन्न किस्म के पौधे शामिल हैं। उनके इस प्रयास और महज 25 वर्ग मीटर की की छोटी सी जगह में हजारों की संख्या में पौधे लगाने के अनूठे योगदान के लिए लगातार सात बार पर्यावरण के क्षेत्र में गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड में नाम दर्ज कराया। अब इस क्षेत्र में एक कदम और बढ़ाते हुए उन्हें आठवीं बार भी इसके लिए चयनित किया गया है।

बागवानी के क्षेत्र में अपनी लगन और प्रयासों का लोहा मनवा चुके कोहली उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो पर्यावरण के क्षेत्र में कुछ अलग करना चाहते हैं। उनके अनुसार प्रदूषण को दूर करने के लिए बागवानी से बेहतर और कुछ भी नहीं।

बागवानी की मिसाल बनकर लोगों को दे रहे प्रेरणा

केशवपुरम स्थित अपने घर की छत पर ही 25 वर्ग मीटर की जगह पर करीब 20 हजार पौधे लगाए हुए हैं। जिसमें फूल-फल, सब्जियों के साथ औषधि के पौधे भी शामिल हैं। मौसम चाहे कोई भी हो वह अपने द्वारा लगाए गए सभी पौधों को सूखने नहीं देते। इसके लिए वह हर संभव प्रयास करते हैं। सुबह शाम पानी देने के साथ वह इसकी नियमित देखभाल भी करते हैं। उनके अनुसार यह जरूरी नहीं कि बागवानी के लिए बड़ी जगह या अधिक पैसे हों, इसके लिए एक छोटी सी कोशिश कर भी पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई जा सकती है। उनके घर में 35 वर्ष पुराने भी पौधे हैं। जिसे उन्होंने थैली और टोकरी व जूट की बोरियों में लगाया हुआ है।

बेकार सामानों का इस्तेमाल

मदन गोपाल के रूफ गार्डन की खासियत यह है कि यहां उन्होंने पेड़-पौधों को लगाने के किसी महंगे गमले का नहीं बल्कि उन्हीं चीजों का प्रयोग किया जो आमतौर बेकार हो जाते हैं। इसमें सीमेंट के कट्टे, पॉलिथीन बैग, सीमेंट के पुराने पाइप का टुकड़ा, बेकार के पुराने डिब्बे, बोतलें, प्लास्टिक की टूटी-फूटी टोकरियां, पुराने टीन के बक्से वगैरह शामिल हैं। इसी तरह वह पौधों में पानी देने के लिए घर के बेकार पानी को ही प्राथमिकता देते हैं जिसके लिए वह सब्जी धोने के बाद हुआ पानी और घर की सफाई के बाद बचे हुए पानी का प्रयोग करते हैं।

विभिन्न किस्मों के पौधे

छत की इस बागवानी में विभिन्न प्रकार के पौधे मौजूद हैं। इसमें किचन गार्डन, हर्बल गार्डन व और्नामेंटल गार्डन शामिल है। किचन गार्डेन में हरी मिर्च, शिमला मिर्च, हल्दी, नींबू, बैंगन, तुरई, सीताफल, लौकी, लोबिया व मकई जैसे पौधे लगाए हैं। वही फलों में आम, अमरूद, काले अंगूर, पपीता, अनार, चीकू व ईख के पौधे लगाए हैं जिसे वह बोनसाई विधि से उगा रहे हैं। दूसरी तरफ इस छोटे से गार्डन में शीशम, बरगद और पीपल के पेड़ भी मौजूद हैं। फूलों के बारे में उनका दावा है कि गुलाब, चंपा, चमेली व लिली के अलावा कई विदेशी फूल भी उनकी बागवानी में हैं जिनकी करीब 35 वैराइटी मौजूद है।

पूरी देखभाल

मदन गोपाल अपने पौधे की देखभाल पूरी शिद्दत के साथ करते हैं। सुबह शाम बागवानी में वह 2-2 घंटे बिताते हैं। इस दौरान पौधों में पानी देना, खराब पत्तियों को अलग करना, कीड़ों की जांच करना, पौधे देने के बाद साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना। यह सब वह स्वयं बिना किसी मदद के करते हैं। इसके अलावा पेड़-पौधों की पक्षियों और बंदरों से सुरक्षा का काम भी बड़ी मुस्तैदी के साथ करते हैं। अपनी ढलती उम्र में भी वह इन पौधों की वजह से तरोताजा महसूस करते हैं।


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