शिक्षा निदेशालय के ई-मेल पर दो स्कूलों ने बढ़ाई थी फीस
ट्यूशन फीस बढ़ाने को लेकर दो स्कूलों की तरफ से दायर याचिका पर दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में स्थिति रिपोर्ट दाखिल की। दिल्ली पुलिस ने रिपोर्ट में कहा कि दो एपीजय स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति देते हुए भेजे गए ई-मेल शिक्षा निदेशालय से ही भेजे गए थे। हालांकि पुलिस की रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय के दावे के उलट है जिसमें निदेशालय ने ई-मेल को फर्जी बताया था। इसी दावे के आधार पर निदेशालय ने स्कूलों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। ई-मेल की
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
ट्यूशन फीस बढ़ाने को लेकर दो स्कूलों की तरफ से दायर याचिका पर दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में स्थिति रिपोर्ट दाखिल की। दिल्ली पुलिस ने रिपोर्ट में कहा कि दो एपीजे स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति देते हुए भेजे गए ई-मेल शिक्षा निदेशालय से ही भेजे गए थे। हालांकि, पुलिस की रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय के दावे के उलट हैं, जिसमें निदेशालय ने ई-मेल को फर्जी बताया है। इसी दावे के आधार पर निदेशालय ने स्कूलों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। ई-मेल को लेकर उठे सवाल पर ही हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल को इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था।
दिल्ली पुलिस ने स्थिति रिपोर्ट में कहा कि गूगल एलएलसी से मिली जानकारी के अनुसार विवादित ई-मेल आइडी स्त्रस्त्रद्गड्डष्द्यह्ल@द्दद्वड्डद्बद्य.ष्श्रद्व उपशिक्षा निदेशालय एक्ट-1 के नाम पर पंजीकृत है। पुलिस ने कहा कि एक आइपी जोकि निदेशालय के इंटरनेट कनेक्शन से शुरू नहीं होता, वह निदेशालय में काम करने वाले एक संविदा कर्मचारी का निजी मोबाइल कनेक्शन है। इस मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कार्यालय के कामों के लिए निरंतर उक्त ई-मेल एड्रेस को ऑपरेट करने के लिए किया जाता था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जब विवादित मेल भेजा गया तब इस मोबाइल की लोकेशन सिविल लाइंस स्थित निदेशालय के टावर में थी।
दक्षिणी दिल्ली स्थित दो एपीजे स्कूलों ने याचिका दायर कर शिक्षा निदेशालय के 22 अप्रैल के उस निष्कर्ष को चुनौती दी जिसमें निदेशालय ने खुद माना कि दोनों संस्थानों द्वारा अवैध तरीके से फीस बढ़ाने एवं अभिभावकों को एरियर के साथ भुगतान करने के लिए मजबूर किया है। निदेशालय ने इसके साथ ही स्कूल प्रबंधन के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने एवं स्कूल परिसर को सील करने की सिफारिश की थी। 18 मई को हाई कोर्ट ने स्कूल प्रबंधन को 31 अक्टूबर से पहले तय किए गए मानक के हिसाब से ट्यूशन फीस लेने का निर्देश दिया था।