दसवीं कक्षा के छात्रों की होगी स्क्रीनिंग
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : रक्त विकार की बीमारी थैलेसीमिया का बोन मैरो प्रत्यारोपण के रूप में स्थायी
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : रक्त विकार की बीमारी थैलेसीमिया का बोन मैरो प्रत्यारोपण के रूप में स्थायी इलाज तो है पर इसकी सुविधा कुछ चुनिंदा अस्पतालों में ही है। जहां तक सरकारी क्षेत्र के अस्पतालों की बात है तो एम्स को छोड़कर दिल्ली के किसी सरकारी अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। दूसरी बात यह है कि निजी अस्पतालों में बोन मैरो प्रत्यारोपण महंगा होने से हर मरीज यह इलाज कराने में सक्षम नहीं है। यही वजह है कि थैलेसीमिया पीड़ित ज्यादातर मरीज स्थायी इलाज नहीं करा पाते। ऐसी स्थिति में बीमारी की रोकथाम के लिए शादी से पहले थैलेसीमिया की स्क्रीनिंग जरूरी है। यही वजह है कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय ने 10वीं कक्षा के छात्रों की स्क्रीनिंग कराने का फैसला किया है।
महानिदेशालय के अतिरिक्त निदेशक व थैलेसीमिया नियंत्रण के प्रभारी डॉ. एसके अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली में 10 सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी के इलाज व जांच की सुविधा है। उन अस्पतालों में इस बीमारी से पीड़ित करीब 2600 मरीज पंजीकृत हैं। इलाज के नाम पर मरीजों को हर दो-चार सप्ताह में ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। बार-बार ब्लड चढ़ाने से मरीजों पर कई बार दुष्प्रभाव पड़ता है और शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है। आयरन की मात्रा बढ़ने पर उसका भी इलाज करना पड़ता है। इस बीमारी का स्थायी इलाज सिर्फ बोन मैरो प्रत्यारोपण है, पर हर मरीज इसका खर्च नहीं उठा सकते। इसलिए बीमारी की रोकथाम के लिए जागरूकता जरूरी है।
उन्होंने कहा कि शादी से पहले लड़का-लड़की की थैलेसीमिया जांच जरूर कराना चाहिए। क्योंकि यदि दोनों थैलेसीमिया माइनर हों तो शादि के बाद 25 फीसद आशंका होती है कि बच्चा थैलेसीमिया पीड़ित होगा। लोगों में जागरूकता की कमी और शादी से पहले स्क्रीनिंग नहीं कराने से दिल्ली में हर साल करीब 200 बच्चे थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित पैदा लेते हैं। उन्होंने कहा कि वैसे तो दिल्ली में गर्भावस्था में थैलेसीमिया की जांच अनिवार्य कर दिया गया है। पर थैलेसीमिया माइनर ट्रेट से पीड़ित लड़के-लड़कियों की शादी न हो इसके लिए स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सभी सरकारी स्कूलों में 10वीं कक्षा के छात्रों की स्क्रीनिंग कराने के लिए कहा है। यदि 10वीं कक्षा के छात्रों को यह पता चल जाए कि वे थैलेसीमिया माइनर से पीड़ित हैं तो वे बड़े होने पर थैलेसीमिया माइनर पीड़ित लड़के-लड़की से शादी नहीं करेंगे।