योग व रेकी से महिलाओं का दर्द दूर कर रही हैं स्वाति तोमर
कई बार घरेलू हिसा की शिकार महिलाएं व युवतियां कुछ ऐसे मानिसक व शारीरिक दर्द से गुजरती हैं जिन्हें वे किसी के साथ साझा नहीं कर पाती और अंदर ही अंदर दर्द में तड़पती रहती हैं। ऐसी ही तमाम महिलाओं व युवतियों को दर्द से बाहर निकाल रही हैं दिल्ली के कालकाजी की रहने वाली स्वाति तोमर। 26 वर्षीय स्वाति योग शिक्षक नेचुरोपैथ के साथ रेकी विधा की भी विशेषज्ञ हैं। वे अपनी इस विधा से ज्यादातर उन लोगों को ठीक करने का काम करती हैं जो अपना दर्द किसी को बयां नहीं कर पाते। स्वाति बताती हैं कि अगर कोई किसी शारीरिक दर्द से पीड़ित है तो वो अपने हाथ की हथेली के स्पर्श से ही उनका दर्द जड़ से गायब कर देती हैं। वहीं मानसिक दर्द दूर करने के लिए या किसी के खराब विचारों को सही करने में वो योगासन के साथ-साथ अपने मन की शक्ति का इस्तेमाल करती हैं। स्वाति ने कुछ अनाथ लड़कियों को भी गोद लिया है जिन्हें वह निशुल्क योग सिखाती हैं ताकि भविष्य में समाज को अच्छे योग के शिक्षक मिले।
रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली
कई बार घरेलू हिसा की शिकार महिलाएं व युवतियां कुछ ऐसे मानसिक व शारीरिक दर्द से गुजरती हैं, जिन्हें वे किसी के साथ साझा नहीं कर पातीं और अंदर ही अंदर दर्द में तड़पती रहती हैं। ऐसी ही तमाम महिलाओं व युवतियों को दर्द से बाहर निकाल रही हैं दिल्ली के कालकाजी की रहने वाली स्वाति तोमर। 26 वर्षीय स्वाति योग शिक्षक, नेचुरोपैथ के साथ रेकी विधा की भी विशेषज्ञ हैं। वे अपनी इस विधा से ज्यादातर उन लोगों को ठीक करने का काम करती हैं जो अपना दर्द किसी को बयां नहीं कर पाते। स्वाति बताती हैं कि अगर कोई किसी तरह की शारीरिक दर्द से पीड़ित है तो वो अपने हथेली के स्पर्श से ही उनका दर्द जड़ से गायब कर देती हैं। वहीं, मानसिक दर्द दूर करने के लिए या किसी के खराब विचारों को सही करने में वो योगासन के साथ-साथ अपने मन की शक्ति का इस्तेमाल करती हैं। स्वाति ने कुछ अनाथ लड़कियों को भी गोद लिया है, जिन्हें वह निशुल्क योग सिखाती हैं ताकि भविष्य में समाज को अच्छे योग के शिक्षक मिलें।
दादा से योग सीखने की मिली प्रेरणा
स्वाति के मुताबिक वो हमेशा अपने दादा के काफी करीब रही हैं। वो उन्हें बचपन से ही योग करते हुए देखती थीं। दादा के योग प्यार के चलते स्वाति का भी योग के समर्पण बढ़ने लगा। उनके मुताबिक जब वो कक्षा सात में थीं, तब से उन्होंने योग करना शुरू कर दिया था। उनके मुताबिक पिछले सात सालों से वो लोगों को निशुल्क योग का प्रशिक्षण देने के साथ ही योग के जरिये ऐसी बिमारियों को ठीक कर रही हैं, जिनका मेडिकल साइंस में भी इलाज नहीं है। उनके मुताबिक उन्होंने अब तक योग से पार्किसन, मधुमेह, स्लिप डिस्क, कटिस्नायुशूल, अवसाद जैसी बिमारियों से ग्रसित लोगों को ठीक किया है। वो कहती हैं कि अगर उनके दादा से उन्हें बचपन में ये गुर सीखने को नहीं मिलता तो शायद ही वो लोगों के दर्द को दूर कर पातीं। योग सिखने के बाद उन्होंने रेकी चिकित्सा सीखा, जिसके जरिये वो अपने हाथों का इस्तेमाल कर लोगों के शारीरिक व मानसिक दर्द को दूर करती हैं। उनका मानना है कि रेकी व्यक्ति के अंतज्र्ञान और मानसिक क्षमताओं को बढ़ाती है। योग व जूडो से बढ़ता है आत्मविश्वास-
स्वाति का मानना है कि योग एक अनुशासन है, जिसे करने से आत्मविश्वास बढ़ता है। इसलिए वह समय-समय पर घरेलू हिसा की शिकार या दुष्कर्म पीड़िताओं का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उन्हें निशुल्क योग भी कराती हैं। वो जूडो फेडरेशन ऑफ इंडिया से भी जुड़ी हुई हैं, जिसके तहत वो अनाथालय की बच्चियों को और पुनर्सुधार केंद्रों में रह रहे व्यक्तियों को योग के साथ-साथ जूडो भी सिखाती हैं। उन्होंने बताया कि वो कई जिलों में शिविर लगाकर आत्मरक्षा के गुर सिखाती हैं। इसके साथ ही वो अनाथालय में रह रहे बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने के साथ-साथ उन्हें वैदिक शिक्षा का भी ज्ञान देती हैं। वो कोरोना महामारी से बचने के लिए लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए शिविर लगाकर योग की निशुल्क कार्यशाला भी आयोजित कर चुकी हैं। वो बताती हैं कि उनकी भविष्य में योजना है कि वो वृद्धाश्रम में रह रहे लोगों को योग सिखाएं ताकि वो अपने घर से मिले मानसिक तनाव को भूलकर अपना ध्यान अपने स्वास्थ्य की ओर रख पाएं।