कोरोना से जंग में अपनी सेवा दे रहा पैरा एथलीट
पुष्पेंद्र कुमार पूर्वी दिल्ली दृढ़संकल्प हो तो एक दिव्यांग भी वह काम कर सकता है तो सामान्य व्
पुष्पेंद्र कुमार, पूर्वी दिल्ली
दृढ़संकल्प हो तो एक दिव्यांग भी वह काम कर सकता है तो सामान्य व्यक्ति करने में घबराता है। कोरोना काल में करावल नगर में रहने वाले पैरा एथलीट नीरज गुप्ता न केवल अपने काम को कर रहे हैं, साथ ही समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। कोरोना मरीज का नाम सुनते ही लोगों की सांसे फूलने लगती हैं, लेकिन नीरज उन्हीं मरीजों के जांच सैंपल लैब में पहुंचाते हैं।
26 वर्षीय नीरज गुप्ता बचपन से ही एक पैर से दिव्यांग हैं, उनका पैर सामान्य व्यक्ति के पैर से छोटा है। इस कारण वह ठीक से चल भी नहीं पाते हैं। उन्होंने दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। पिछले पांच वर्षों में पैरा कमेटी ऑफ दिल्ली के माध्यम से विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते रहे हैं। अब वह खेल के साथ-साथ देश सेवा में भी अपना पूरा योगदान दे रहे हैं।
नीरज बताते हैं कि उन्होंने सबसे पहला पैरा एथलीट गेम जवाहर लाल स्टेडियम में खेला था, अब तक करीब 21 पदक हासिल कर चुके हैं। उनके लिए पदक जीतना अपने घर वालों को जीवन की सबसे बड़ी खुशी देना है। वह रोजाना सुबह घर के पास खाली मैदान में शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए, पैरा डिस्कस थ्रो, व शॉर्ट पुट का अभ्यास कर रहे हैं। सुबह दस बजे से लेकर रात आठ बजे तक डॉ. लाल पैथ की लैब में कोरोना मरीजों की जांच के सैंपल पहुंचाने का काम करते है।
उन्होंने 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई करावल नगर के राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय में की है। स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद पैरा कमेटी से जुड़े और वहीं से पैरा एथलीट खेलों के बारे में पता चला। पहली बार उन्होंने 2017 के पैरा जेवली थ्रो में रजत पदक हासिल किया। हाल में छत्तीसगढ़ में आयोजित पैरा एथलीट प्रतियोगिता में पदक जीतकर दिल्ली के साथ परिवार का नाम रोशन किया।