मुगल सल्तनत के लालकिला में गुंजेगी छत्रपति शिवाजी की ललकार
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : यह एक ऐतिहासिक मौका होगा, जब मुगल सल्तनत का केंद्र रहे लालकि
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
यह एक ऐतिहासिक मौका होगा, जब मुगल सल्तनत का केंद्र रहे लालकिला में छत्रपति शिवाजी की ललकार गूंजेगी। लालकिला के प्रांगण में भव्य स्टेज पर मुगल सम्राज्य की नींव हिला देने वाले शिवाजी महाराज की गौरव गाथा का मंचन होगा। राजा शिव छत्रपति महानाट्य आयोजन समिति द्वारा श्री राजा शिव छत्रपति-एक ऐतिहासिक गौरव गाथा महानाट्य का मंचन 6 से 11 अप्रैल तक होगा। इसके लिए चार मंजिला भव्य मंच का निर्माण होगा, जिसमें एक साथ 250 से अधिक कलाकार अभिनय करेंगे। बताया जा रहा है कि यह एशिया में सबसे भव्य और बड़ा मंचन होगा। यहां तक कि इसके लिए विशाल राज दरबार भी बनाया जाएगा। सजीव हाथी और घोड़े का इस्तेमाल होगा। करीब ढाई घंटे के नाटक का मंचन एक दिन में एक बार होगा। इसे एक साथ सात हजार से अधिक लोग देख सकेंगे।
शुक्रवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में नाटक का पोस्टर केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने जारी किया।
इस मौके पर भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू भी मौजूद रहे। वहीं, इस नाटक को मूल मराठी में जाणता राजा नाम से लिखने वाले 93 वर्षीय बाबा साहेब पुरंदरे की मौजूदगी खास रही। पुरंदरे ने बताया कि इस नाटक का मंचन अभी तक अमेरिका, इंग्लैड सहित देश-दुनिया के विभिन्न भागों में 1200 से अधिक बार हो चुका है। अभी तक यह नाटक मराठी, अंग्रेजी और हिंदी में मंचित हुई है। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक मौका होगा। क्योंकि जिस लालकिला में इसका मंचन होगा, उसी के मुगल बादशाह औरंगजेब के उन्होंने छक्के छुड़ा दिए थे। हालांकि, उनका कभी औरंगजेब से सीधे सामना नहीं हुआ था।
उन्होंने बताया कि दिल्ली में इसका मंचन पहले भी हुआ था, लेकिन वह मराठी में था। हिंदी में पहली बार होगा। उनकी चाहत है कि शिवाजी का चरित्र मंचन देश की हर भाषाओं में हो, क्योंकि शिवाजी पूरे देश के राजा थे। वहीं, केंद्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा ने कहा कि राष्ट्र निर्माण का सपना किस तरह का होना चाहिए वह शिवाजी के जीवन दर्शन में सामने आता है। इसलिए उस दर्शन से हर किसी को परिचित होने और प्रेरणा लेने की जरूरत है। उन्होंने देश को एक गौरवपूर्ण इतिहास दिया है। इसलिए उनके मंत्रालय की कोशिश होगी कि शिवाजी के जीवनकाल को हर नागरिक के सामने ले जा सके।