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योजना से नहीं, परिवार से होगा महिला सशक्तिकरण: मृदुला सिन्हा

गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि महिलाओं का सशक्तिकरण किसी योजना से नहीं होगी, बल्कि यह काम उसका परिवार ही कर सकता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 11:28 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 11:28 PM (IST)
योजना से नहीं, परिवार से होगा महिला सशक्तिकरण: मृदुला सिन्हा
योजना से नहीं, परिवार से होगा महिला सशक्तिकरण: मृदुला सिन्हा

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि महिलाओं का सशक्तिकरण कोई योजना से नहीं होगा, उसके परिवार के करने से होगा। यदि परिवार के पुरुष अपने घर की महिलाओं को हर तरह से संबल प्रदान करेंगे तो महिलाएं सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ सकती हैं। वर्तमान में ऐसा हो भी रहा है। वह सेवा भारती दिल्ली प्रान्त के तत्वावधान में तीन मूर्ति नेहरू संग्रहालय और पुस्तकालय के सभागार में महिला सशक्तिकरण विषय पर गोष्ठी पर बोल रही थीं। महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं

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बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि भारत की महिलाएं समाज जीवन के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। चौका—बर्तन से लेकर सीमा की रक्षा तक में। आज महिलाएं चार पहिया वाहन से लड़ाकू विमान तक उड़ा रही है। उन्होंने कहा कि सेवा भारती समाज को एक सूत्र में बांधने का काम कर रही है। सेवा भारती के प्रयासों से सम्पन्न परिवार और झुग्गी बस्तियों की महिलाएं एक साथ आई हैं। इससे एक सामूहिकता की भावना फलफूल रही है। एक परिवार की तरह समाज का निर्माण हो रहा है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक हरीश ने सामाजिक समरसता को संघ का मुख्य लक्ष्य बताते हुए कहा कि समाज में जातिवाद का भेदभाव खत्म किए बिना देश को परम वैभव तक नहीं पहुंचाया जा सकता है। स्थापना के समय से संघ में जाति का कोई स्थान नहीं है। इसे समाज में भी स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने वेदों का उल्लेख करते हुए कहा कि आदि काल में जाति का कोई स्थान नहीं था। सामाजिक बुराइयों पर प्रहार

यह संकट पिछले 1200 सालों में ज्यादा बढ़ा है। जब विदेशी आक्रमण बढ़े। मैला ढोने की प्रथा को भी विदेशी आक्रमणकारियों की देन बताते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय शौच के लिए घर से दूर जाते थे। जबकि मुस्लिम और अंग्रेज घर में ही शौचालय बनवाते थे। तब ये विदेशी आक्रांता युद्ध में पराजित हुए लोगों से मैला ढुलाने का काम कराने लगे। पर्दा प्रथा जैसी कुरीतियां भी तब अस्तित्व में आई। सम्मेलन को सेवा भारती दिल्ली के अध्यक्ष तरुण गुप्ता व संगठन मंत्री सुखदेव ने भी संबोधित किया। संचालन प्रांत मंत्री संगीता त्यागी ने किया।


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