पर्यावरण से जुड़े प्रत्येक तार को मजबूत बनाने का संकल्प
पर्यावरण के सरंक्षण के लिए वर्षों से कार्य कर रहे लोग निरंतर यही प्रयास करते आये हैं कि उनके किये कार्यों का बेहतर फल प्राप्त हो। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए वह इस अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के मौके पर संकल्प ले रहे हैं। किए गए कार्य को आगे बढ़ाना और नवसृजन के लिए प्रत्येक धागे को मजबूती से जोड़ना ही उनका आगामी लक्ष्य है। यहां कुछ पर्यावरणविद अपने इन्ही कार्यों का उल्लेख कर रहे हैं.।पर्यावरण के सरंक्षण के लिए वर्षों से कार्य कर रहे लोग निरंतर यही प्रयास करते आये हैं कि उनके किये कार्यों का बेहतर फल प्राप्त हो। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए वह इस अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के मौके पर संकल्प ले रहे हैं। किए गए कार्य को आगे बढ़ाना और नवसृजन के लिए प्रत्येक धागे को मजबूती से जोड़ना ही उनका आगामी लक्ष्य है। यहां कुछ पर्यावरणविद अपने इन्ही कार्यों का उल्लेख कर रहे हैं.।
शिप्रा सुमन, बाहरी दिल्ली :
पर्यावरण के सरंक्षण के लिए वर्षो से कार्य कर रहे लोग निरंतर यही प्रयास करते आए हैं कि उनके किए कार्यो का बेहतर फल प्राप्त हो। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए वे इस अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के मौके पर संकल्प ले रहे हैं। किए गए कार्य को आगे बढ़ाना और नवसृजन के लिए प्रत्येक धागे को मजबूती से जोड़ना ही उनका आगामी लक्ष्य है। यहां कुछ पर्यावरणविद अपने इन्ही कार्यों का उल्लेख कर रहे हैं.। सबसे बुरी हालत में गाव के धरोहर तालाब और जोहड़ हैं, जिसका पानी लगातार सूखता जा रहा है। लोगों के घर का गंदा पानी उसमें जा रहा है। स्थानीय प्रशासन इस पर ध्यान भी नहीं दे रहा है। मैं अब तक चार से पांच जोहड़ की मरम्मत अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कर चुका हूं। इसके आसपास पेड़ पौधे भी लगाए हैं। मेरा प्रयास यही है कि एक साल में गांव के आसपास कुछ और जोहड़ को सुंदर बनाया जाए, जिससे गांव की सुंदरता और जल स्तर बढ़ सके।
-हरदीप डबास, मदनपुर डबास गांव।
दिल्ली में सबसे ज्यादा पानी की समस्या है। मैं लगातार दिल्लीवासियों को जागरूक कर रही हूं। विद्यालय में भी जाकर बच्चों को जागरूक किया है। हमने कैलेंडर प्लान बनाया है और लोगों की जागरूकता के लिए डॉक्यूमेंट्री बना रही हूं। मैं इस पर्यावरण दिवस पर यह शपथ लेती हूं कि यमुना नदी में जाने वाला गंदा नाले के पानी को रोकने के लिए उन्हें जागरूक करूंगी।
-कनिका चोपड़ा, अध्यक्ष, एक बूंद संस्था।
पेड़-पौधों को लेकर बहुत रुचि रखता हूं। यदि मेरे सामने कोई पेड़ काटा जाता है तो उसका विरोध करता हूं। अपने ऑफिस के ग्राउंड पर और आसपास कॉलोनी व पार्को में पेड़ लगाने का कार्य कर रहा हूं। आगे भी मेरा यही प्रयास रहेगा। इस पर्यावरण दिवस पर संकल्प लेता हूं कि हजारों पेड़ों को नया जीवनदान दूं। मैं दिल्ली के लोगों से भी यही अपील करता हूं कि यदि जीवन में स्वस्थ रहना है तो बढ़ते शहरीकरण में पेड़-पौधों को न कटने दें। पेड़ लगाएं, जिससे शुद्ध वायु में जीवन यापन कर सके।
-मनोज कुमार चंद्रा, जीटीबी नगर मैंने अपने रूफ गार्डन में हजारों पौधे लगाए हैं। यही कोशिश होती है कि कुछ नए बीज लगाएं। शरीफा का बीच लगाकर खुशी मिली। इसके साथ ही अपने ही द्वारा लगाए पौधे या उसके बीज से सड़क के किनारे और पार्को में सैकड़ों नीम और पीपल के पौधे लगाए हैं। अभी मेरे छत पर बने बगीचे में करीब 20 हजार से अधिक पौधे हैं। करीब 100 किस्म के फूल फल और दूसरे पौधे हैं।
26 वर्षों तक फ्लॉवर शो लगाया, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से यह नहीं हो पाया। आने वाले वर्ष में भी और नए किस्म के पौधे लगाने की योजना है।
-मदन गोपाल कोहली, 10 बार लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज, केशवपुरम। मैंने अपनी नर्सरी के माध्यम से पार्क और सड़क के किनारे हजारों पेड़ लगाए हैं। इस लॉकडाउन में भी सैकड़ों लोगों को तुलसी के पेड़ वितरित किए हैं। मेरा यही प्रयास रहेगा कि रोहिणी में कोई भी पार्क या खाली जगह पर पेड़ लगाए जाएं, ताकि कॉलोनी निवासियों को शुद्ध हवा मिले। हालांकि लोगो को इसकी देखरेख भी करनी होगी, क्योंकि पेड़ लगाने के बाद उसकी देखरेख अधिक जरूरी है
-सुमित राणा, रोहिणी